चंदौली: एस्पेरिशनल डिस्ट्रिक्ट की डेल्टा रैंकिंग में देश की टॉप थ्री सूची में शामिल चंदौली जनपद आज आईजीआरएस निपटारे में प्रदेश में सबसे जिले के सबसे निचले पायदान पर है. लापरवाह व कामचोर अफसरों की महिमा अपरंपार है. वह लोगों की शिकायतों व समस्याओं को मौके पर जाकर देखकर व सुनकर हल करने के बजाय टालते जाते हैं और मातहतों की बात को सच मानकर गलत तरीके से निस्तारित कर देते हैं. लोग आईजीआरएस पोर्टल पर अपनी समस्याओं को लिखकर हल होने की आस लगाते हैं, लेकिन यहां शिकायतें दर्ज होने के बाद भी कुछ नहीं होता है. शायद इसीलिए चंदौली जिला प्रदेश में सबसे फिसड्डी बन गया है.
प्रदेश में जिले को मिला 75वां स्थान
आईजीआरएस पोर्टल पर शिकायतों को हल करने के मामले में चंदौली जिला प्रदेश में 75वें स्थान पर पहुंच गया है. इससे जिले के आला अधिकारियों के लिए शासन स्तर पर जवाब देना मुश्किल होता जा रहा है और उनकी ईमानदार कार्यशैली की पोल भी खुलने लगी है. यह हाल तब है जब जिलाधिकारी ने निस्तारण की नियमित समीक्षा किया करते हैं, लेकिन लापरवाह व बहानेबाज अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं करते है.
वहीं इस पूरे मामले पर जिलाधिकारी संजीव सिंह का कहना है कि आईजीआरएस पोर्टल पर आने वाली शिकायतों के गुणवत्तापूर्ण निस्तारण का निर्देश विभागाध्यक्षों को दिया गया है. इसकी समीक्षा के लिए समिति गठित की गई है. जिस विभाग की स्थिति खराब होगी, उस विभागाध्यक्ष के खिलाफ कार्रवाई तय है. बहानेबाजी व लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
आईजीआरएस पोर्टल पर होती है उम्मीद
आमतौर पर ऐसा देखा जाता है कि जब लोग सब जगह गुहार लगाकर थक जाते हैं. तो आईजीआरएस पोर्टल पर इस उम्मीद के साथ शिकायत करते हैं कि यहां शिकायत करने पर उनकी समस्या हल हो जाएगी और अधिकारी इसे गंभीरता से लेकर सुनेंगे. सबको इस बात का भरोसा रहता है कि उनके मामले को शासन-प्रशासन जरूर संज्ञान लेगा, लेकिन अधिकारी ऑनलाइन शिकायतों के निस्तारण को लेकर गंभीर नहीं देखे जा रहे हैं.
राजस्व, सिंचाई, ग्राम्य विकास की सर्वाधिक शिकायतें
जिले में राजस्व, सिंचाई, ग्राम्य विकास समेत अन्य विभागों की शिकायतें समय से निस्तारित न होने की वजह से डिफाल्टर की श्रेणी में शामिल हो गईं. अगस्त माह की रैंकिग में जिला 75वें स्थान पर पहुंच गया.जबकि शासन स्तर से शिकायतों के निस्तारण की लगातार समीक्षा की जा रही है.
ऐसे बनती है रैंकिग
आईजीआरएस पोर्टल पर आने वाली शिकायतों के निस्तारण पर अंक दिए जाते हैं. शिकायतों की मार्किंग और अग्रसारण के लिए 10 नंबर, जीरो डिफाल्टर संदर्भ होने पर 50, सी श्रेणी के संदर्भ पर 15, शिकायतों को श्रेणीबद्ध करने पर 10 और संदर्भों की फीडिंग पर 10 नंबर दिए जाते हैं. इसके आधार पर ही रैंकिग तय होती है.
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