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नो स्कूल, नो फीस को लेकर अभिभावकों का भूख हड़ताल जारी

वैश्विक महामारी कोरोना काल के चलते जहां देश की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा है. वहीं लोगों में बेरोजगारी और आमदनी भी कम हुई है. ऐसे में स्कूलों को बच्चों की फीस देना मुश्किल हो रहा है. इसी क्रम में दीनदयाल नगर में नो स्कूल नो फीस के नारे के साथ अभिभावकों का एक प्रतिनिधिमंडल भूख हड़ताल बैठा है.

भूख हड़ताल पर अभिभावक.
भूख हड़ताल पर अभिभावक.
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Published : Dec 15, 2020, 4:56 AM IST

चंदौलीः स्कूल फीस मुद्दे पर धरने पर अभिभावक संगठन के संयोजक सतनाम सिंह ने बताया कि कोरोना महामारी में लॉकडाउन के पहले चरण से अभी तक विद्यालय लगभग बंद ही चल रहे हैं. आगे कब तक बंद रहेंगे, यह कोई समय निश्चित नहीं है. दिखावे के रूप में ऑनलाइन की पढ़ाई को शुरू किया गया, परंतु ऑनलाइन पढ़ाई से केवल एक औपचारिकता ही पूरी हो रही है. बच्चों के समझ में कुछ भी नहीं आ रहा है.

ऑनलाइन पढ़ाई बेकार
इसका सीधा प्रमाण कुछ दिनों पहले जब चंदौली जिला अधिकारी ने स्कूल के बच्चों के साथ एक बैठक की तो उसमें सीधे संवाद में बच्चों ने जिलाधिकारी को बताया कि सर हमें ऑनलाइन पढ़ाई से कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है. मोबाइल नेटवर्क का हाल तो सबको मालूम ही है. शिक्षा के रूप में तो बच्चों तक कुछ भी पहुंच नहीं पा रहा है. ऑनलाइन पढ़ाई में कई तरह की समस्याएं भी सामने आ रही हैं.

मोबाइल पढ़ाई महत्वहीन
यहीं नहीं एक घर में दो से तीन बच्चे या उससे अधिक बच्चे हैं. इतनी मोबाइल हैंडसेट घर में नहीं हैं, जिससे वह क्लास नहीं कर पा रहे हैं. बहुत छोटे बच्चों को तो पढ़ाई बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रही है. उसके बाद बिल्डिंग, बिजली और सारी चीजें अभिभावकों की लग रही हैं.

विद्यालय प्रबंधकों को मिली है खुली छूट
अभिभावकों का आरोप है कि विद्यालय प्रबंधक की कोई भी चीज इस्तेमाल नहीं हो रही है. इसके बाद भी शासन और प्रबंधक अंधे और बहरे हो चुके हैं, जिनको यह सारी समस्याएं दिखाई नहीं पड़ रही है. शासन ने तो प्रबंधको को खुली छूट दे रखी है. लगान रूपी अभिभावकों से पैसे वसूलने की.

50 प्रतिशत फीस माफी की मांग

अभिभावकों ने यह मांग भी रखी कि हमें केवल विद्यालय की स्कूल फीस में से 50 प्रतिशत की रियायत दे दी जाए. बाकी फीस हम लोग देने को तैयार हैं. दूसरों को भी देने के लिए प्रेरित करेंगे.

चंदौलीः स्कूल फीस मुद्दे पर धरने पर अभिभावक संगठन के संयोजक सतनाम सिंह ने बताया कि कोरोना महामारी में लॉकडाउन के पहले चरण से अभी तक विद्यालय लगभग बंद ही चल रहे हैं. आगे कब तक बंद रहेंगे, यह कोई समय निश्चित नहीं है. दिखावे के रूप में ऑनलाइन की पढ़ाई को शुरू किया गया, परंतु ऑनलाइन पढ़ाई से केवल एक औपचारिकता ही पूरी हो रही है. बच्चों के समझ में कुछ भी नहीं आ रहा है.

ऑनलाइन पढ़ाई बेकार
इसका सीधा प्रमाण कुछ दिनों पहले जब चंदौली जिला अधिकारी ने स्कूल के बच्चों के साथ एक बैठक की तो उसमें सीधे संवाद में बच्चों ने जिलाधिकारी को बताया कि सर हमें ऑनलाइन पढ़ाई से कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है. मोबाइल नेटवर्क का हाल तो सबको मालूम ही है. शिक्षा के रूप में तो बच्चों तक कुछ भी पहुंच नहीं पा रहा है. ऑनलाइन पढ़ाई में कई तरह की समस्याएं भी सामने आ रही हैं.

मोबाइल पढ़ाई महत्वहीन
यहीं नहीं एक घर में दो से तीन बच्चे या उससे अधिक बच्चे हैं. इतनी मोबाइल हैंडसेट घर में नहीं हैं, जिससे वह क्लास नहीं कर पा रहे हैं. बहुत छोटे बच्चों को तो पढ़ाई बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रही है. उसके बाद बिल्डिंग, बिजली और सारी चीजें अभिभावकों की लग रही हैं.

विद्यालय प्रबंधकों को मिली है खुली छूट
अभिभावकों का आरोप है कि विद्यालय प्रबंधक की कोई भी चीज इस्तेमाल नहीं हो रही है. इसके बाद भी शासन और प्रबंधक अंधे और बहरे हो चुके हैं, जिनको यह सारी समस्याएं दिखाई नहीं पड़ रही है. शासन ने तो प्रबंधको को खुली छूट दे रखी है. लगान रूपी अभिभावकों से पैसे वसूलने की.

50 प्रतिशत फीस माफी की मांग

अभिभावकों ने यह मांग भी रखी कि हमें केवल विद्यालय की स्कूल फीस में से 50 प्रतिशत की रियायत दे दी जाए. बाकी फीस हम लोग देने को तैयार हैं. दूसरों को भी देने के लिए प्रेरित करेंगे.

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