मुरादाबादः एसडीएफसी बैंक के बाहर 15 मार्च को एक व्यक्ति से टप्पेबाजी करने वाले चार टप्पेबाजों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. पुलिस ने टप्पेबाजी से हड़पी तीन लाख 33 हजार रुपये में से 2 लाख 91 हजार रुपये की नगदी और एक सेंट्रो कार बरामद की गयी है. पकड़े गए चारों टप्पेबाज अस्थाई तौर से दिल्ली के रहने वाले हैं. लॉकडाउन की वजह से आर्थिक तंगी से परेशान होकर लोगों के साथ टप्पेबाजी कर अपना शिकार बनाने लगे थे.
3.32 लाख रुपये लेकर हुए थे फरार
सिविल लाइन थाना क्षेत्र में एचडीएफसी बैंक के बाहर 15 मार्च को डॉक्टर के कैशियर अजय गर्ग से टप्पेबाजों ने टप्पेबाजी कर तीन लाख 32 हजार रुपये लेकर फरार हो गए थे. पुलिस ने टप्पेबाजी का शिकार हुए अजय गर्ग की तहरीर लेकर मुकदमा दर्ज कर आरोपियों को पकड़ने के लिए पुलिस की चार टीमों का गठन किया. टप्पेबाज सेंट्रो कार से मुरादाबाद आये थे.
पुलिस ने खंगाली 300 सीसीटीवी फुटेज
पुलिस को 250 से 300 सीसीटीवी फुटेज की मदद से इनकी सेंट्रो कार का नंबर मिला. सेंट्रो कार का नंबर दिल्ली का था. जब पुलिस की दो टीमें दिल्ली पहुंची तो जानकारी मिली कि फिर से मुरादाबाद में किसी घटना को अंजाम देने के लिए आये हुए हैं. जहां मुरादाबाद पुलिस ने चारों टप्पेबाजों प्रवीण, राहुल, रवि और धर्मेंद्र को गिरफ्तार कर लिया.
आर्थिक तंगी के चलते शुरू की टप्पेबाजी
पुलिस ने बताया कि प्रवीण, राहुल, रवि और धर्मेंद्र का आपस में कोई रिश्ता नहीं है लेकिन यह चारों लॉकडाउन की वजह से आर्थिक तंगी से जूझ रहे थे. किसी अन्य व्यक्ति के माध्यम से चारों एक-दूसरे के सम्पर्क में आये. जिसके बाद यह बैंक के बाहर लोगों को टप्पेबाजी कर अपना शिकार बनाने लगे.
दिल्ली से उत्तरांचल में पूर्णागिरि देवी के दर्शन करने जाते समय मुरादाबाद में टप्पेबाजी की घटना को अंजाम दिया.
कैसे करते थे टप्पेबाजी
एएसपी अनिल कुमार यादव ने बताया कि चारों टप्पेबाज एसडीएफसी बैंक के बाहर एक डॉक्टर के कैशियर से टप्पेबाजी कर 3 लाख 32 हजार रुपये लेकर फरार हो गए थे. पकड़े जाने पर चारों टप्पेबाजों ने बताया कि किसी भी बैंक में कैश जमा करने वाली लाइन में लगकर आपस में बात करते थे कि भाई मेरा बैंक में खाता नहीं है और किसी रिश्तेदार के खाते में कुछ रुपये बैंक में जमा करवाने हैं. अगर उस खाते में अपने खाते से रुपये जमा करवा दोगे तो इसके बदले कुछ रकम आपको भी दे दूंगा.
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यह बात कोई दूसरा व्यक्ति सुन रहा होता है तो आपस की यह बात उससे करने लगते हैं. वह दूसरा व्यक्ति लालच में आ जाता है. बैंक के बाहर आकर उस व्यक्ति को नकली नोट की गड्डी दे देता हैं. जब वह बैंक में रकम को जमा करवाने के लिए जाने लगता है तो उनका एक साथी कहता है कि क्या पता यह रकम लेकर चले न जाओ हम कैसे यकीन कर लें. तब रकम जमा करने वाला व्यक्ति अपने रुपये देकर बैंक में चला जाता है. उस व्यक्ति के बैंक में जाते ही यह लोग वहां से फरार हो जाते हैं.