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चंदौली डॉट्स सेंटर के बजट का आधा पैसा खर्च, नींव तक भी नहीं पहुंचा निर्माण

'वेंटिलेटर पर स्वास्थ्य विभाग' पार्ट-3 में ETV BHARAT ने चंदौली के खस्ताहाल आईसीयू वार्ड से आपको रूबरू कराया था. पार्ट-4 में आज जानिए चंदौली डॉट्स सेंटर के हालात.

सालों से अधर में लटका डॉट्स सेंटर.
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Published : Sep 20, 2019, 9:10 AM IST

चंदौली: बबुरी सीएचसी का अधूरा निर्माण...भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा इकौनी का सामुदायिक केन्द्र... और शो-पीस बना आईसीयू ....ईटीवी भारत अपनी सीरीज में लगातार आपको चंदौली स्वास्थ्य विभाग की खामियों से रूबरू करा रहा है. आज हम आपको बताएंगे चंदौली के डॉट्स सेंटर के हालात. इस डॉट्स सेंटर के नाम पर 37 लाख रुपये गमन हो गए, लेकिन भ्रष्टाचार की नींव पर दीवार तक खड़ी नहीं की जा सकी.

देखें खास रिपोर्ट.

लाखों रुपये की हुई बंदरबांट
बेहतर इलाज की आस में सरकार की तरफ टकटकी लगाए चंदौली का स्वास्थ्य महकमा अपनी बदहाली पर आसूं बहा रहा है. मुख्यालय स्थित जिला अस्पताल में टीबी रोगियों के इलाज के लिए अस्पताल खोलने की योजना सालों बाद भी परवान नहीं चढ़ सकी है. 75 लाख की इस परियोजना में जमकर बंदरबांट हुई. ऐसे में 37 लाख रुपये खर्च भी हो गए, लेकिन हैरान कर देने वाली बात तो ये है कि डॉट्स सेंटर की नींव तक भी तैयार नहीं हो सकी.

इसे भी पढ़ें- चंदौली: 3 साल से ICU तैयार पर मयस्सर नहीं इलाज, जिम्मेदार कौन

सालों से अधर में लटका डॉट्स सेंटर का निर्माण
सपा सरकार में डॉटस सेंटर का शुभारंभ हुआ था. 2015 में ही इस भवन निर्माण का काम पूरा हो जाना था, जो अब तक नहीं हो सका है. सालों से अधर में लटकी इस परियोजना पर विपक्ष लगातार हमलवार है. उनका कहना है कि पूर्ववर्ती सरकारों ने जिस काम को शुरू किया है. इस सरकार में वे सभी काम ठप पड़े हैं. ये सिर्फ विकास की बात करते हैं और काम नहीं करते.

इसे भी पढ़ें- 10 साल से अधर में लटका है चंदौली का इकौनी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र

जांच और कार्रवाई के नाम पर इस मामले को भी प्रशासन सालों से बस्ते में दबाए हुए है. केंद्र सरकार ने 2025 तक देश को क्षय रोग मुक्त कराने का लक्ष्य निर्धारित किया है, लेकिन सरकार की इस मंशा पर चंदौली स्वास्थ्य विभाग पानी फेर रहा है.

चंदौली: बबुरी सीएचसी का अधूरा निर्माण...भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा इकौनी का सामुदायिक केन्द्र... और शो-पीस बना आईसीयू ....ईटीवी भारत अपनी सीरीज में लगातार आपको चंदौली स्वास्थ्य विभाग की खामियों से रूबरू करा रहा है. आज हम आपको बताएंगे चंदौली के डॉट्स सेंटर के हालात. इस डॉट्स सेंटर के नाम पर 37 लाख रुपये गमन हो गए, लेकिन भ्रष्टाचार की नींव पर दीवार तक खड़ी नहीं की जा सकी.

देखें खास रिपोर्ट.

लाखों रुपये की हुई बंदरबांट
बेहतर इलाज की आस में सरकार की तरफ टकटकी लगाए चंदौली का स्वास्थ्य महकमा अपनी बदहाली पर आसूं बहा रहा है. मुख्यालय स्थित जिला अस्पताल में टीबी रोगियों के इलाज के लिए अस्पताल खोलने की योजना सालों बाद भी परवान नहीं चढ़ सकी है. 75 लाख की इस परियोजना में जमकर बंदरबांट हुई. ऐसे में 37 लाख रुपये खर्च भी हो गए, लेकिन हैरान कर देने वाली बात तो ये है कि डॉट्स सेंटर की नींव तक भी तैयार नहीं हो सकी.

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सालों से अधर में लटका डॉट्स सेंटर का निर्माण
सपा सरकार में डॉटस सेंटर का शुभारंभ हुआ था. 2015 में ही इस भवन निर्माण का काम पूरा हो जाना था, जो अब तक नहीं हो सका है. सालों से अधर में लटकी इस परियोजना पर विपक्ष लगातार हमलवार है. उनका कहना है कि पूर्ववर्ती सरकारों ने जिस काम को शुरू किया है. इस सरकार में वे सभी काम ठप पड़े हैं. ये सिर्फ विकास की बात करते हैं और काम नहीं करते.

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जांच और कार्रवाई के नाम पर इस मामले को भी प्रशासन सालों से बस्ते में दबाए हुए है. केंद्र सरकार ने 2025 तक देश को क्षय रोग मुक्त कराने का लक्ष्य निर्धारित किया है, लेकिन सरकार की इस मंशा पर चंदौली स्वास्थ्य विभाग पानी फेर रहा है.

Intro:चन्दौली - बीजेपी की डबल इंजन वाली सरकार आम जनता को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने की चाहे लाख दावे कर ले. लेकिन जमीनी हकीकत इससे अलग है. जिसकी हकीकत चन्दौली में बेपटरी हो चुकी स्वास्थ्य सेवाएं खुद बयां कर रही है. क्षय रोगियों के बेहतर इलाज बनने वाला डॉट्स सेंटर अभी कागजों तक ही सीमित है है. और भ्रष्टाचार की नीव पर दीवार भी खड़ी नहीं कि जा सकी. जिसका काम सालों से अधर में लटका पड़ा है.

Body:वीओ - बेहतर इलाज की आस में सरकार की तरफ टकटकी लगाए चंदौली का स्वास्थ्य महकमा अपनी बदहाली पर आसूं बहा रहा है. जिससे चन्दौली का जिला अस्पताल भी नहीं बच सका. केंद्र सरकार ने 2025 तक देश को क्षय रोग मुक्त कराने का लक्ष्य निर्धारित किया है. सरकार की इस मंशा पर स्वास्थ्य विभाग ही पानी फेर रहा है. हाल यह है कि जिला मुख्यालय स्थित पंडित कमलापति त्रिपाठी राजकीय जिला अस्पताल में क्षय रोगियों के इलाज के लिए अस्पताल खोलने की योजना सालों बाद ही परवान नहीं चढ़ सकी. 75 लाख की इस परियोजना में भी धन की जमकर बंदरबांट हो गई, और 37 लाख रुपए खर्च करने के बाद भी क्षयरोग निवारण अस्पताल की नींव भी तैयार नहीं हो सकी. क्षय रोग के समूल नाश के लिए शासन भी प्रतिबद्ध नहीं है. जिला अस्पताल परिसर में बनने वाली बिल्डिंग के निर्माण की बंदरबांट की वजह से पूरी परियोजना अधर में लटकी पड़ी है, पिछली सपा सरकार में इसका शुभारंभ हुआ हुआ था. जो 75 लाख की अनुमानित लागत से बनना था. 2015 में ही इस भवन निर्माण का काम पूरा हो जाना था. जो अब तक नहीं हो सकता.

वॉक थ्रू

अब सालों से अधर में लटके इस परियोजना पर विपक्ष हमलवार है .उनका कहना पूर्ववर्ती सरकारों ने जिस काम को शुरू किया है. पैसा दिया. इस सरकार में वे सभी काम ठप पड़े है. ये सिर्फ विकास की बात करते है काम नहीं करते है.

बाइट - रामकिशुन यादव (पूर्व सांसद)

वीओ - हालांकि इसके निर्माण में हो रही देरी पर भी सीएमओ साहब का कहना है कि वहीं क्षय रोगियों के बेहतर इलाज के लिए 10 बेड का अस्पताल बनना था. लेकिन धन में हुई बंदरबाट की वजह से रुका पड़ा है. इसके लिए संबंधित जेई व ठेकेदार के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया है. जिसकी जांच आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्लू) कर रही है.इस पूरे मामले से शासन को अवगत करा दिया गया है. जांच के बाद शासन के निर्देश पर आगे की कार्रवाई की जाएगी. और बहुत जल्द इसका निर्माण कराया जाएगा. लेकिन पता नहीं कब तक ?

बाइट - आर के मिश्रा (सीएमओ चन्दौली)

एफवीओ - गौरतलब है कि जिले का ये हाल तब है जब चन्दौली केंद्रीय मंत्री डॉ महेंद्र नाथ पांडेय का संसदीय क्षेत्र है. यहीं नहीं चंदौली एस्पेरेशनल डिस्ट्रिक्ट (अकांक्षात्मक जिला) में चयनित है और स्वास्थ्य उसके प्रमुख इंडिकेटर में शामिल है. बावजूद इसके डॉट्स सेंटर सालों से अधूरा पड़ा है.Conclusion:Kamalesh giri
Chandauli
9452845730


Note - सुधीर सर और राहुल तिवारी जी के ध्यानार्थ विशेष इनपुट स्टोरी ...
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