संभल : जिले में प्रशासन की ओर से तीर्थ स्थलों को खोजने की कोशिशें लगातार जारी हैं. इसी कड़ी में प्रशासन ने पृथ्वीराज चौहान के समकालीन माने जाने वाले गुरु अमर की समाधि को खोज निकाला है. ASI संरक्षित इस स्थल को भी प्रशासन संरक्षित करेगा. 1920 से ASI संरक्षित इस ऐतिहासिक स्थल के पास से प्रशासन ने ब्रिटिश कालीन सिक्के भी बरामद किए हैं. ये सिक्के 300 से 400 साल पुराने हैं. इन पर राम-सीता और लक्ष्मण की आकृति भी बनी हुई है.
संभल को तीर्थ नगरी के साथ ही ऐतिहासिक नगरी के तौर पर भी जाना जाता है. यह सतयुग कालीन तीर्थ स्थल है तो वहीं ऐतिहासिक स्थल भी है. संभल जिला प्रशासन, विलुप्त होने की कगार पर पहुंचे यहां के सभी तीर्थ स्थलों और ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित करने की दिशा में काम कर रहा है. यहां प्रशासन अवैध कब्जा कर पाट दिए गए कुएं और कूपों की खोदाई करा रहा है. वहीं ASI संरक्षित स्थलों को भी संरक्षित करने पर काम कर रहा है. इसी कड़ी में प्रशासन ने पृथ्वीराज चौहान के समकालीन माने जाने वाले गुरु अमर सिंह की समाधि को भी खोज निकाला है.
अमरपति खेड़ा का किया निरीक्षण : बीते बुधवार को भारतीय पुरातत्व विभाग की टीम संभल तहसील क्षेत्र के गांव अल्लीपुर पहुंची जहां टीम ने यहां के अमरपति खेड़ा का निरीक्षण किया था. यह स्थल 1920 से भारतीय पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है. ASI की टीम के गांव पहुंचने पर, ग्रामीण इकट्ठा हो गए थे और उन्होंने ASI की टीम को बताया कि यहां समय-समय पर उन्हें प्राचीन सिक्के मिलते रहे हैं. हालांकि ग्रामीणों ने टीम को सिक्के नहीं दिए. इसके बाद गुरुवार को सदर SDM डॉ. वंदना मिश्रा यहां पहुंची थी SDM ने यहां ASI संरक्षित इस क्षेत्र का निरीक्षण किया.
इस बीच यहां मौजूद ग्रामीणों ने एसडीएम के सामने दावा करते हुए बताया, यहां उन्हें कई प्राचीन सिक्के और घड़ा मिला है, जिस पर SDM ने इन सिक्कों को और घड़े को अपने कब्जे में ले लिया.
अमरपति खेड़ा में मिली ये चीजें : इस मामले में SDM डॉ वंदना मिश्रा ने बताया कि वहां पर कल ASI की टीम गई थी और उस स्थल को उन्होंने अमरपति खेड़ा के नाम से चिन्हित किया. अमरपति खेड़ा पूर्व से सन 1920 से ASI संरक्षित स्थल रहा है. इसी सिलसिले में उन्होंने वहां विजिट किया वहां पुराने सिक्के मिले हैं. और वहां पर लोगों ने बताया कि यहां पुरानी समाधियां रहीं हैं, जो ASI के रिकॉर्ड में हैं, वहां पर गुरु अमर की समाधि थी, जब उसको संरक्षित किया गया था और गुरु अमर पृथ्वीराज चौहान के समकालीन माने जाते हैं. मिले हुए सिक्के 300 - 400 साल पुराने हैं.
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