चंदौली: 26 जुलाई को विजय दिवस के रूप में मनाते हैं. यह वह दिन है जब भारतीय सेना को करगिल युद्ध में विजय हासिल हुई थी. 20 वर्ष बाद भी लोगों को यह जीत गौरवान्वित करती है. हर भारतवासी के लिए 26 जुलाई का दिन गौरवपूर्ण है. इस युद्ध में वायुसेना ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. इस मौके पर दीनदयाल नगर में रहने वाले सेवानिवृत्त वायुसैनिक मोहम्मद इकबाल आबिद ने ईटीवी भारत के साथ अपने अनुभव साझा किए.
करगिल युद्ध की कहानी, सैनिक की जुबानी-
आबिद ने बताया कि आज भी वह युद्ध के मंजर को नहीं भूले हैं. आबिद ने बताया कि 15 जून 1999 की रात 12 बजे अचानक सायरन बजने लगा. तब वे जामनगर, गुजरात के बेस कैंप में तैनात थे. युद्ध के एलान के बाद कुछ ही मिनटों में तैयार होकर कमांडिंग ऑफिस पहुंचे. उन्हें वहां करगिल वार छिड़ने की जानकारी दी गई. सभी जवानों ने 27 लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर, ट्रांसपोर्ट विमानों को तैयार करना शुरू कर दिया. आबिद उस समय मेंटेनेंस डिपार्टमेंट में तैनात थे.
एयर बेस की सुरक्षा भी उनकी जिम्मेदारी थी-
युद्ध के लिए विमानों को तैयार करने के साथ ही एयर बेस की सुरक्षा भी उनकी जिम्मेदारी थी. लगातार 40 दिन के पराक्रम के बाद भारतीय सेना ने जीत हासिल की. इस युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए मोहम्मद आबिद को ऑपरेशन विजय मेडल से सम्मानित भी किया गया. दीनदयाल नगर के काली महाल के रहने वाले आबिद फिलहाल दुबई की मल्टीनेशनल कंपनी में कार्यरत हैं. आबिद को वायु सेना में बेहतर प्रदर्शन और बहादुरी के लिए कई और मेडल भी मिले. आबिद ने बताया कि करगिल युद्ध में थल सेना के साथ भारतीय वायु सेना के पराक्रम से जीत का नतीजा सामने आया है. इससे दुश्मन देश आज भी दहलते हैं.
आबिद देश ने शहीद होने को गर्व की बात बताया. देश सेवा में जिस तरह का सम्मान सेना और समाज ने उन्हें दिया है, उसके लिए उन्होंने देश का शुक्रिया भी अदा किया. हालांकि देश की आन-बान और शान बढ़ाने के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले अमर शहीदों के परिवारों की स्थिति पर चिंता जताते हुए सरकार से शहीद के परिवार की बेहतर देखभाल की गुजारिश की. उन्होंने बातचीत में इच्छा जताई कि यदि उन्हें देश सेवा के लिए सरकार कभी भी मौका देगी तो पूरी तरह तैयार है.