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संघर्ष है पर हारे नहीं..ट्राई साइकिल पर मास्क बेचकर कर रहे परिवार का पालन

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Published : May 28, 2021, 8:05 PM IST

मुरादाबाद के कांशीराम नगर निवासी केश्वर सिंह दिव्यांग होने के बावजूद कड़ी मेहनत कर अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहे है. परिवार में सभी भाइयों में बड़े होने की वजह से भाइयों के अलावा पत्नी व बच्चों की जिम्मेदारी भी उठा रहे हैं. पूरा दिन अपनी ट्राई साइकिल पर मोहल्ले-मोहल्ले घूमकर मास्क बेचते हैं.

दिव्यांग हैं पर मजबूर नहीं.. ट्राई साइकिल पर मास्क बेचकर कर रहे् परिवार का पालन
दिव्यांग हैं पर मजबूर नहीं.. ट्राई साइकिल पर मास्क बेचकर कर रहे् परिवार का पालन

मुरादाबाद : कोरोना काल में एक तरफ जहां लोग रोजगार छिन जाने के बाद दूसरे लोगों या सरकार से मदद की आस लगाए बैठे हैं, वहीं मुरादाबाद में एक दिव्यांग व्यक्ति अपनी ट्राई साइकिल पर घूम-घूमकर मास्क बेचकर अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहा है. सुबह चाय पीकर घर से दो वक्त की रोटी की तलाश में निकल पड़ता है. सरकार की तरफ से एक सरकारी मकान व पेंशन मिलती है जो परिवार के गुजारे के लिए नाकाफी होती है. यह व्यक्ति दिव्यांग होने के बाद भी दूसरों पर आश्रित रहने वाले लोगों के लिए एक मिसाल कायम कर रहा है.

संघर्ष है पर हारे नहीं..ट्राई साइकिल पर मास्क बेचकर कर रहे परिवार का पालन
लॉकडाउन व मंदी की मार से परेशान

मुरादाबाद के कांशीराम नगर निवासी केश्वर सिंह दिव्यांग होने के बावजूद कड़ी मेहनत कर अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे है. परिवार में सभी भाइयों में बड़े होने की वजह से भाइयों के अलावा पत्नी व बच्चों की जिम्मेदारी उठा रहे हैं. पूरा दिन अपनी ट्राई साइकिल पर मोहल्ले-मोहल्ले घूमकर मास्क बेचते हैं. केश्वर सिंह ने अपनी दिव्यांगता को कभी अपनी मजबूरी नहीं बनायी. तीन साल पूर्व कागज व कपड़े के थैले बनाकर परिवार का गुजर बसर कर रहे थे. लेकिन लॉक डाउन व मंदी की मार की वजह से वह काम बंद हो गया.


पिता ने रिक्शा चलाकर हाईस्कूल तक पढ़ाया था

केश्वर सिंह ने बताया कि वह पढ़ाई ज्यादा नहीं कर पाए. उनके पिता रिक्शा चलाते थे और परिवार परेशानियों से जूझ रहा था. घर पर रोजी-रोटी की परेशानी थी. वह तीन भाई हैं. सबसे बड़े वही हैं. पत्नी भी दिव्यांग है. उन्हें 2 बेटी व एक बेटा है. इस समय तो बच्चों की पढ़ाई भी बंद चल रही है. लॉकडाउन की वजह से ऑनलाइन क्लास चल रही है.

यह भी पढ़ें : कोरोना कर्फ्यू में घूमने का कारण पूछा तो युवक ने सिपाही पर डाला पेट्रोल

मास्क बेचकर कर रहे परिवार का पालन-पोषण

केश्वर सिंह ने बताया, 'एक मिलने वाले है राहुल. उन्होंने मुझको ट्राई साइकिल चलाते हुए देखा. कहा कि तुम हमारे मास्क बेचो. जो तुम्हारा मन करे उतने रुपये दे देना. उन्हीं को लेकर घर से सुबह आठ बजे निकलता हूं. कभी चाय पीकर, कभी खाली पेट. पूरा दिन मास्क बेचकर कभी 100 तो कभी 200 रुपये की बिक्री कर घर चला जाता हूं. कभी-कभी कुछ नहीं बिकता तो परिवार के साथ पानी पीकर ही सो जाता हूं.


सरकार की तरफ से मदद में केवल मकान व दिव्यांग पेंशन

केश्वर सिंह ने बताया कि सरकार की तरफ से केवल एक सरकारी मकान मिला है. वहीं, दिव्यांग पेंशन भी मिलती है लेकिन पेंशन के 500 रुपये में क्या होता है. वह भी कभी 3 महीने, कभी 5 महीने में आती है. इतने बड़े परिवार में इतने से रुपये में क्या होता है.

जल्द लॉकडाउन खुलना चाहिए, बस यही दुआ

केश्वर सिंह भले ही दिव्यांग हैं लेकिन काम कर रोजी रोटी जुटाने का उनमे जज्बा है. यही वजह है कि वह लॉक डाउन खुलने की दुआ कर रहे हैं.

मुरादाबाद : कोरोना काल में एक तरफ जहां लोग रोजगार छिन जाने के बाद दूसरे लोगों या सरकार से मदद की आस लगाए बैठे हैं, वहीं मुरादाबाद में एक दिव्यांग व्यक्ति अपनी ट्राई साइकिल पर घूम-घूमकर मास्क बेचकर अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहा है. सुबह चाय पीकर घर से दो वक्त की रोटी की तलाश में निकल पड़ता है. सरकार की तरफ से एक सरकारी मकान व पेंशन मिलती है जो परिवार के गुजारे के लिए नाकाफी होती है. यह व्यक्ति दिव्यांग होने के बाद भी दूसरों पर आश्रित रहने वाले लोगों के लिए एक मिसाल कायम कर रहा है.

संघर्ष है पर हारे नहीं..ट्राई साइकिल पर मास्क बेचकर कर रहे परिवार का पालन
लॉकडाउन व मंदी की मार से परेशान

मुरादाबाद के कांशीराम नगर निवासी केश्वर सिंह दिव्यांग होने के बावजूद कड़ी मेहनत कर अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे है. परिवार में सभी भाइयों में बड़े होने की वजह से भाइयों के अलावा पत्नी व बच्चों की जिम्मेदारी उठा रहे हैं. पूरा दिन अपनी ट्राई साइकिल पर मोहल्ले-मोहल्ले घूमकर मास्क बेचते हैं. केश्वर सिंह ने अपनी दिव्यांगता को कभी अपनी मजबूरी नहीं बनायी. तीन साल पूर्व कागज व कपड़े के थैले बनाकर परिवार का गुजर बसर कर रहे थे. लेकिन लॉक डाउन व मंदी की मार की वजह से वह काम बंद हो गया.


पिता ने रिक्शा चलाकर हाईस्कूल तक पढ़ाया था

केश्वर सिंह ने बताया कि वह पढ़ाई ज्यादा नहीं कर पाए. उनके पिता रिक्शा चलाते थे और परिवार परेशानियों से जूझ रहा था. घर पर रोजी-रोटी की परेशानी थी. वह तीन भाई हैं. सबसे बड़े वही हैं. पत्नी भी दिव्यांग है. उन्हें 2 बेटी व एक बेटा है. इस समय तो बच्चों की पढ़ाई भी बंद चल रही है. लॉकडाउन की वजह से ऑनलाइन क्लास चल रही है.

यह भी पढ़ें : कोरोना कर्फ्यू में घूमने का कारण पूछा तो युवक ने सिपाही पर डाला पेट्रोल

मास्क बेचकर कर रहे परिवार का पालन-पोषण

केश्वर सिंह ने बताया, 'एक मिलने वाले है राहुल. उन्होंने मुझको ट्राई साइकिल चलाते हुए देखा. कहा कि तुम हमारे मास्क बेचो. जो तुम्हारा मन करे उतने रुपये दे देना. उन्हीं को लेकर घर से सुबह आठ बजे निकलता हूं. कभी चाय पीकर, कभी खाली पेट. पूरा दिन मास्क बेचकर कभी 100 तो कभी 200 रुपये की बिक्री कर घर चला जाता हूं. कभी-कभी कुछ नहीं बिकता तो परिवार के साथ पानी पीकर ही सो जाता हूं.


सरकार की तरफ से मदद में केवल मकान व दिव्यांग पेंशन

केश्वर सिंह ने बताया कि सरकार की तरफ से केवल एक सरकारी मकान मिला है. वहीं, दिव्यांग पेंशन भी मिलती है लेकिन पेंशन के 500 रुपये में क्या होता है. वह भी कभी 3 महीने, कभी 5 महीने में आती है. इतने बड़े परिवार में इतने से रुपये में क्या होता है.

जल्द लॉकडाउन खुलना चाहिए, बस यही दुआ

केश्वर सिंह भले ही दिव्यांग हैं लेकिन काम कर रोजी रोटी जुटाने का उनमे जज्बा है. यही वजह है कि वह लॉक डाउन खुलने की दुआ कर रहे हैं.

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