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बिना अनुमति के जुलूस निकालने के मामले में मंत्री कपिल देव दोषमुक्त करार

मुजफ्फरनगर में विधानसभा चुनाव 2017 के दौरान बिना अनुमति जुलूस निकालने के मामले में कोर्ट ने राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार कपिल देव अग्रवाल को दोषमुक्त कर दिया है.

मंत्री कपिल देव दोषमुक्त करार
मंत्री कपिल देव दोषमुक्त करार
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Published : Mar 28, 2023, 10:41 PM IST

मुजफ्फरनगर: विधानसभा चुनाव 2017 के दौरान बिना अनुमति के जुलूस निकालने के मामले में अदालत ने प्रदेश के कौशल विकास राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार कपिल देव अग्रवाल को दोषमुक्त कर दिया है. सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट मयंक जायसवाल द्वारा यह फैसला सुनाया गया है.

वर्ष 2017 के चुनाव में शहर सीट से भाजपा उम्मीदवार कपिल देव अग्रवाल घोषित किए गए थे. 9 फरवरी वर्ष 2017 को शहर में ढोल नगाड़ों के साथ कपिल देव पर 20 से अधिक समर्थकों के साथ जुलूस निकालने समर्थकों द्वारा नारेबाजी करने का आरोप लगाया गया था. कोतवाली में तैनात तत्कालीन उप निरीक्षक इंद्रजीत सिंह ने निर्वाचन अधिकारी को सूचित किया था. इसके बाद आरओ के निर्देश पर मंत्री और उनके समर्थकों के खिलाफ आचार संहिता के उल्लंघन का मुकदमा कायम कराया गया था. पुलिस ने विवेचना के बाद मंत्री के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया.

प्रकरण के विचारण के दौरान अदालत में अभियोजन पक्ष ने वादी सहित दो गवाह प्रस्तुत किए और पांच अभिलेखों को साबित कराया था. अदालत ने दोनों पक्षों की बहस सुनी और मामले में कोई ठोस सबूत दाखिल नहीं करने के कारण अभियोजन पक्ष की कहानी को संदेहास्पद माना. इसमें साक्ष्यों के अभाव में मंत्री को आरोपों से मुक्त करते हुए बरी कर दिया गया है. पहले भी कपिल देव अग्रवाल को एक मामले में दोष मुक्त दिया गया था.

मुजफ्फरनगर: विधानसभा चुनाव 2017 के दौरान बिना अनुमति के जुलूस निकालने के मामले में अदालत ने प्रदेश के कौशल विकास राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार कपिल देव अग्रवाल को दोषमुक्त कर दिया है. सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट मयंक जायसवाल द्वारा यह फैसला सुनाया गया है.

वर्ष 2017 के चुनाव में शहर सीट से भाजपा उम्मीदवार कपिल देव अग्रवाल घोषित किए गए थे. 9 फरवरी वर्ष 2017 को शहर में ढोल नगाड़ों के साथ कपिल देव पर 20 से अधिक समर्थकों के साथ जुलूस निकालने समर्थकों द्वारा नारेबाजी करने का आरोप लगाया गया था. कोतवाली में तैनात तत्कालीन उप निरीक्षक इंद्रजीत सिंह ने निर्वाचन अधिकारी को सूचित किया था. इसके बाद आरओ के निर्देश पर मंत्री और उनके समर्थकों के खिलाफ आचार संहिता के उल्लंघन का मुकदमा कायम कराया गया था. पुलिस ने विवेचना के बाद मंत्री के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया.

प्रकरण के विचारण के दौरान अदालत में अभियोजन पक्ष ने वादी सहित दो गवाह प्रस्तुत किए और पांच अभिलेखों को साबित कराया था. अदालत ने दोनों पक्षों की बहस सुनी और मामले में कोई ठोस सबूत दाखिल नहीं करने के कारण अभियोजन पक्ष की कहानी को संदेहास्पद माना. इसमें साक्ष्यों के अभाव में मंत्री को आरोपों से मुक्त करते हुए बरी कर दिया गया है. पहले भी कपिल देव अग्रवाल को एक मामले में दोष मुक्त दिया गया था.


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