मुजफ्फरनगर: कोरोना महामारी के चलते लोग परेशान हैं. दूसरी ओर सब्जी और दाल के बढ़ते दामों ने आम आदमी की कमर तोड़ दी है. गृहणियों की रसोई का बजट भी बिगड़ गया है. आलू और प्याज के बढ़ते दामों में निरंतर चार गुना वृद्धि हुई है. वहीं सभी प्रकार की दालों के दामों में पांच रुपये से लेकर दस रुपये प्रति किलो की वृद्धि हुई है. गृहणियां मंहगाई के चलते रसोई बजट को लेकर सरकार को जिम्मेदार मान रही हैं.
देश में कोरोना महामारी के चलते आलू, प्याज और अन्य सब्जियों की कीमतों में जबरदस्त उछाल है. रोजमर्रा के जीवन में उपयोग की जाने वाली सभी दालों के दामों से लोग परेशान हैं. बाजार में आलू की कीमत 10 से 15 रूपये किलो थी. वहीं आलू आज 30 से 35 रुपये प्रति किलो बिक रहा है. 10-15 रुपये प्रति किलो बिकने वाली प्याज आज 50 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रही है. 10 रुपये प्रति किलो बिकने वाला टमाटर आज बाजार में 45 से 50 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रहा है. इतना ही नहीं दालों के दामों में भी 5 रुपये से लेकर 10 रुपये प्रति किलो की दर से वृद्धि हुई है. दाल व्यापारी बढ़ते दामों को लेकर सरकार द्वारा कच्चे मालों का नियंत्रण मूल्य बढ़ाने पर जिम्मेदार मान रहे हैं.
25 से 30 प्रतिशत आलू खराब
आलू के थोक व्यापारी विकास का कहना है कि 25 से 30 परसेंट आलू खराब हो गया है, जिसकी वजह से फसल भी लेट हो गई है. गर्मी की वजह से फसल लेट हुई. इस बार आलू ज्यादा किसानों के ही पास है. जितने भी व्यापारी हैं उनके पास आलू बहुत कम मात्रा में है. इस बार लॉकडाउन की वजह से होटल और सभी चीजे बंद थीं.
ग्रहणी देविका शर्मा का कहना है कि आलू पहले से महंगा हो गया है. साथ ही प्याज भी महंगी है. पहले हमें रसोई के खर्च के लिए जितने पैसे मिलते थे, उसमें से पैसा बचा भी लेते थे. आने वाले समय में तो खाना ही मुश्किल हो जाएगा.
प्याज के थोक विक्रेता आबिद का कहना है कि प्याज की महंगाई का कारण बारिश है. नासिक, महाराष्ट्र और राजस्थान में बहुत ज्यादा बारिश की वजह फसलें नष्ट हो गईं. कोई स्टॉक नहीं रखा हुआ है. कुछ सरकारों ने एक्सपोर्ट बंद कर फिर एक्सपोर्ट खोल दिया. ऐसी स्थिति में सरकार को एक्सपोर्ट नहीं खोलना था. माल बाहर जाने की वजह से दाम में वृद्धि हो जाती है. अब से 15 दिन में नया माल आ जाएगा. आज राजस्थान की मंडी में नया माल आया भी है. 10-15 दिन में रेट डाउन हो जाएंगे.
कच्चे मालों का नियंत्रण रेट मूल्य बढ़ा रही सरकार
दालों के थोक विक्रेता संजय का कहना है कि चने की दाल में 7 रुपये प्रति किलो बढ़ोतरी हुई है. उड़द की दाल में 7-8 रुपये बढ़ोतरी हुई है. अरहर की दाल की कीमत 4-5 रुपये बढ़ी है. सरकार जो कच्चे मालों का नियंत्रण रेट मूल्य बढ़ा रही है, बाजार में इसका बहुत बड़ा असर पड़ा है. किसी के पास भी स्टॉक नहीं है. दुकानदार खाली हैं. इतने पैसे नहीं रहे लोगों के पास कि वह स्टॉक कर लें. लॉकडाउन ने सबको मार दिया. अब नई फसल सर्दी के मौसम में आएगी. आम आदमी पेट तो गेहूं और चावल से ही भरता है. चावल के रेट कम हैं. सरकार राशन में चावल और गेहूं दे भी रही है.
ग्रहणी ने पूछा- अच्छे दिन कब आएंगे
शिवानी नाम की ग्रहणी का कहना है कि किचना का बजट तो बिगड़ गया है. दालें आने वाले समय में सोने के भाव बिकेंगी. आलू इतने महंगे हो गए हैं कि सब्जी कैसे बनाएं. सेविंग तो आजकल नहीं हो रही है. ऊपर से कोरोना ने सब कुछ बिगाड़ रखा है. महंगाई इतनी कर दी है कि पता नहीं देश में मिडिल क्लास फैमिली कहां जाएंगी. सब चीज पर महंगाई बढ़ गई है. ऑनलाइन बच्चों की क्लास चल रही है. उसमें भी पैसे लग रहे हैं. ये सरकार क्या कर रही है. सब कहते थे कि अच्छे दिन आएंगे. यही अच्छे दिन हैं, जो सेविंग होती थी वह भी उड़ गई. अब पैसा पास में है ही नहीं तो बच्चों के फ्यूचर का क्या होगा.
रसोई से खाने का सामान धीरे-धीरे हो रहा खत्म
सीता नाम की ग्रहणी का कहना है कि आलू मंडी में थोक की दुकानें हैं. दालों के रेट आसमान छू रहे हैं. जो दाल पहले 60-70 रुपये प्रति किलो मिल रही थी. वहीं दाल 100 रुपये किलो बिक रही है. कोई भी दाल 100 रुपये किलो के ऊपर की है. रसोई से खाने का सामान धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है. इसका मुख्य कारण यह कह सकते हैं कि ट्रांसपोर्ट महंगा कर दिया गया है. मसालों पर भी फर्क पड़ता जा रहा है. दालें-मसालें और सब्जियां सभी चीजें महंगी हो गई हैं. आम आदमी को खाना मुश्किल हो गया है. वह रोटी भी नहीं खा पा रहा है. अब वह बचत नहीं हो पाती है.