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चंदौली: बजट में ट्रेनों के निजीकरण से नाखुश दिखे यात्री

यूपी के चंदौली में आम बजट पर रेलवे के यात्रियों ने अपनी राय रखी. उन्होंने निजी ट्रेन का परिचालन पर अपनी नाराजगी जाहिर की.

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Published : Feb 2, 2020, 6:53 AM IST

Updated : Feb 2, 2020, 7:08 AM IST

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रेलयात्रियों ने बजट पर दी प्रतिक्रिया.

चंदौली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को बजट पेश किया. इसमें रेलवे में पीपीपी मॉडल पर 150 ट्रेन चलाने की बात कही. साथ ही तेजस जैसी ट्रेनों की संख्या में भी इजाफा होगा. दिल्ली-हावड़ा रेल रूट के बड़े स्टेशनों में शुमार डीडीयू जंक्शन पर ट्रेनों की संख्या और सुविधाओं पर ईटीवी भारत ने यात्रियों से बातचीत की, जिसमें ज्यादातर यात्री नाखुश दिखे.

रेलयात्रियों ने बजट पर दी प्रतिक्रिया.

रेलयात्री संजय सिंह ने बताया कि यह जो बजट आ रहा है. इससे रेलकर्मियों को खासी दिक्कत होगी. मोदी सरकार रेलवे के निजीकरण का निर्णय पहले से ही ले चुकी है. यह सरकार रेलवे को औद्योगिक घरानों में जा रही है. निजी ट्रेन का परिचालन काफी महंगा है जो लोगों के साथ धोखा है.

रेलयात्री सुरेंद्र मिश्रा ने इसे छलावा बताया है. तेजस जैसी ट्रेनों से यात्रियों का बहुत नुकसान नहीं है क्योंकि अन्य वीआइपी गाड़ियों की तुलना में उसका किराया सामान्य है, लेकिन जो 150 ट्रेन चलाने की बात कही है उनमें से ज्यादातर ट्रेनें लोकल होंगी. इसमें रोजमर्रा के काम करने वाले श्रमिक वर्ग के लोग सफर करते हैं. जब ये ट्रेनें निजी होंगी तो लाभ के चक्कर में मुनाफा कमाने के उद्देश्य इसका किराया महंगा होगा, जिसका असर आम लोगों पर पड़ेगा.

ये भी पढ़ें: चंदौली: फर्जी प्रमाणपत्र के सहारे नौकरी पाने 12 शिक्षकों पर होगी FIR

रेलयात्री नितिन यादव ने कहा की इतने निजी ट्रेनों को चलाने की जरूरत नहीं थी. जो ट्रेनें चल रही हैं सिर्फ उन ट्रेनों में सुधार लाने की जरूरत थी. इनकी टाइमिंग, क्लीनिंग का ध्यान देना चाहिए था. निजी ट्रेनें आने का सीधा असर इन ट्रेनों के परिचालन पर पड़ेगा और लेटलतीफी बढ़ेगी.

महिला रेलयात्री दर्शना श्रीवास्तव ने बताया कि महिला और सीनियर सिटीजन को लोअर बर्थ मिलना चाहिए था. यात्रा के दौरान का अनुभव साझा करते हुए कहा बुजुर्ग महिला यात्री को ऊपर की बर्थ दी गई थी, जिससे उन्हें काफी दिक्कत हुई.

हालांकी रेल यात्री विवेक कुमार ने ट्रेनों के निजीकरण को सही और सुधारात्मक कदम करार देते हुए कहा कि घाटे में चलने वाले रेल को मोदी सरकार फायदे की ओर ले जाने का प्रयास कर रही है. पीपीपी मॉडल पर ट्रेनों का परिचालन जरूरी है क्योंकि लोगों के पास पैसा है, लेकिन सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं तो निजी ट्रेनों में सुविधाजनक और हाइजेनिक सफर हो तो अच्छा रहेगा.

चंदौली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को बजट पेश किया. इसमें रेलवे में पीपीपी मॉडल पर 150 ट्रेन चलाने की बात कही. साथ ही तेजस जैसी ट्रेनों की संख्या में भी इजाफा होगा. दिल्ली-हावड़ा रेल रूट के बड़े स्टेशनों में शुमार डीडीयू जंक्शन पर ट्रेनों की संख्या और सुविधाओं पर ईटीवी भारत ने यात्रियों से बातचीत की, जिसमें ज्यादातर यात्री नाखुश दिखे.

रेलयात्रियों ने बजट पर दी प्रतिक्रिया.

रेलयात्री संजय सिंह ने बताया कि यह जो बजट आ रहा है. इससे रेलकर्मियों को खासी दिक्कत होगी. मोदी सरकार रेलवे के निजीकरण का निर्णय पहले से ही ले चुकी है. यह सरकार रेलवे को औद्योगिक घरानों में जा रही है. निजी ट्रेन का परिचालन काफी महंगा है जो लोगों के साथ धोखा है.

रेलयात्री सुरेंद्र मिश्रा ने इसे छलावा बताया है. तेजस जैसी ट्रेनों से यात्रियों का बहुत नुकसान नहीं है क्योंकि अन्य वीआइपी गाड़ियों की तुलना में उसका किराया सामान्य है, लेकिन जो 150 ट्रेन चलाने की बात कही है उनमें से ज्यादातर ट्रेनें लोकल होंगी. इसमें रोजमर्रा के काम करने वाले श्रमिक वर्ग के लोग सफर करते हैं. जब ये ट्रेनें निजी होंगी तो लाभ के चक्कर में मुनाफा कमाने के उद्देश्य इसका किराया महंगा होगा, जिसका असर आम लोगों पर पड़ेगा.

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रेलयात्री नितिन यादव ने कहा की इतने निजी ट्रेनों को चलाने की जरूरत नहीं थी. जो ट्रेनें चल रही हैं सिर्फ उन ट्रेनों में सुधार लाने की जरूरत थी. इनकी टाइमिंग, क्लीनिंग का ध्यान देना चाहिए था. निजी ट्रेनें आने का सीधा असर इन ट्रेनों के परिचालन पर पड़ेगा और लेटलतीफी बढ़ेगी.

महिला रेलयात्री दर्शना श्रीवास्तव ने बताया कि महिला और सीनियर सिटीजन को लोअर बर्थ मिलना चाहिए था. यात्रा के दौरान का अनुभव साझा करते हुए कहा बुजुर्ग महिला यात्री को ऊपर की बर्थ दी गई थी, जिससे उन्हें काफी दिक्कत हुई.

हालांकी रेल यात्री विवेक कुमार ने ट्रेनों के निजीकरण को सही और सुधारात्मक कदम करार देते हुए कहा कि घाटे में चलने वाले रेल को मोदी सरकार फायदे की ओर ले जाने का प्रयास कर रही है. पीपीपी मॉडल पर ट्रेनों का परिचालन जरूरी है क्योंकि लोगों के पास पैसा है, लेकिन सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं तो निजी ट्रेनों में सुविधाजनक और हाइजेनिक सफर हो तो अच्छा रहेगा.

Intro:चन्दौली - वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को बजट पेश किया. जिसमें रेलवे में पीपीपी मोड पर 150 ट्रेन चलाने की बात कहीं. साथ ही तेजस जैसी ट्रेनों की संख्या में भी इजाफा होगा. दिल्ली हावड़ा रेल रूट के बड़े स्टेशनों में शुमार डीडीयू जंक्शन पर ट्रेनों की संख्या और सुविधाओं पर ईटीवी भारत ने यात्रियों से बातचीत की. जिसमें ज्यादातर यात्री नाखुश दिखे.


Body:रेलयात्री संजय सिंह ने बताया कि यह जो बजट आ रहा है. इससे रेलकर्मियों को खासी दिक्कत होगी. मोदी सरकार रेलवे के निजीकरण का निर्णय पहले से ही ले चुकी है. यह सरकार रेलवे को औद्योगिक घरानों में जा रही है.निजी ट्रेन का परिचालन काफी महंगा है जो लोगों के साथ धोखा है.


रेलयात्री सुरेंद्र मिश्रा ने इसे छलावा बताया है. तेजस जैसी ट्रेनों से यात्रियों का बहुत नुकसान नहीं है. क्योंकि अन्य वीआइपी गाड़ियों की तुलना में उसका किराया सामान्य है. लेकिन जो डेढ़ सौ ट्रेन चलाने की बात कही है. उनमे से ज्यादातर ट्रेने लोकल होंगी. जिसमें रोजमर्रा के काम करने वाले श्रमिक वर्ग के लोग सफर करते है. जब ये ट्रेने निजी होंगी तो लाभ के चक्कर मे मुनाफा कमाने के उद्देश्य इसका किराया मंहगा होगा. जिसका आम लोगों पर पड़ेगा.


रेलयात्री नितिन यादव ने कहा की इतने निजी ट्रेनों को चलाने की जरूरत नहीं थी. जो ट्रेने चल रही है. सिर्फ उन ट्रेनों में सुधार लाने की जरूरत थी. इनकी टाइमिंग, क्लीनिंग का ध्यान देना चहिए था. निजी ट्रेने के आने का सीधा असर इन ट्रेनों के परिचालन पर पड़ेगा और लेटलतीफी बढ़ेगी.

रेल यात्री चंद्रभूषण ने बताया कि निजी ट्रेनों के रूप में देश को सौगात नहीं बल्कि उनकी जेब पर भर बढ़ाना है. जिसका सीधा असर आमजनमानस पर दिखेगा. इस बजट में महिलाओं और सीनियर सिटीजन के लिए कुछ नहीं किया गया. उनके लिए लोअर बर्थ की सुविधा सुनिश्चित होनी चाहिए.

महिला रेलयात्री दर्शना श्रीवस्तव ने बताया महिलाओं के लिए इस बजट में कोई लाभ मिला. महिला और सीनियर सिटीजन लोअर बर्थ मिलना चाहिए था. यात्रा के दौरान का अनुभव साझा करते हुए कहा बुजुर्ग महिला यात्री को ऊपर की बर्थ दी गई थी. जिससे उन्हें काफी दिक्कत का सामना करना पड़ा.

हालांकी रेल यात्री विवेक कुमार ने ट्रेनों के निजीकरण सही और सुधारात्मक कदम करार देते हुए कहा कि घाटे में चलने वाले रेल को मोदी सरकार फायदे की ओर ले जाने का प्रयास है. पीपीपी मोड़ ट्रेनों का परिचालन जरूरी है क्यों कि लोगों के पास पैसा है लेकिन सुविधाएं नहीं मिल पा रही है. तो निजी ट्रेनों में सुविधजेनिक हाइजेनिक सफर हो तो अच्छा रहेगा.




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Last Updated : Feb 2, 2020, 7:08 AM IST
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