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चंदौली: योजना बंद होने से अधर में लटका निर्माण कार्य, झोपड़ी में रहने को मजबूर वनवासी

इंटीग्रेटेड हाउसिंग एंड स्लम डेवलपमेंट के तहत वनवासियों के लिए मकान बनाए जा रहे थे, लेकिन सत्ता परिवर्तन के साथ ही योजना बंद हो गई और निर्माण काम अधूरा ही रह गया. वहीं परियोजना अधिकारी का कहना है कि कार्यदायी संस्था से बात कर जल्द ही निर्माण कार्य पूरा कर लिया जाएगा.

झोपड़ी में रहने को मजबूर वनवासी
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Published : Mar 11, 2019, 1:41 PM IST

चंदौली: जब भी कोई राजनीतिक दल सत्ता में आता है, तो तमाम योजनाएं लाई जाती हैं, लेकिन सरकार बदलते ही सब कुछ बदल जाता है. ऐसा ही एक मामला पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर के अलीनगर स्थित वनवासी बस्ती से सामने आया है, जहां इंटीग्रेटेड हाउसिंग एंड स्लम डेवलपमेंट के तहत वनवासियों के लिए मकान निर्माण का कार्य शुरू हुआ, लेकिन सरकार बदलने के साथ ही योजना बंद हो गई और निर्माण काम अधर में लटक गया.

झोपड़ी में रहने को मजबूर वनवासी

वर्ष 2009 में इंटीग्रेटेड हाउस एंड स्लम डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत वनवासियों को बिल्डिंग निर्माण कर उसमें आवास दिए जाने की योजना बनाई गई. परियोजना अधिकारी डूडा संजय मौर्य ने योजना के तहत डीपीआर( डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) बनाकर दिया. समय के साथ लागत बढ़ने के चलते वर्ष 2012 में संशोधित रिपोर्ट भेजी गई. जिसके बाद वर्ष 2014 में निर्माण कार्य शुरू हुआ. इसमें तीन ब्लॉक में कुल 36 आवास बनने थे.

वहीं परियोजना अधिकारी ने बताया कि लगभग एक साल पहले योजना बंद हो गई, तब से निर्माण कार्य बंद है. अधिकारी का कहना है कि जल्द ही कार्यदायी संस्था से बातचीत कर अधूरे पड़े काम को फिर से शुरू करवाया जाएगा. योजना के बंद होने के बाद अधर में लटके निर्माण कार्य से वनवासियों के सपने टूटते नजर आ रहे हैं और आज भी लोग झोपड़ी में रहने को मजबूर हैं.

चंदौली: जब भी कोई राजनीतिक दल सत्ता में आता है, तो तमाम योजनाएं लाई जाती हैं, लेकिन सरकार बदलते ही सब कुछ बदल जाता है. ऐसा ही एक मामला पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर के अलीनगर स्थित वनवासी बस्ती से सामने आया है, जहां इंटीग्रेटेड हाउसिंग एंड स्लम डेवलपमेंट के तहत वनवासियों के लिए मकान निर्माण का कार्य शुरू हुआ, लेकिन सरकार बदलने के साथ ही योजना बंद हो गई और निर्माण काम अधर में लटक गया.

झोपड़ी में रहने को मजबूर वनवासी

वर्ष 2009 में इंटीग्रेटेड हाउस एंड स्लम डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत वनवासियों को बिल्डिंग निर्माण कर उसमें आवास दिए जाने की योजना बनाई गई. परियोजना अधिकारी डूडा संजय मौर्य ने योजना के तहत डीपीआर( डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) बनाकर दिया. समय के साथ लागत बढ़ने के चलते वर्ष 2012 में संशोधित रिपोर्ट भेजी गई. जिसके बाद वर्ष 2014 में निर्माण कार्य शुरू हुआ. इसमें तीन ब्लॉक में कुल 36 आवास बनने थे.

वहीं परियोजना अधिकारी ने बताया कि लगभग एक साल पहले योजना बंद हो गई, तब से निर्माण कार्य बंद है. अधिकारी का कहना है कि जल्द ही कार्यदायी संस्था से बातचीत कर अधूरे पड़े काम को फिर से शुरू करवाया जाएगा. योजना के बंद होने के बाद अधर में लटके निर्माण कार्य से वनवासियों के सपने टूटते नजर आ रहे हैं और आज भी लोग झोपड़ी में रहने को मजबूर हैं.

Intro:चन्दौली: जब भी कोई राजनीतिक दल सत्ता में आता है तो समाज के अंतिम व्यक्ति के लिए तमाम योजनाए लाई जाती हैं. लेकिन सरकार बदलते ही सबकुछ बदल जाता है और इन बदलावों ने पुरानी योजनाए दम तोड़ देती है. ऐसा ही एक मामला पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर के अलीनगर स्थित वनवासी बस्ती में सामने आया है. जहां इंटीग्रेटेड हाउस एंड स्लम डेवलपमेंट के तहत वनवासियों के लिए मकान निर्माण का कार्य शुरू हुआ, लेकिन सत्ता परिवर्तन के साथ ही योजना बन्द हो गयी और निर्माण कार्य अधर में लटक गया.


Body:वीओ- दरअसल वर्ष 2009 में इंटीग्रेटेड हाउस एंड स्लम डवलेपमेंट प्रोग्राम के तहत वनवासियो और को उनके स्थान बिल्डिंग निर्माण कर उसमें आवास दिए जाने की योजना बनाई गई. परियोजना अधिकारी डूडा संजय मौर्य ने योजना के तहत डीपीआर( डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) बनाकर दी गयी. समय के साथ लागत बढ़ने के चलते वर्ष 2012 में संशोधित रिपोर्ट भेजी गई. इसके बाद वर्ष 2014 में निर्माण कर शुरू हुआ. इसमे तीन ब्लॉक में कुल 36 आवास बनने थे. परियोजना अधिकारी में बताया की लगभग एक वर्ष पूर्व योजना बन्द हो गयी तब से निर्माण कार्य बंद है. अधिकारी का कहना रहा कि शीघ्र ही कार्यदायी संस्था से बातचीत के अधूरे पड़े कार्य को फिर से शुरू करवाया जाएगा. योजना के बंद होने से अधर में लटके निर्माण कार्य से वनवासियों के सपने टूटते नज़र आ रहे है और सभी लोग आज भी परिवार के झोपड़ी में रहने को विवश है.

बाइट -जिउती , वनवासी
बाइट - पियारे, वनवासी


कमलजीत सिंह
चन्दौली
07376915474


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