मुजफ्फरनगर: उत्तर प्रदेश की सरकार में वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बुधवार को प्रदेश का बजट जारी किया. इसमें किसानों सहित मध्यवर्गीय परिवारों को छूट दी गई है. साथ ही सरकार ने इस बजट को प्रदेश का सबसे बड़ा बजट घोषित किया है. लेकिन, किसान नेता चौधरी राकेश टिकैत इससे खुश नहीं हैं. उनका कहना है कि इस बजट में किसानों के लिए कोई खास योजना नहीं है. राकेश टिकैत ने तेलंगाना सरकार की योजना की तारीफ करते हुए इस तरह की योजना प्रदेश में किसानों के लिए लाने की मांग की है.
किसान नेता चौधरी राकेश टिकैत ने किसानों के लिए किए गए बजट प्रावधान पर असहमति जताते हुए कहा कि जब तक किसानों की जेब में सीधा पैसा नहीं जाएगा उनका भला नहीं होगा. अगर किसानों को सिंचाई के लिए मिलने वाला पानी मुफ्त किया जाए तो कुछ लाभ हो सकता. इस बार बजट में कुछ भी नया नहीं रहा. सरकार घोषणा तो करती है लेकिन, देती कुछ नहीं. सरकार ने बजट में गन्ना भुगतान की बात की है लेकिन, इसमें सरकार की क्या भूमिका है. किसान ने गन्ना दिया और चीनी मिलों ने उसका भुगतान कर दिया. देखा जाए तो इसमें सरकार की क्या भूमिका है.
किसान नेता ने कहा कि सरकार सिंचाई के लिए किसानों को मुफ्त पानी दे. साथ ही साथ मुफ्त बिजली दे तो कुछ लाभ होगा. बिजली बचाने के लिए वैकल्पिक ऊर्जा की व्यवस्था होनी चाहिए और अगर सरकार छतों पर लगाए जाने वाले सोलर पैनल पर सब्सिडी दे देती है तो किसानों को लाभ पहुंचेगा. इससे देश की बिजली भी बचेगी. इसके साथ ही सोलर एनर्जी वाले इक्विपमेंट पर छूट मिलनी चाहिए.
साथ ही भूमिहीन किसानों खासतौर से खेत मजदूरों का दुर्घटना बीमा होना चाहिए. सरकार मनरेगा में किसानों को उनके खेतों में काम करने का पैसा देती है तो काफी लाभ पहुंचेगा. किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार दूध डेयरी पर छूट की बात करती है पर सच्चाई यह है कि जिसने भी दूध डेयरी खोली उस किसान को अपनी जमीन बेचनी पड़ी है. सरकार की यह पॉलिसी बिल्कुल ठीक नहीं है.
नरेश टिकैत बोले, प्रदेश का किसान बेहाल
भारतीय किसान यूनियन के मुखिया चौधरी नरेश टिकैत ने प्रदेश सरकार द्वारा किसानों को खेतों में सिंचाई के लिए बिजली के बिल में छूट देने को देर से उठा एक अच्छा कदम बताया और यह भी कहा कि प्रदेश का किसान बेहाल है. किसानों के गन्ने का दाम ना बढ़ाकर प्रदेश सरकार ने किसानों के साथ बहुत बड़ा धोखा भी किया. आवारा पशुओं के कारण किसानों की फसलें बर्बाद हो रही हैं. आवारा पशुओं के द्वारा कई किसानों की मौत हुई है. ऐसे में सरकार को चाहिए कि जिन किसानों की मौत हुई है, उनके परिजनों को उचित मुआवजा एवं जिन किसानों की फसल आवारा पशुओं के कारण उजड़ गई है उन्हें भी मुआवजे का प्रावधान होना चाहिए. आवारा पशुओं के लिए एक दीर्घकालीन नीति भी बनानी चाहिए.
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