चंदौली: वैश्विक महामारी कोरोना का सीधा असर लोगों के स्वास्थ्य और रोजगार पर पड़ा है. लॉकडाउन के चलते देश की अर्थव्यवस्था बैठ गई, करोड़ों लोगों की नौकरी चली गई और व्यवसाय ठप हो गए. ऐसे में बेरोजगारी ने लोगों को अपराधी तक बना दिया. चंदौली पुलिस ने एक ऐसे ही गैंग का खुलासा किया है, जो फर्जी पुलिस बनकर ट्रकों से वसूली करते थे. इसके लिए आरोपियों ने कोरोना काल के चलते बेरोजगारी वजह बताई है.
दरअसल, पिछले कई दिनों से फर्जी पुलिस बनकर सड़कों पर अवैध वसूली करने की सूचना मिल रही थी. इसी क्रम में पुलिस 20 अगस्त की रात लगातार गश्त लगा कर रही थी. तभी मुखबिर से सूचना मिली कि बीर बहुरिया पुलिस के समीप महुंजी रास्ते पर कुछ लोग फर्जी पुलिस बनकर ट्रकों से अवैध वसूली कर रहे हैं. सूचना पर थाना प्रभारी फोर्स के साथ मौके पर पहुंचे और कॉम्बिंग कर चार लोगों को धर दबोचा.
पूछताछ में आरोपियों ने बताई ये बात
पुलिस पुछताछ में जो बातें निकलकर सामने आई, वो बेहद चौंकाने वाली थी. पुलिस के अनुसार, आरोपियों ने बताया कि कोरोना महामारी के चलते वे लोग बेरोजगार हो गए. खाने-पीने की भी समस्या खड़ी हो गई थी. इस कारण फर्जी पुलिस बनकर सड़कों पर ट्रक चालकों को डरा-धमकाकर वसूली करने लगे. इसके बाद रोजाना अच्छी आमदनी होने लगी और खुद के खर्चे के साथ ही परिवार का खर्च भी अच्छे से चलने लगा. गिरफ्तारी के दौरान भी उनके पास से वसूली के 68 हजार रुपये बरामद हुए.
आरोपियों के पास से कई चीजें बरामद
फर्जी पुलिस बनकर वसूली करने वाले चारों अभियुक्त गाजीपुर के रहने वाले हैं. आरोपियों में गंगाफल राय, जमानिया, शिवाकांत चतुर्वेदी सुहवल, दीपक सिंह यादव, रेवतीपुर व उपेंद्र यादव जमानियां थाना क्षेत्रों के निवासी हैं. ये सभी चन्दौली बॉर्डर वाले इलाके में वसूली कर गाजीपुर निकल जाते थे.
फर्जी पुलिस बनकर गैंग संचालित करने वाले अभियुक्तों के पास से इस अपराध में प्रयुक्त एक चार पहिया वाहन, एक बिना नंबर प्लेट लगी दो पहिया वाहन, 4 मोबाइल फोन के साथ ही अवैध वसूली के 68,190 रुपए नगदी बरामद हुआ है.
क्या कहते हैं एडिशनल एसपी
एडिशनल एसपी प्रेमचंद ने बताया कि धीना पुलिस ने फर्जी पुलिस बनकर अवैध वसूली करने वाले गिरोह का खुलासा किया. ये आरोपी सड़कों पर बालू-गिट्टी लदी ट्रकों से अवैध वसूली करते थे. इन सभी के खिलाफ आईपीसी एक्ट 419, 420, 384, 504, 506 के तहत मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया है. आरोपियों ने अवैध वसूली की वजह बेरोजगार होना बताया है.