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कारगिल विजय दिवस: 15 जून 1999 की रात 12 बजे अचानक बजने लगा था सायरन - mohammad iqbal aabid

कारगिल विजय दिवस की 20वीं सालगिरह पर करगिल युद्ध में तैनात पूर्व सैनिक मोहम्मद इकबाल आबिद ने अपने अनुभव को ईटीवी भारत के साथ साझा किया. आबिद उस समय वायु सेना में थे. आबिद ने बताया कि करगिल युद्ध में थल सेना के साथ भारतीय वायु सेना के पराक्रम से जीत का नतीजा सामने आया है.

ईटीवी भारत संवाददाता ने सेवानिवृत्त जवान मोहम्मद इकबाल आबिद से की बातचीत.
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Published : Jul 26, 2019, 2:53 AM IST

Updated : Jul 26, 2019, 9:19 AM IST

चंदौली: 26 जुलाई को विजय दिवस के रूप में मनाते हैं. यह वह दिन है जब भारतीय सेना को करगिल युद्ध में विजय हासिल हुई थी. 20 वर्ष बाद भी लोगों को यह जीत गौरवान्वित करती है. हर भारतवासी के लिए 26 जुलाई का दिन गौरवपूर्ण है. इस युद्ध में वायुसेना ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. इस मौके पर दीनदयाल नगर में रहने वाले सेवानिवृत्त वायुसैनिक मोहम्मद इकबाल आबिद ने ईटीवी भारत के साथ अपने अनुभव साझा किए.

करगिल युद्ध की कहानी, सैनिक की जुबानी-
आबिद ने बताया कि आज भी वह युद्ध के मंजर को नहीं भूले हैं. आबिद ने बताया कि 15 जून 1999 की रात 12 बजे अचानक सायरन बजने लगा. तब वे जामनगर, गुजरात के बेस कैंप में तैनात थे. युद्ध के एलान के बाद कुछ ही मिनटों में तैयार होकर कमांडिंग ऑफिस पहुंचे. उन्हें वहां करगिल वार छिड़ने की जानकारी दी गई. सभी जवानों ने 27 लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर, ट्रांसपोर्ट विमानों को तैयार करना शुरू कर दिया. आबिद उस समय मेंटेनेंस डिपार्टमेंट में तैनात थे.

ईटीवी भारत संवाददाता ने सेवानिवृत्त जवान मोहम्मद इकबाल आबिद से की बातचीत.

एयर बेस की सुरक्षा भी उनकी जिम्मेदारी थी-
युद्ध के लिए विमानों को तैयार करने के साथ ही एयर बेस की सुरक्षा भी उनकी जिम्मेदारी थी. लगातार 40 दिन के पराक्रम के बाद भारतीय सेना ने जीत हासिल की. इस युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए मोहम्मद आबिद को ऑपरेशन विजय मेडल से सम्मानित भी किया गया. दीनदयाल नगर के काली महाल के रहने वाले आबिद फिलहाल दुबई की मल्टीनेशनल कंपनी में कार्यरत हैं. आबिद को वायु सेना में बेहतर प्रदर्शन और बहादुरी के लिए कई और मेडल भी मिले. आबिद ने बताया कि करगिल युद्ध में थल सेना के साथ भारतीय वायु सेना के पराक्रम से जीत का नतीजा सामने आया है. इससे दुश्मन देश आज भी दहलते हैं.

आबिद देश ने शहीद होने को गर्व की बात बताया. देश सेवा में जिस तरह का सम्मान सेना और समाज ने उन्हें दिया है, उसके लिए उन्होंने देश का शुक्रिया भी अदा किया. हालांकि देश की आन-बान और शान बढ़ाने के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले अमर शहीदों के परिवारों की स्थिति पर चिंता जताते हुए सरकार से शहीद के परिवार की बेहतर देखभाल की गुजारिश की. उन्होंने बातचीत में इच्छा जताई कि यदि उन्हें देश सेवा के लिए सरकार कभी भी मौका देगी तो पूरी तरह तैयार है.

चंदौली: 26 जुलाई को विजय दिवस के रूप में मनाते हैं. यह वह दिन है जब भारतीय सेना को करगिल युद्ध में विजय हासिल हुई थी. 20 वर्ष बाद भी लोगों को यह जीत गौरवान्वित करती है. हर भारतवासी के लिए 26 जुलाई का दिन गौरवपूर्ण है. इस युद्ध में वायुसेना ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. इस मौके पर दीनदयाल नगर में रहने वाले सेवानिवृत्त वायुसैनिक मोहम्मद इकबाल आबिद ने ईटीवी भारत के साथ अपने अनुभव साझा किए.

करगिल युद्ध की कहानी, सैनिक की जुबानी-
आबिद ने बताया कि आज भी वह युद्ध के मंजर को नहीं भूले हैं. आबिद ने बताया कि 15 जून 1999 की रात 12 बजे अचानक सायरन बजने लगा. तब वे जामनगर, गुजरात के बेस कैंप में तैनात थे. युद्ध के एलान के बाद कुछ ही मिनटों में तैयार होकर कमांडिंग ऑफिस पहुंचे. उन्हें वहां करगिल वार छिड़ने की जानकारी दी गई. सभी जवानों ने 27 लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर, ट्रांसपोर्ट विमानों को तैयार करना शुरू कर दिया. आबिद उस समय मेंटेनेंस डिपार्टमेंट में तैनात थे.

ईटीवी भारत संवाददाता ने सेवानिवृत्त जवान मोहम्मद इकबाल आबिद से की बातचीत.

एयर बेस की सुरक्षा भी उनकी जिम्मेदारी थी-
युद्ध के लिए विमानों को तैयार करने के साथ ही एयर बेस की सुरक्षा भी उनकी जिम्मेदारी थी. लगातार 40 दिन के पराक्रम के बाद भारतीय सेना ने जीत हासिल की. इस युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए मोहम्मद आबिद को ऑपरेशन विजय मेडल से सम्मानित भी किया गया. दीनदयाल नगर के काली महाल के रहने वाले आबिद फिलहाल दुबई की मल्टीनेशनल कंपनी में कार्यरत हैं. आबिद को वायु सेना में बेहतर प्रदर्शन और बहादुरी के लिए कई और मेडल भी मिले. आबिद ने बताया कि करगिल युद्ध में थल सेना के साथ भारतीय वायु सेना के पराक्रम से जीत का नतीजा सामने आया है. इससे दुश्मन देश आज भी दहलते हैं.

आबिद देश ने शहीद होने को गर्व की बात बताया. देश सेवा में जिस तरह का सम्मान सेना और समाज ने उन्हें दिया है, उसके लिए उन्होंने देश का शुक्रिया भी अदा किया. हालांकि देश की आन-बान और शान बढ़ाने के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले अमर शहीदों के परिवारों की स्थिति पर चिंता जताते हुए सरकार से शहीद के परिवार की बेहतर देखभाल की गुजारिश की. उन्होंने बातचीत में इच्छा जताई कि यदि उन्हें देश सेवा के लिए सरकार कभी भी मौका देगी तो पूरी तरह तैयार है.

Intro:चंदोली - 26 जुलाई यानी विजय दिवस ये वो दिन है जब सबसे कठिन लड़ाई में से एक कारगिल युद्ध में विजय मिली थी. 20 वर्ष बाद भी लोगों को यह जीत गौरवान्वित करती है. हर भारतवासी के लिए 26 जुलाई का दिन गौरवपूर्ण है. लेकिन इसमें हुई तबाही लोगों के दिलों का आज भी सिहरा देती है. इस युद्ध में वायुसेना ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और युद्ध में शामिल है दीनदयाल नगर के सेवानिवृत्त जवान मोहम्मद इकबाल आबिद ने ईटीवी भारत के साथ अपने अनुभव साझा किये.

सुनिए कारगिल युद्ध की कहानी ...सैनिक की जुबानी....

Body:आबिद ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि आज भी युद्ध का वह मंजर वह भूले नहीं. आबिद के अनुसार 15 जून 1999 की रात 12 बजे अचानक सायरन बजने लगा. तब वे जामनगर गुजरात में बेस कैंप में तैनात है. अचानक युद्ध के ऐलान के बाद कुछ ही मिनटों में तैयार होकर कमांडिंग ऑफिस पहुंचे और उन्हें कारगिल वार छिड़ने की जानकारी दी गई. सभी जवान ने 27 लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर, ट्रांसपोर्ट विमानों को तैयार करना शुरू कर दिए। सुबह होते होते सभी विमान उड़ान भरनी शुरू कर दी. आबिद उस समय मेंटेनेंस डिपार्टमेंट में तैनात थे. युद्ध के लिए विमानों को तैयार करने के साथ ही एयर बेस की सुरक्षा भी उनकी जिम्मेदारी थी. लगातार 40 दिन के पराक्रम के बाद भारतीय सेना ने निर्णायक जीत हासिल की. इस युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए मोहम्मद आबिद को ऑपरेशन विजय मेडल से सम्मानित भी किया गया.

दीनदयाल नगर के काली महाल के रहने वाले आबिद फिलहाल दुबई की मल्टीनेशनल कंपनी को सेवा दे रहे है. आबिद को वायु सेना में बेहतर प्रदर्शन और बहादुरी के लिए कई और मेडल भी मिले. आबिद कहते हैं कि कारगिल युद्ध में थल सेना के साथ भारतीय वायु सेना के पराक्रम से जीत का नतीजा सामने आया है. जिससे दुश्मन देश आज भी दहलते हैं. कारगिल युद्ध के दौरान मुश्किल हालात में भी वायु सेना के जज्बे के बदौलत देश के जवानों ने जीत हासिल की. हालांकि अपने साथियों को याद कर आज भी आबिद की आंखें नम हो जाती है.

आबिद देश पर शहीद होने को गर्व की बात मानते हैं. देश सेवा में जिस तरह का सम्मान सेना और समाज ने उन्हें दिया है. उसके लिए उन्होंने देश का शुक्रिया भी अदा किया है. हालांकि देश की आन बान और शान बढ़ाने के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले अमर शहीदों के परिवारों की स्थिति पर चिंता जताते हुए सरकार से शहीद के परिवार की बेहतर देखभाल की गुजारिश की. जिससे सेना में जाने का जज्बा और विश्वास कायम रहे.

नौकरी से रिटायर हुए सालों बीत जाने के बाद देश भक्ति का जज्बा कम नहीं हुआ. उन्होंने बातचीत में इच्छा जताई कि यदि उन्हें देश सेवा के लिए सरकार कभी भी मौका देगी तो पूरी तरह तैयार है.


One to one with iqbal aabidConclusion:विजय दिवस ये वो दिन है जब सबसे कठिन लड़ाई में से एक कारगिल युद्ध में विजय मिली थी. 20 वर्ष बाद भी लोगों को यह जीत गौरवान्वित करने के साथ ही तबाही को याद कर लोग सिहर उठते है.

कमलेश गिरी
चन्दौली
9452845730


Note - मोजो में तकनीकी दिक्कत के चलते खबरें रैप से भेजी जा रही है...
Last Updated : Jul 26, 2019, 9:19 AM IST
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