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Chandauli News : कोरोना की तरह सताने लगा H3N2 इन्फ्लूएंजा वायरस, जानिए बचाव के उपाय - मुगलसराय चंदौली

देश के कई हिस्सों में एच3एन2 इन्फ्लूएंजा वायरस का प्रकोप देखने को मिला है. इस वायरस की गिरफ्त में चंदौली के लोग भी आ रहे हैं. संक्रमण के दौरान मरीजों में खांसी, बुखार, मतली, उल्टी, गले में खराश, बदन दर्द और दस्त आदि लक्षण देखे जा रहे हैं.

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Published : Mar 13, 2023, 12:14 PM IST

चन्दौली : कोरोना महामारी से उबरने के बाद अब इन्फ्लूएंजा वायरस H3N2 ने चिंता बढ़ा दी है. देश के कई हिस्सों में एच3एन2 इन्फ्लूएंजा वायरस (H3N2 Influenza Virus) का प्रकोप तेजी से फैल रहा है. पिछले कुछ हफ्तों में इसके मामले तेजी से बढ़े हैं. ऐसे में बचाव बहुत जरूरी है. मरीजों में खांसी, बुखार, मतली, उल्टी, गले में खराश, बदन दर्द और दस्त जैसे लक्षण देखे जा रहे हैं. संक्रमण के लक्षण पांच से सात दिनों तक बने रह सकते हैं. एच3एन2 से होने वाला बुखार तीन दिनों में उतर जाता है, लेकिन खांसी के लक्षण तीन हफ्ते तक बने रह सकते हैं. इसके लक्षण सीजनल कोल्ड और कफ की तरह होते हैं. इसकी चपेट में ज्यादातर बुजुर्ग या 15 साल से कम उम्र के बच्चे आ रहे हैं.

नेशनल इंटीग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन (नीमा) के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. ओपी सिंह ने बताया कि संक्रमण से होने वाले बुखार और खांसी को कुछ आसान घरेलू उपायों के जरिए भी ठीक किया जा सकता है. जिसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होगा. डॉ. ओपी सिंह के अनुसार हल्दी में पाए जाने वाले करक्यूमिन पदार्थ में एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीवायरल और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं. हल्दी खांसी और बुखार का बढ़िया इलाज है. इसकी पाॅवर बढ़ाने के लिए आप इसे काली मिर्च के साथ ले सकते हैं. आप एक चम्मच हल्दी और 1/8 चम्मच काली मिर्च को संतरे के रस, चाय या सूप में मिलाकर ले सकते हैं. यह ब्रोंकाइटिस, अस्थमा और ऊपरी श्वसन रोगों से निपटने के लिए शक्तिशाली इलाज है. हाइड्रेटेड रहने से शरीर को संक्रमण से लड़ने की ताकत मिलती है. इसके लिए बहुत सारे तरल पदार्थ जैसे पानी, डिकैफ़िनेटेड चाय, जूस और सूप लें. मीठे पेय पदार्थ, सोडा, शराब और कॉफी जैसे पेय पदार्थों से बचें. प्यास नहीं लगने पर भी पानी पीते रहें.

विटामिन सी से भरपूर चीजें खाएं : विटामिन सी से भरपूर फल और सब्जियां आपके इम्यून सिस्टम को मजबूत करती हैं और आपको सर्दी और खांसी पैदा करने वाले वायरस से बचाती हैं. आंवला, संतरा, नींबू जैसी चीजों का खूब सेवन करें. सर्दी, बुखार, खांसी और फ्लू के अन्य लक्षणों को खत्म करने के लिए अदरक एक पाॅवरफुल जड़ी बूटी है. आप लक्षणों को कम करने के लिए अदरक की चाय या फिर अदरक का पानी पी सकते हैं. नमक के पानी से गरारे करने से ऊपरी श्वसन संक्रमण को रोकने में मदद मिल सकती है. यह बुखार और खांसी को कम करने में मदद करता है, साथ ही गले के संक्रमण को भी कम करता है। नमक के पानी से गरारे करने से बलगम कम होता है और ढीला होता है, जो बैक्टीरिया और एलर्जी का बड़ा कारण है. शहद, अदरक और तुलसी को पावरफुल जड़ी बूटी माना जाता है. सर्दी, खांसी और बुखार के लक्षणों को कम करने के लिए सादा पानी पीने के बजाय पानी में शहद, अदरक और तुलसी को उबालकर पिएं. इससे साइनस को खोलने, गले का संक्रमण खत्म करने और खांसी रोकने में मदद मिल सकती है.


बुखार में आराम करें : बुखार से आपका शरीर कमजोर हो सकता है, क्योंकि उसे संक्रमण से लड़ने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है. इसलिए जितना हो सके आराम करें. साथ ही कोई भी हार्ड फिजिकल एक्टिविटी न करें रात को आठ से नौ घंटे या ज्यादा सोने की कोशिश करें. अक्सर देखा गया है कि बहुत से लोग बुखार होने पर मोटा कंबल ओढ़कर सोते रहते हैं या हमेशा मोटे कपड़े पहनते हैं. इसके बजाय हल्के कपड़े पहनें, गुनगुने पानी से नहाएं, कमरे के तापमान का पानी पिएं. सबसे बड़ी बात ठंड लगने पर बहुत अधिक कंबलों का उपयोग करने से बचने का प्रयास करें.

चन्दौली : कोरोना महामारी से उबरने के बाद अब इन्फ्लूएंजा वायरस H3N2 ने चिंता बढ़ा दी है. देश के कई हिस्सों में एच3एन2 इन्फ्लूएंजा वायरस (H3N2 Influenza Virus) का प्रकोप तेजी से फैल रहा है. पिछले कुछ हफ्तों में इसके मामले तेजी से बढ़े हैं. ऐसे में बचाव बहुत जरूरी है. मरीजों में खांसी, बुखार, मतली, उल्टी, गले में खराश, बदन दर्द और दस्त जैसे लक्षण देखे जा रहे हैं. संक्रमण के लक्षण पांच से सात दिनों तक बने रह सकते हैं. एच3एन2 से होने वाला बुखार तीन दिनों में उतर जाता है, लेकिन खांसी के लक्षण तीन हफ्ते तक बने रह सकते हैं. इसके लक्षण सीजनल कोल्ड और कफ की तरह होते हैं. इसकी चपेट में ज्यादातर बुजुर्ग या 15 साल से कम उम्र के बच्चे आ रहे हैं.

नेशनल इंटीग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन (नीमा) के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. ओपी सिंह ने बताया कि संक्रमण से होने वाले बुखार और खांसी को कुछ आसान घरेलू उपायों के जरिए भी ठीक किया जा सकता है. जिसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होगा. डॉ. ओपी सिंह के अनुसार हल्दी में पाए जाने वाले करक्यूमिन पदार्थ में एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीवायरल और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं. हल्दी खांसी और बुखार का बढ़िया इलाज है. इसकी पाॅवर बढ़ाने के लिए आप इसे काली मिर्च के साथ ले सकते हैं. आप एक चम्मच हल्दी और 1/8 चम्मच काली मिर्च को संतरे के रस, चाय या सूप में मिलाकर ले सकते हैं. यह ब्रोंकाइटिस, अस्थमा और ऊपरी श्वसन रोगों से निपटने के लिए शक्तिशाली इलाज है. हाइड्रेटेड रहने से शरीर को संक्रमण से लड़ने की ताकत मिलती है. इसके लिए बहुत सारे तरल पदार्थ जैसे पानी, डिकैफ़िनेटेड चाय, जूस और सूप लें. मीठे पेय पदार्थ, सोडा, शराब और कॉफी जैसे पेय पदार्थों से बचें. प्यास नहीं लगने पर भी पानी पीते रहें.

विटामिन सी से भरपूर चीजें खाएं : विटामिन सी से भरपूर फल और सब्जियां आपके इम्यून सिस्टम को मजबूत करती हैं और आपको सर्दी और खांसी पैदा करने वाले वायरस से बचाती हैं. आंवला, संतरा, नींबू जैसी चीजों का खूब सेवन करें. सर्दी, बुखार, खांसी और फ्लू के अन्य लक्षणों को खत्म करने के लिए अदरक एक पाॅवरफुल जड़ी बूटी है. आप लक्षणों को कम करने के लिए अदरक की चाय या फिर अदरक का पानी पी सकते हैं. नमक के पानी से गरारे करने से ऊपरी श्वसन संक्रमण को रोकने में मदद मिल सकती है. यह बुखार और खांसी को कम करने में मदद करता है, साथ ही गले के संक्रमण को भी कम करता है। नमक के पानी से गरारे करने से बलगम कम होता है और ढीला होता है, जो बैक्टीरिया और एलर्जी का बड़ा कारण है. शहद, अदरक और तुलसी को पावरफुल जड़ी बूटी माना जाता है. सर्दी, खांसी और बुखार के लक्षणों को कम करने के लिए सादा पानी पीने के बजाय पानी में शहद, अदरक और तुलसी को उबालकर पिएं. इससे साइनस को खोलने, गले का संक्रमण खत्म करने और खांसी रोकने में मदद मिल सकती है.


बुखार में आराम करें : बुखार से आपका शरीर कमजोर हो सकता है, क्योंकि उसे संक्रमण से लड़ने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है. इसलिए जितना हो सके आराम करें. साथ ही कोई भी हार्ड फिजिकल एक्टिविटी न करें रात को आठ से नौ घंटे या ज्यादा सोने की कोशिश करें. अक्सर देखा गया है कि बहुत से लोग बुखार होने पर मोटा कंबल ओढ़कर सोते रहते हैं या हमेशा मोटे कपड़े पहनते हैं. इसके बजाय हल्के कपड़े पहनें, गुनगुने पानी से नहाएं, कमरे के तापमान का पानी पिएं. सबसे बड़ी बात ठंड लगने पर बहुत अधिक कंबलों का उपयोग करने से बचने का प्रयास करें.

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