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चंदौली सपा में फाड़, जिलाध्यक्ष सत्यनारायण राजभर के पोस्ट के बाद गरमाई सियासत - Chandauli political news

चंदौली के समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष सत्यनारायण राजभर ने फेसबुक पर एक पोस्ट किया है. अपने पोस्ट में उन्होंने लिखा है कि समाजवादी पार्टी और उसके गठबंधन के बाद कौन-कौन से समाजवादी साथी बहाने बनाकर घरों में छुपने की बजाय अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाते रहेंगे. लाइक व कमेंट कर जरूर बताए.

चंदौली सपा में फाड़
चंदौली सपा में फाड़
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Published : Oct 22, 2021, 12:07 PM IST

चंदौली: सूबे में विधानसभा चुनाव नजदीक है. ऐसे में सभी सियासी पार्टियां अपनी तैयारियों में जुट गई है. लेकिन समाजवादी पार्टी में अंतर्कलह थमने का नाम नहीं ले रही है, जो अब सतह पर भी दिखाई देने लगा है. समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष सत्यनारायण राजभर ने फेसबुक पर एक पोस्ट किया है. अपने पोस्ट में उन्होंने लिखा है कि समाजवादी पार्टी और उसके गठबंधन के बाद कौन-कौन से समाजवादी साथी बहाने बनाकर घरों में छुपने की बजाय अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाते रहेंगे. लाइक और कमेंट कर बताए. इसके बाद बयान के पक्ष-विपक्ष में तमाम कमेंट्स भी सामने आए हैं, जो पार्टी में सबकुछ ठीक न होने की बात की तस्दीक कर रही है.

सपा जिलाध्यक्ष सत्यनारायण राजभर के पोस्ट के कई राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं. पहला तो जिले की कुछ सीटों पर प्रत्याशियों में बदलाव की आशंका जाहिर की जा रही है, जिसकी सिफारिश जिला स्तरीय कमेटी के तौर पर जिलाध्यक्ष ने की है और यहां की सीटों पर गठबंधन उम्मीदवार उतारे जाने की हरी झंडी दे दी गई. इसके बाद जनता और कार्यकर्ताओं का मूड जानने के लिए आधी रात को यह पोस्ट किया गया.

चंदौली सपा में फाड़
चंदौली सपा में फाड़

वहीं, दूसरा यह कि पार्टी हाई कमान से पार्टी प्रत्याशियों के बदले बदलाव के संकेत मिले हो, जिसमें यहां के जमीनी नेताओं के टिकट काटकर गठबंधन को दिया जा रहा हो. इसके बाद यह पोस्ट लिखा गया हो कि टिकट न मिलने के बाद भी पार्टी प्रत्याशी या गठबंधन प्रत्याशी के साथ रहेंगे या फिर बीमार होने बहाना बनाकर भीतरघात करेंगे.

बता दें कि वैसे इस पोस्ट को सीधे तौर पर पूर्व सांसद रामकिशुन यादव से जोड़कर देखा जा रहा है. क्योंकि यह आरोप लगते रहे हैं कि लोकसभा चुनाव 2019 में उनका टिकट काटकर गठबंधन प्रत्याशी डॉ. संजय चौहान को टिकट दे दिया गया था.

इसे भी पढ़ें - सीएम योगी से पहले ऑडिटोरियम में रिवॉल्वर लेकर पहुंचा युवक, कई पुलिसकर्मी सस्पेंड

इसके बाद से ही वे पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार करने की बजाय बीमार होने का बहाना बनाकर घर पर पड़े रहे, जिसके चलते पार्टी को भाजपा प्रत्याशी महेंद्र पांडेय से सीधी लड़ाई में नजदीकी अंतर से हार का मुंह देखना पड़ा. ऐसे में यह पोस्ट एक बार फिर मुगलसराय सीट जनवादी के खाते में जाने का इशारा कर रही है.

गौर हो कि जिले में चार सीटें हैं. इनमें से एक सीट पर सपा का कब्जा है, जबकि तीन सीटें भाजपा के खाते में गई थी. ऐसे में सकलडीहा विधानसभा से विधायक प्रभु नारायण सिंह यादव का टिकट पक्का माना जा रहा है. इसके अलावा मुगलसराय विधानसभा से 2017 में सपा प्रत्याशी बाबूलाल यादव 82 हजार वोट पाकर चुनाव हार गए थे, जबकि सैयदाराजा से प्रत्याशी मनोज सिंह डब्लू 49 हजार वोट पाकर हार का सामना करना पड़ा था. इसके अलावा चकिया विधनसभा से पूनम सोनकर को भी हार का मुंह देखना पड़ा था.

मुगलसराय विधानसभा सीट पर आजतक समाजवादी पार्टी के एक ही परिवार का कब्जा रहा है. जब भी गठबंधन या बदलाव का प्रयास किया गया है तो पार्टी को मुंह की खानी पड़ी है. यही नहीं ऐसा माना जाता है कि पूर्व सांसद रामकिशुन यादव अपने विधानसभा ही नहीं, बल्कि पूरे जिले में यादव मतदाताओं पर खासा प्रभाव रखते हैं और उनकी नाराजगी सपा पर हमेशा से भारी पड़ती रही है. ताजा उदाहरण 2019 के लोकसभा चुनाव का है. शायद इसी अंदेशे को लेकर यह पोस्ट किया गया है.

बहरहाल इस पोस्ट के क्या राजनीतिक मायने हैं, यह तो वक्त ही बताएगा. लेकिन इस पोस्ट के बाद समाजवादी पार्टी दो धड़ों में बढ़ती दिखाई दे रही है, जो आगामी चुनाव में समाजवादी पार्टी के अरमानों पर पानी फेर सकता है.

चंदौली: सूबे में विधानसभा चुनाव नजदीक है. ऐसे में सभी सियासी पार्टियां अपनी तैयारियों में जुट गई है. लेकिन समाजवादी पार्टी में अंतर्कलह थमने का नाम नहीं ले रही है, जो अब सतह पर भी दिखाई देने लगा है. समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष सत्यनारायण राजभर ने फेसबुक पर एक पोस्ट किया है. अपने पोस्ट में उन्होंने लिखा है कि समाजवादी पार्टी और उसके गठबंधन के बाद कौन-कौन से समाजवादी साथी बहाने बनाकर घरों में छुपने की बजाय अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाते रहेंगे. लाइक और कमेंट कर बताए. इसके बाद बयान के पक्ष-विपक्ष में तमाम कमेंट्स भी सामने आए हैं, जो पार्टी में सबकुछ ठीक न होने की बात की तस्दीक कर रही है.

सपा जिलाध्यक्ष सत्यनारायण राजभर के पोस्ट के कई राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं. पहला तो जिले की कुछ सीटों पर प्रत्याशियों में बदलाव की आशंका जाहिर की जा रही है, जिसकी सिफारिश जिला स्तरीय कमेटी के तौर पर जिलाध्यक्ष ने की है और यहां की सीटों पर गठबंधन उम्मीदवार उतारे जाने की हरी झंडी दे दी गई. इसके बाद जनता और कार्यकर्ताओं का मूड जानने के लिए आधी रात को यह पोस्ट किया गया.

चंदौली सपा में फाड़
चंदौली सपा में फाड़

वहीं, दूसरा यह कि पार्टी हाई कमान से पार्टी प्रत्याशियों के बदले बदलाव के संकेत मिले हो, जिसमें यहां के जमीनी नेताओं के टिकट काटकर गठबंधन को दिया जा रहा हो. इसके बाद यह पोस्ट लिखा गया हो कि टिकट न मिलने के बाद भी पार्टी प्रत्याशी या गठबंधन प्रत्याशी के साथ रहेंगे या फिर बीमार होने बहाना बनाकर भीतरघात करेंगे.

बता दें कि वैसे इस पोस्ट को सीधे तौर पर पूर्व सांसद रामकिशुन यादव से जोड़कर देखा जा रहा है. क्योंकि यह आरोप लगते रहे हैं कि लोकसभा चुनाव 2019 में उनका टिकट काटकर गठबंधन प्रत्याशी डॉ. संजय चौहान को टिकट दे दिया गया था.

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इसके बाद से ही वे पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार करने की बजाय बीमार होने का बहाना बनाकर घर पर पड़े रहे, जिसके चलते पार्टी को भाजपा प्रत्याशी महेंद्र पांडेय से सीधी लड़ाई में नजदीकी अंतर से हार का मुंह देखना पड़ा. ऐसे में यह पोस्ट एक बार फिर मुगलसराय सीट जनवादी के खाते में जाने का इशारा कर रही है.

गौर हो कि जिले में चार सीटें हैं. इनमें से एक सीट पर सपा का कब्जा है, जबकि तीन सीटें भाजपा के खाते में गई थी. ऐसे में सकलडीहा विधानसभा से विधायक प्रभु नारायण सिंह यादव का टिकट पक्का माना जा रहा है. इसके अलावा मुगलसराय विधानसभा से 2017 में सपा प्रत्याशी बाबूलाल यादव 82 हजार वोट पाकर चुनाव हार गए थे, जबकि सैयदाराजा से प्रत्याशी मनोज सिंह डब्लू 49 हजार वोट पाकर हार का सामना करना पड़ा था. इसके अलावा चकिया विधनसभा से पूनम सोनकर को भी हार का मुंह देखना पड़ा था.

मुगलसराय विधानसभा सीट पर आजतक समाजवादी पार्टी के एक ही परिवार का कब्जा रहा है. जब भी गठबंधन या बदलाव का प्रयास किया गया है तो पार्टी को मुंह की खानी पड़ी है. यही नहीं ऐसा माना जाता है कि पूर्व सांसद रामकिशुन यादव अपने विधानसभा ही नहीं, बल्कि पूरे जिले में यादव मतदाताओं पर खासा प्रभाव रखते हैं और उनकी नाराजगी सपा पर हमेशा से भारी पड़ती रही है. ताजा उदाहरण 2019 के लोकसभा चुनाव का है. शायद इसी अंदेशे को लेकर यह पोस्ट किया गया है.

बहरहाल इस पोस्ट के क्या राजनीतिक मायने हैं, यह तो वक्त ही बताएगा. लेकिन इस पोस्ट के बाद समाजवादी पार्टी दो धड़ों में बढ़ती दिखाई दे रही है, जो आगामी चुनाव में समाजवादी पार्टी के अरमानों पर पानी फेर सकता है.

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