चंदौली: करगिल युद्ध में चन्दौली के लाल कलीम अंसारी भी लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे. उनका परिवार उस वक्त को याद करते ही सिहर जाता है. घटना को पूछने पर आज भी शहीद के परिवार में दुखों का सैलाब आखों में उमड़ पड़ता है, लेकिन सरकार की तरफ से शहीद जवान के लिए एक स्मृति गेट तक नहीं बन सका है.
सरकार के 20 साल पहले किए वादे, नहीं हुए पूरे-
जब शहीद का पार्थिव शरीर उनके गांव पहुंचा तो परिजन और गांव के लोग घुटने भर पानी में चलकर उनके पार्थिव शरीर को घर लेकर आये थे. उस दिन को आज बीस साल बीत गए, लेकिन शहीद के घर तक आज भी रोड़ और नालियां नहीं बन सकी हैं. यहीं नहीं उस दौरान उनके स्मृति में गेट, स्कूल या खेल ग्राउंड का नाम उनके नाम पर रखे जाने की बात प्रशासन ने कही थी, लेकिन 20 साल बाद भी इसे पूरा नहीं किया गया है.
शहादत पर गर्व है लेकिन देश की सरकारों से शिकायतें भी है. विजय दिवस मनाने वाली सरकारआज के दिन शहीद के सम्मान में मनाती जरूर है, लेकिन सम्मान दे नहीं पाती.
कलीमुद्दीन अंसारी, शहीद का भाई, रिटायर्ड सेना का जवान