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चंदौलीः NGT के मानक पर फेल हुए निजी अस्पताल, बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम बदहाल

यूपी के चंदौली में एनजीटी के निर्देश पर अस्पतालों से निकलने वाली बायो मेडिकल वेस्ट निस्तारण व्यवस्था की जांच की जा रही है. इसमें 30 बिंदुओं को ध्यान में रखकर व्यवस्थाओं को परखा जा रहा है. अभी तक कि जांच में बायो मेडिकल वेस्ट निस्तारण की व्यवस्था बदहाल नजर आई है.

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डॉ. नीलम ओझा, एडिशनल सीएमओ
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Published : Jan 7, 2020, 6:55 AM IST

चंदौलीः बिगड़ते पर्यावरण और बढ़ते प्रदूषण के मद्देनजर अस्पतालों से निकलने वाली बायो मेडिकल वेस्ट के निस्तारण को लेकर एनजीटी ने सख्ती दिखाते हुए इसके निस्तारण की रिपोर्ट मांगी है. इसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने आनन-फानन में टीम गठित कर जिले भर के निजी और सरकारी अस्पतालों समेत पैथोलॉजी सेंटरों से निकलने वाले बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट की जांच पड़ताल शुरू कर दी है. सके लिए सीएमओ ने 10 नोडल अफसरों की चार-;चार सदस्यीय टीमें बनाई हैं.

बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम बदहाल.

10 जनवरी तक भेजनी है रिपोर्ट
इसी क्रम में दीनदयाल नगर की नोडल अधिकारी एडिशनल सीएमओ डॉ. नीलम ओझा के नेतृत्व में गठित चार सदस्यी टीम ने सोमवार को दीनदयाल नगर स्थित निजी अस्पतालों में वेस्ट मैनेजमेंट के निस्तारण की हकीकत देखी. शासन की ओर से दिए गए 30 बिंदुओं पर व्यवस्थाओं को परखा. जांच में नगर के ज्यादातर निजी अस्पतालों में अपशिष्ट निस्तारण की व्यवस्था ठीक नहीं पाई गई और मानकों पर खरे नहीं उतरे. इसकी रिपोर्ट 10 जनवरी तक महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं लखनऊ को जानी है.

मेडिकल वेस्ट एकत्रित करने वाली कंपनियां भी होंगी जांच के दायरे में
दरअसल जिले में सरकारी और निजी अस्पतालों समेत पैथोलॉजी सेंटर से निकलने वाले बायो मेडिकल वेस्ट को एकत्र करने का काम निजी संस्था सिलिकॉन और सीपीसी कंपनियां करती हैं. इस जांच में कलेक्शन को लेकर कंपनियों के कार्य प्रणाली भी, जांच के दायरे में होगी. इस बात की भी जांच की जा रही है कि कंपनियां अस्पतालों से निकलने वाले मेडिकल वेस्ट का कलेक्शन करती भी है या नहीं. उनकी ओर से कलेक्शन नहीं किया जाता है तो रिपोर्ट में इसको भी शामिल किया जाएगा और संबंधित संस्था के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

इसे भी पढे़ं-चन्दौली में गरीब रथ डिरेल, बड़ा हादसा टला

जिले में इतने हैं अस्पताल और पैथोलॉजी सेंटर
गौरतलब है कि जिले में कुल 695 अस्पताल और पैथोलॉजी सेंटर है, जिसमें दो जिला अस्पताल चन्दौली और चकिया में संचालित है. इसके अलावा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चार, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पांच, नवीन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र 20, आयुर्वेदिक अस्पताल 30, होम्योपैथिक अस्पताल 20, उप स्वास्थ्य केंद्र 248, दीनदयाल नगर में दो अर्बन हेल्थ सेंटर, निजी अस्पताल 275 जबकि जिले में कुल 88 जांच केंद्र है.

बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर कमोबेश जिले भर के सभी निजी अस्पतालों का यही हाल है. या यूं कहें कि जिले के निजी अस्पताल बीमारी का इलाज नहीं बल्कि बीमारी बांट रहे हैं.

एनजीटी के निर्देश पर अस्पतालों और पैथोलॉजी सेंटरों की बायो मेडिकल वेस्ट निस्तारण व्यवस्था की जांच की जा रही है. कुछ जगह ठीक पाई गई है और कुछ गड़बड़ भी पाई गई इसकी रिपोर्ट बनाकर 10 जनवरी तक महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं लखनऊ को भेजना है.
-डॉ. नीलम ओझा, एडिशनल सीएमओ

चंदौलीः बिगड़ते पर्यावरण और बढ़ते प्रदूषण के मद्देनजर अस्पतालों से निकलने वाली बायो मेडिकल वेस्ट के निस्तारण को लेकर एनजीटी ने सख्ती दिखाते हुए इसके निस्तारण की रिपोर्ट मांगी है. इसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने आनन-फानन में टीम गठित कर जिले भर के निजी और सरकारी अस्पतालों समेत पैथोलॉजी सेंटरों से निकलने वाले बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट की जांच पड़ताल शुरू कर दी है. सके लिए सीएमओ ने 10 नोडल अफसरों की चार-;चार सदस्यीय टीमें बनाई हैं.

बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम बदहाल.

10 जनवरी तक भेजनी है रिपोर्ट
इसी क्रम में दीनदयाल नगर की नोडल अधिकारी एडिशनल सीएमओ डॉ. नीलम ओझा के नेतृत्व में गठित चार सदस्यी टीम ने सोमवार को दीनदयाल नगर स्थित निजी अस्पतालों में वेस्ट मैनेजमेंट के निस्तारण की हकीकत देखी. शासन की ओर से दिए गए 30 बिंदुओं पर व्यवस्थाओं को परखा. जांच में नगर के ज्यादातर निजी अस्पतालों में अपशिष्ट निस्तारण की व्यवस्था ठीक नहीं पाई गई और मानकों पर खरे नहीं उतरे. इसकी रिपोर्ट 10 जनवरी तक महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं लखनऊ को जानी है.

मेडिकल वेस्ट एकत्रित करने वाली कंपनियां भी होंगी जांच के दायरे में
दरअसल जिले में सरकारी और निजी अस्पतालों समेत पैथोलॉजी सेंटर से निकलने वाले बायो मेडिकल वेस्ट को एकत्र करने का काम निजी संस्था सिलिकॉन और सीपीसी कंपनियां करती हैं. इस जांच में कलेक्शन को लेकर कंपनियों के कार्य प्रणाली भी, जांच के दायरे में होगी. इस बात की भी जांच की जा रही है कि कंपनियां अस्पतालों से निकलने वाले मेडिकल वेस्ट का कलेक्शन करती भी है या नहीं. उनकी ओर से कलेक्शन नहीं किया जाता है तो रिपोर्ट में इसको भी शामिल किया जाएगा और संबंधित संस्था के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

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जिले में इतने हैं अस्पताल और पैथोलॉजी सेंटर
गौरतलब है कि जिले में कुल 695 अस्पताल और पैथोलॉजी सेंटर है, जिसमें दो जिला अस्पताल चन्दौली और चकिया में संचालित है. इसके अलावा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चार, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पांच, नवीन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र 20, आयुर्वेदिक अस्पताल 30, होम्योपैथिक अस्पताल 20, उप स्वास्थ्य केंद्र 248, दीनदयाल नगर में दो अर्बन हेल्थ सेंटर, निजी अस्पताल 275 जबकि जिले में कुल 88 जांच केंद्र है.

बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर कमोबेश जिले भर के सभी निजी अस्पतालों का यही हाल है. या यूं कहें कि जिले के निजी अस्पताल बीमारी का इलाज नहीं बल्कि बीमारी बांट रहे हैं.

एनजीटी के निर्देश पर अस्पतालों और पैथोलॉजी सेंटरों की बायो मेडिकल वेस्ट निस्तारण व्यवस्था की जांच की जा रही है. कुछ जगह ठीक पाई गई है और कुछ गड़बड़ भी पाई गई इसकी रिपोर्ट बनाकर 10 जनवरी तक महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं लखनऊ को भेजना है.
-डॉ. नीलम ओझा, एडिशनल सीएमओ

Intro:चंदौली - बिगड़ते पर्यावरण और बढ़ते प्रदूषण के मद्देनजर अस्पतालों से निकलने वाली बायो मेडिकल वेस्ट के निस्तारण को लेकर एनजीटी ने शक्ति दिखाते हुए इसके निस्तारण की रिपोर्ट मांगी है इसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने आनन-फानन में टीम गठित कर जिले भर के निजी व सरकारी अस्पतालों समेत पैथोलॉजी सेंटरों से निकलने वाले बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट की जांच पड़ताल शुरू कर दी है इसके लिए सीएमओ ने 10 नोडल अफसरों की चार चार सदस्यीय टीम बनाई है.




Body:इसी क्रम में दीनदयाल नगर की नोडल अधिकारी एडिशनल सीएमओ डॉक्टर नीलम ओझा के नेतृत्व में गठित 4 सदस्यी टीम दीनदयाल नगर स्थित निजी अस्पतालों में वेस्ट मैनेजमेंट के निस्तारण की हकीकत देख. शासन की ओर से दिए गए 30 बिंदुओं पर व्यवस्थाओं को परखा. जांच में नगर के ज्यादातर निजी अस्पतालों में अपशिष्ट निस्तारण की व्यवस्था ठीक नहीं पाई गई औऱ मानकों पर खरे नहीं उतरे. इसकी रिपोर्ट 10 जनवरी तक महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं लखनऊ को भी जानी है.

दरअसल जिले में सरकारी निजी अस्पतालों समेत पैथोलॉजी सेंटर से निकलने वाले बायो मेडिकल वेस्ट को एकत्र करने का काम निजी संस्था सिलिकॉन और सीपीसी कंपनियां करती हैं इस जांच में कलेक्शन को लेकर कंपनियों के कार्य प्रणाली की भी जांच के दायरे में होगी इस बात की भी जांच की जा रही है कंपनियां अस्पतालों से निकलने वाले मेडिकल वेस्ट का कलेक्शन करती भी है या नहीं उनकी ओर से कलेक्शन नहीं किया जाता है तो रिपोर्ट में इस था देखो भी शामिल किया जाएगा और संबंधित संस्था के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी

गौरतलब है कि जिले में कुल 695 अस्पताल व पैथोलॉजी सेंटर है जिसमें दो जिला अस्पताल चन्दौली व चकिया में संचालित है. इसके अलावा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चार, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पांच, नवीन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र 20, आयुर्वेदिक अस्पताल 30, होम्योपैथिक अस्पताल 20, उप स्वास्थ्य केंद्र 248, दीनदयाल नगर में दो अर्बन हेल्थ सेंटर, निजी अस्पताल 275 जबकि जिले में कुल 88 जांच केंद्र है.

बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर कमोबेश जिले भर के सभी निजी अस्पतालों का यहीं हाल है. या यूं कहें कि जिले के निजी अस्पताल बीमारी का इलाज नहीं बल्कि बीमारी बांट रहे है.

बाइट - डॉ नीलम ओझा (एडिशनल सीएमओ)


Conclusion:कमलेश गिरी
चन्दौली
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