चंदौली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को बजट पेश किया. इसमें रेलवे में पीपीपी मॉडल पर 150 ट्रेन चलाने की बात कही. साथ ही तेजस जैसी ट्रेनों की संख्या में भी इजाफा होगा. दिल्ली-हावड़ा रेल रूट के बड़े स्टेशनों में शुमार डीडीयू जंक्शन पर ट्रेनों की संख्या और सुविधाओं पर ईटीवी भारत ने यात्रियों से बातचीत की, जिसमें ज्यादातर यात्री नाखुश दिखे.
रेलयात्री संजय सिंह ने बताया कि यह जो बजट आ रहा है. इससे रेलकर्मियों को खासी दिक्कत होगी. मोदी सरकार रेलवे के निजीकरण का निर्णय पहले से ही ले चुकी है. यह सरकार रेलवे को औद्योगिक घरानों में जा रही है. निजी ट्रेन का परिचालन काफी महंगा है जो लोगों के साथ धोखा है.
रेलयात्री सुरेंद्र मिश्रा ने इसे छलावा बताया है. तेजस जैसी ट्रेनों से यात्रियों का बहुत नुकसान नहीं है क्योंकि अन्य वीआइपी गाड़ियों की तुलना में उसका किराया सामान्य है, लेकिन जो 150 ट्रेन चलाने की बात कही है उनमें से ज्यादातर ट्रेनें लोकल होंगी. इसमें रोजमर्रा के काम करने वाले श्रमिक वर्ग के लोग सफर करते हैं. जब ये ट्रेनें निजी होंगी तो लाभ के चक्कर में मुनाफा कमाने के उद्देश्य इसका किराया महंगा होगा, जिसका असर आम लोगों पर पड़ेगा.
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रेलयात्री नितिन यादव ने कहा की इतने निजी ट्रेनों को चलाने की जरूरत नहीं थी. जो ट्रेनें चल रही हैं सिर्फ उन ट्रेनों में सुधार लाने की जरूरत थी. इनकी टाइमिंग, क्लीनिंग का ध्यान देना चाहिए था. निजी ट्रेनें आने का सीधा असर इन ट्रेनों के परिचालन पर पड़ेगा और लेटलतीफी बढ़ेगी.
महिला रेलयात्री दर्शना श्रीवास्तव ने बताया कि महिला और सीनियर सिटीजन को लोअर बर्थ मिलना चाहिए था. यात्रा के दौरान का अनुभव साझा करते हुए कहा बुजुर्ग महिला यात्री को ऊपर की बर्थ दी गई थी, जिससे उन्हें काफी दिक्कत हुई.
हालांकी रेल यात्री विवेक कुमार ने ट्रेनों के निजीकरण को सही और सुधारात्मक कदम करार देते हुए कहा कि घाटे में चलने वाले रेल को मोदी सरकार फायदे की ओर ले जाने का प्रयास कर रही है. पीपीपी मॉडल पर ट्रेनों का परिचालन जरूरी है क्योंकि लोगों के पास पैसा है, लेकिन सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं तो निजी ट्रेनों में सुविधाजनक और हाइजेनिक सफर हो तो अच्छा रहेगा.