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नाग पंचमी के दिन दूध चढ़ाने से नहीं होता नाग दंश का भय - UP news

आज नाग पंचमी का त्यौहार बहुत धूमधाम से मनाया गया. इस त्यौहार का पौराणिक इतिहास समुद्र मंथन से जुड़ा हुआ है. धार्मिक ग्रंथों में लिखा हुआ है कि नाग पंचमी के दिन नाग देवता को दूध चढ़ाने से सर्पदंश का भय नहीं रहता.

Story of nag Panchami
नाग पंचमी का त्यौहार महाभारत काल से शुरू हुआ था.
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Published : Jul 26, 2020, 4:47 PM IST

मुजफ्फरनगर: जिले में नाग पंचमी का त्यौहार बड़े धूमधाम से मनाया गया. खतौली में लोगों ने अपनी आस्था के अनुसार मंदिरों में जाकर नाग देवता को दूध चढ़ाकर अपनी श्रद्धा अर्पित की. इस दौरान कई लोगों ने व्रत रखा और व्रत कथा का पाठ भी किया.

समुद्र मंथन से जुड़ी है इसकी कहानी

नाग पंचमी के दिन नागों की आराधना की जाती है. लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं. कहा जाता है कि इस व्रत करने और व्रत कथा पढ़ने से शुभ फल की प्राप्ति होती है. नाग पंचमी को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं. भविष्य पुराण के अनुसार, जब सागर मंथन हुआ था तब नागों ने अपनी माता की आज्ञा नहीं मानी थी. इसके चलते नागों को श्राप मिला था. नागों को कहा गया था कि वो राजा जनमेजय के यज्ञ में जलकर भस्म हो जाएंगे. इससे नाग बहुत ज्यादा घबरा गए थे. इस श्राप से बचने के लिए सभी नाग ब्रह्माजी की शरण में पहुंचे. उन्होंने ब्रह्माजी से सारी बात कही और मदद मांगी. उन्होंने कहा कि जब नागवंश में महात्मा जरत्कारू के पुत्र आस्तिक होंगे, तब वह सभी नागों की रक्षा करेंगे. यह उपाय ब्रह्माजी ने पंचमी तिथि को बताया था.

नाग पंचमी को दूध चढ़ाने से नहीं होता नाग दंश का भय

जब महात्मा जरत्कारू के पुत्र आस्तिक मुनि ने नागों को यज्ञ में जलने से बचाया था, तब सावन की पंचमी तिथि थी. आस्तिक मुनि ने नागों के ऊपर दूध डालकर उन्हें बचाया था. इसके बाद आस्तिक मुनि ने कहा था कि जो कोई भी पंचमी तिथि पर नागों की पूजा करेगा, उसे नागदंश का भय नहीं रहेगा. तब से ही सावन की पंचमी तिथि पर नाग पंचमी मनाई जाती है.

मुजफ्फरनगर: जिले में नाग पंचमी का त्यौहार बड़े धूमधाम से मनाया गया. खतौली में लोगों ने अपनी आस्था के अनुसार मंदिरों में जाकर नाग देवता को दूध चढ़ाकर अपनी श्रद्धा अर्पित की. इस दौरान कई लोगों ने व्रत रखा और व्रत कथा का पाठ भी किया.

समुद्र मंथन से जुड़ी है इसकी कहानी

नाग पंचमी के दिन नागों की आराधना की जाती है. लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं. कहा जाता है कि इस व्रत करने और व्रत कथा पढ़ने से शुभ फल की प्राप्ति होती है. नाग पंचमी को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं. भविष्य पुराण के अनुसार, जब सागर मंथन हुआ था तब नागों ने अपनी माता की आज्ञा नहीं मानी थी. इसके चलते नागों को श्राप मिला था. नागों को कहा गया था कि वो राजा जनमेजय के यज्ञ में जलकर भस्म हो जाएंगे. इससे नाग बहुत ज्यादा घबरा गए थे. इस श्राप से बचने के लिए सभी नाग ब्रह्माजी की शरण में पहुंचे. उन्होंने ब्रह्माजी से सारी बात कही और मदद मांगी. उन्होंने कहा कि जब नागवंश में महात्मा जरत्कारू के पुत्र आस्तिक होंगे, तब वह सभी नागों की रक्षा करेंगे. यह उपाय ब्रह्माजी ने पंचमी तिथि को बताया था.

नाग पंचमी को दूध चढ़ाने से नहीं होता नाग दंश का भय

जब महात्मा जरत्कारू के पुत्र आस्तिक मुनि ने नागों को यज्ञ में जलने से बचाया था, तब सावन की पंचमी तिथि थी. आस्तिक मुनि ने नागों के ऊपर दूध डालकर उन्हें बचाया था. इसके बाद आस्तिक मुनि ने कहा था कि जो कोई भी पंचमी तिथि पर नागों की पूजा करेगा, उसे नागदंश का भय नहीं रहेगा. तब से ही सावन की पंचमी तिथि पर नाग पंचमी मनाई जाती है.

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