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मुजफ्फरनगर: प्रशासन ने मंगाई 3 हजार मीट्रिक टन यूरिया खाद - uttar pradesh news

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में यूरिया खाद की डिमांड पर प्रशासन ने यूरिया खाद की रैक को जनपद में मंगा लिया है. जिले में गन्ने की खेती के लिए यूरिया खाद की आवश्यकता होती है. किसानों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन ने ये फैसला लिया.

प्रशासन ने मंगाई 3 हजार मीट्रिक टन यूरिया खाद
प्रशासन ने मंगाई 3 हजार मीट्रिक टन यूरिया खाद
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Published : Jun 15, 2020, 1:22 PM IST

मुजफ्फरनगर: जनपद के किसानों को खाद की कमी न हो इसके लिए यूरिया खाद की रैक को प्रशासन ने मंगाया है. यूरिया खाद की एक रैक मालगाड़ी से रेलवे स्टेशन पहुंची. कोरोना संक्रमण के चलते लगभग ढाई महीने के लॉकडाउन से किसान यूरिया खाद को लेकर परेशान थे.

जानकारी देते संवाददाता.

बता दें कि शुगर बाउल के नाम से मशहूर मुजफ्फरनगर जनपद में मुख्य खेती गन्ने की होती है. गन्ने की बुआई फरवरी, मार्च और अप्रैल के मध्य तक होती है. उसके बाद मई, जून और जुलाई में गन्ने की खेती में यूरिया खाद की आवश्यकता होती है. किसानों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन ने यूरिया खाद की रैक किसानों की मांग पर ही मंगवाई है.

यूरिया की रैक के संदर्भ में एडीएम प्रशासन अमित कुमार ने ईटीवी संवाददाता के साथ बातचीत में बताया कि जिले में यूरिया खाद के लिए किसानों की और सोसायटी की लगातार डिमांड रहती है. इसलिए डिमांड पर अब तक करीब 16 हजार मीट्रिक टन यूरिया खाद रैक के माध्यम से जनपद में आ चुकी है. जिलाधिकारी ने भी 9 तारीख के आसपास एक पत्र प्रमुख सचिव सहकारिता को लिखा था, उसमें से लगभग 27 मीट्रिक टन यूरिया खाद मुजफ्फरनगर को मिल चुकी है.

एडीएम ने बताया कि बीते दिनों रबी की फसल के लिए जो गोष्ठी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हुई थी, मण्डल स्तर पर उसमें भी कृषकों द्वारा मांग उठाई गई थी. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में प्रमुख सचिव सहकारिता ने बता दिया था कि मेरठ में पहले ही मुजफ्फरनगर के लिए एक रैक लग चुकी है.

उन्होंने बताया कि लगातार किसानों की समस्या को लेकर जिलाधिकारी के पत्र को शासन ने संज्ञान में लिया. उन्होंने बताया कि सेमवार को तीन हजार मैट्रिक टन यूरिया प्राप्त हुई है और किसानों की आवश्यकता को देखते हुए ट्रकों के माध्यम से परिवहन कराकर सोसायटी को भिजवाया गया है.

मुजफ्फरनगर: जनपद के किसानों को खाद की कमी न हो इसके लिए यूरिया खाद की रैक को प्रशासन ने मंगाया है. यूरिया खाद की एक रैक मालगाड़ी से रेलवे स्टेशन पहुंची. कोरोना संक्रमण के चलते लगभग ढाई महीने के लॉकडाउन से किसान यूरिया खाद को लेकर परेशान थे.

जानकारी देते संवाददाता.

बता दें कि शुगर बाउल के नाम से मशहूर मुजफ्फरनगर जनपद में मुख्य खेती गन्ने की होती है. गन्ने की बुआई फरवरी, मार्च और अप्रैल के मध्य तक होती है. उसके बाद मई, जून और जुलाई में गन्ने की खेती में यूरिया खाद की आवश्यकता होती है. किसानों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन ने यूरिया खाद की रैक किसानों की मांग पर ही मंगवाई है.

यूरिया की रैक के संदर्भ में एडीएम प्रशासन अमित कुमार ने ईटीवी संवाददाता के साथ बातचीत में बताया कि जिले में यूरिया खाद के लिए किसानों की और सोसायटी की लगातार डिमांड रहती है. इसलिए डिमांड पर अब तक करीब 16 हजार मीट्रिक टन यूरिया खाद रैक के माध्यम से जनपद में आ चुकी है. जिलाधिकारी ने भी 9 तारीख के आसपास एक पत्र प्रमुख सचिव सहकारिता को लिखा था, उसमें से लगभग 27 मीट्रिक टन यूरिया खाद मुजफ्फरनगर को मिल चुकी है.

एडीएम ने बताया कि बीते दिनों रबी की फसल के लिए जो गोष्ठी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हुई थी, मण्डल स्तर पर उसमें भी कृषकों द्वारा मांग उठाई गई थी. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में प्रमुख सचिव सहकारिता ने बता दिया था कि मेरठ में पहले ही मुजफ्फरनगर के लिए एक रैक लग चुकी है.

उन्होंने बताया कि लगातार किसानों की समस्या को लेकर जिलाधिकारी के पत्र को शासन ने संज्ञान में लिया. उन्होंने बताया कि सेमवार को तीन हजार मैट्रिक टन यूरिया प्राप्त हुई है और किसानों की आवश्यकता को देखते हुए ट्रकों के माध्यम से परिवहन कराकर सोसायटी को भिजवाया गया है.

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