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दत्तक पुत्री ने दी मां को मुखाग्नि, एक बार फिर हो गई अनाथ

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Published : Jan 6, 2021, 6:04 AM IST

यूपी के चंदौली में एक मुंहबोली बेटी ने मां को मुखाग्नि दी. मां को मुखाग्नि देने के बाद मिनाक्षी एक बार फिर से अनाथ हो गई. इस दौरान वहां मौजूद सभी लोगों की आंखे नम थीं.

दत्तक पुत्री ने दी मां को मुखाग्नि
दत्तक पुत्री ने दी मां को मुखाग्नि

चंदौलीः यूं तो हिन्दू रीति रिवाज के अनुसार बेटा ही मां-बाप को मुखाग्नि देता है. श्मशान घाट पर मां की चिता को मुखाग्नि देती बेटी की तस्वीर दशकों में कभी कभार ही देखने और सुनने को भी मिलती है. यह उन लोगों के लिए एक सीख भी होती है, जो बेटियों को बोझ समझते हैं. खास बात यह कि पुत्र बनकर मां को मोक्ष प्रदान करने वाली मिनाक्षी मुंहबोली बेटी है. जो इस तस्वीर को और अतुलनीय बना देती है.

मुंह बोली बेटी ने दी मुखाग्नि
यह तस्वीर है मुगलसराय के काली महाल निवासी राजकुमारी देवी और मीनाक्षी की. बता दें कि राजकुमारी का मंगलवार को बीमारी के चलते निधन हो गया. मिनाक्षी ने मां के पार्थिव शरीर को मुक्तिधाम में मुखाग्नि दी. जिसको लेकर इलाके में खूब चर्चा है.

सेना में रहे पति की कर दी गई थी हत्या
मुगलसराय क्षेत्र के रौना गांव निवासी राजकुमारी देवी के पति दयाशंकर तिवारी सेना में थे. वर्ष 1990 में गांव में ही आपसी विवाद में दयाशंकर तिवारी की धारदार हथियार से हत्या कर दी गई. कम उम्र में ही राजकुमारी विधवा हो गईं. पति की मौत के बाद राजकुमारी अपने एक वर्ष के पुत्र रंजीत के साथ मुगलसराय के काली महाल में मकान बनवाकर रहने लगीं.

बीमारी के चलते बेटे की भी हो गई थी मौत
नियति का क्रूर खेल ऐसा कि 25 वर्षीय पुत्र रंजीत तिवारी का भी बीमारी के कारण निधन हो गया. जिसके बाद परिवार और सगे संबंधियों ने साथ नहीं दिया तो राजकुमारी हर तरह से टूट गई. इसी दौरान शहर में ही राजकुमारी को सड़क पर भटकती छह साल की मासूम मिनाक्षी मिली. जिसे राजकुमारी ने अपना लिया.

मीनाक्षी ने दी मां को मुखाग्नि
मिनाक्षी जब बड़ी हुई तो उसने भी मां की सेवा में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी. मंगलवार को लंबी बीमारी के चलते जब राजकुमारी का निधन हुआ तो मिनाक्षी पुत्र बनकर श्मशान घाट पर मां की चिता को मुखाग्नि भी दी.

सड़क पर मिली बेटी को अपनाया था
गौरतलब है कि सड़क पर लावारिश मिली बेटी अभी भी नाबालिग है. शायद राजकुमारी को भी नहीं मालूम था कि जिस बेटी को उसने सहारा दिया था. वही उसके अंतिम समय में बेटे का भी फर्ज निभाएगी. अब इसे नियति का क्रूर अंजाम ही कहिए या किस्मत का खेल जो नम आंखों से मां को मुखाग्नि देकर मिनाक्षी एक बार फिर से अनाथ हो गई है.

चंदौलीः यूं तो हिन्दू रीति रिवाज के अनुसार बेटा ही मां-बाप को मुखाग्नि देता है. श्मशान घाट पर मां की चिता को मुखाग्नि देती बेटी की तस्वीर दशकों में कभी कभार ही देखने और सुनने को भी मिलती है. यह उन लोगों के लिए एक सीख भी होती है, जो बेटियों को बोझ समझते हैं. खास बात यह कि पुत्र बनकर मां को मोक्ष प्रदान करने वाली मिनाक्षी मुंहबोली बेटी है. जो इस तस्वीर को और अतुलनीय बना देती है.

मुंह बोली बेटी ने दी मुखाग्नि
यह तस्वीर है मुगलसराय के काली महाल निवासी राजकुमारी देवी और मीनाक्षी की. बता दें कि राजकुमारी का मंगलवार को बीमारी के चलते निधन हो गया. मिनाक्षी ने मां के पार्थिव शरीर को मुक्तिधाम में मुखाग्नि दी. जिसको लेकर इलाके में खूब चर्चा है.

सेना में रहे पति की कर दी गई थी हत्या
मुगलसराय क्षेत्र के रौना गांव निवासी राजकुमारी देवी के पति दयाशंकर तिवारी सेना में थे. वर्ष 1990 में गांव में ही आपसी विवाद में दयाशंकर तिवारी की धारदार हथियार से हत्या कर दी गई. कम उम्र में ही राजकुमारी विधवा हो गईं. पति की मौत के बाद राजकुमारी अपने एक वर्ष के पुत्र रंजीत के साथ मुगलसराय के काली महाल में मकान बनवाकर रहने लगीं.

बीमारी के चलते बेटे की भी हो गई थी मौत
नियति का क्रूर खेल ऐसा कि 25 वर्षीय पुत्र रंजीत तिवारी का भी बीमारी के कारण निधन हो गया. जिसके बाद परिवार और सगे संबंधियों ने साथ नहीं दिया तो राजकुमारी हर तरह से टूट गई. इसी दौरान शहर में ही राजकुमारी को सड़क पर भटकती छह साल की मासूम मिनाक्षी मिली. जिसे राजकुमारी ने अपना लिया.

मीनाक्षी ने दी मां को मुखाग्नि
मिनाक्षी जब बड़ी हुई तो उसने भी मां की सेवा में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी. मंगलवार को लंबी बीमारी के चलते जब राजकुमारी का निधन हुआ तो मिनाक्षी पुत्र बनकर श्मशान घाट पर मां की चिता को मुखाग्नि भी दी.

सड़क पर मिली बेटी को अपनाया था
गौरतलब है कि सड़क पर लावारिश मिली बेटी अभी भी नाबालिग है. शायद राजकुमारी को भी नहीं मालूम था कि जिस बेटी को उसने सहारा दिया था. वही उसके अंतिम समय में बेटे का भी फर्ज निभाएगी. अब इसे नियति का क्रूर अंजाम ही कहिए या किस्मत का खेल जो नम आंखों से मां को मुखाग्नि देकर मिनाक्षी एक बार फिर से अनाथ हो गई है.

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