मुरादाबादः सरकार प्रदेशभर के पशुओं के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करवाती है. लेकिन पशुपालकों को जानकारी का अभाव होने के कारण उन्हें सुविधाएं नहीं मिल पाती. कागजों में पशुपालकों के पशुओं को स्वास्थ्य सुविधाएं पूरी दी जाती हैं, लेकिन हकीकत इसके विपरीत है. मुरादाबाद जिले में एक पशु संरक्षण कार्यकर्ता द्वारा आरटीआई से मांगी गई जानकारी में पता चला है कि पशुगणना के अनुसार 5.85 कुल पशु है. जबकि 24वें और 25वें चरण की वैक्सीनेशन में 6.89 लाख पशुओं को जिला पशु चिकित्सा विभाग ने वैक्सीन लगा डाला. वहीं जब ETV BHARAT की टीम ने जमीनी सर्वे किया तो 10 में से 9 पशुपालकों ने कहा कि भैसों, गायों और कुत्तों को किसी तरह का टीका नहीं लगाया गया है. कुछ पशुपालकों ने कहा कि पिछले तीन सालों में किसी तरह का टीका पशुओं को नहीं लगाया गया है.
जिला पशु चिकित्सा विभाग का कारनामा
आरटीआई के अनुसार खुरपका-मुंहपका टीकाकरण कार्यक्रम के लिए 24वां चरण अप्रैल 2019 में संपन्न हुआ. इसमें जिला पशु चिकित्सा विभाग ने कुल 7,41,451 पशुओं को दर्शाते हुए 6,78,725 पशुओं को टीकाकरण दर्शाया गया. इसमें 4 माह से कम व आठ माह से गर्भवती पशु 61,227 का टीकाकरण नी करना भी दर्शाया गया. इसी तरह 25वां चरण, अक्टूबर माह 2019 में संपन्न हुआ. जिसमें कुल 7,43,975 पशुओं को दर्शाते हुए 6,79,000 को टीकाकृत दर्शाया गया. 25वें चरण में कुल 64,936 पशुओं में टीकाकरण न होना दर्शाया गया. जबकि भारत सरकार द्वारा दिसंबर 2018 से सितंबर 2019 के बीच कराई गई 20वीं पशुगणना के अनुसार मुरादाबाद जिले में कुल 5,85,664 गोवंशी व महिशवंशी पशु है. जिनमें गोवंश की पशुओं की संख्या 1,76,934 है. जबकि महिशवंशीय पशुओं की संख्या 4,08,720 हैं.
अधिकतर पशुओं की नहीं हुई जियो टैगिंग
पशुओं में खुरपका-मुंहपका वो बीमारी है, जिससे हर साल हजारों की मौत हो जाती है. पशुओं को जानलेवा बीमारी से बचाने के लिए देशभर में टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है. उत्तर प्रदेश में भी लाखों पशुओं को 24 वें व 25वें चरण के अंतर्गत टीका लगाया गया. मुरादाबाद पशु चिकित्सा विभाग की मानें तो एक आरटीआई के ज़रिए खुलासा हुआ है कि यह टीका 5.85 लाख पशुओं के सापेक्ष 6.79 लाख पशुओं को लगाया गया है. इसके साथ ही टीकाकरण के दौरान ही पशुओं की टैगिंग की भी व्यवस्था थी. लेकिन अधिकतर पशुपालकों के पशुओं को कोई टैग नहीं दिख रहा है.
पशु चिकित्सा विभाग सवालों के घेरे में
आरटीआई कार्यकर्ता और पशु संरक्षण विशालाक्ष शर्मा की मानें तो पशु चिकित्सा विभाग ने पशुगणना में शामिल आधे से ज्यादा पशुओं को टीका ही नहीं लगाया गया. टीकाकरण कागजों में दिखाकर, डॉक्टरों व कर्मियों ने वैक्सीन बेचकर पैसे अपने जेब में डाल लिए. पशु चिकित्सा विभाग पशुगणना से अधिक पशुओं का टीकाकरण कैसे कर दिया गया. जब पशु गणना से अधिक का टीकाकरण किया गया तो क्या उन पशुओं को भी टीकाकृत किया गया, जो बीमार थे, या छः महीने से कम आयु के थे या जो गर्भावस्था में थे.
सरकारी डॉक्टर इलाज के लिए मांगते हैं पैसा
ईटीवी भारत ने मुरादाबाद शहर के कई पशुपालकों से बात की. उन्होंने हमें बताया कि हमारी गायों या भैसों का कई साल से टीकाकरण नहीं किया गया है. हमने कई बार विभाग में शिकायत की लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है. पशुपालन विभाग में पशुओं के दवा के लिए जाते हैं तो हमसे पैसे मांगे जाते हैं. इसलिए पशु बीमार होने पर निजी डॉक्टर बुलाकर इलाज करवाते हैं.
सौ फीसदी टीकाकरण का दावा
पशु संरक्षण कार्यकर्ता विशालाक्ष शर्मा ने बताया कि पशुपालन विभाग द्वारा आईटीआई के माध्यम से जानकारी दी गई है कि 100% टीकाकरण किया गया है. जबकि आपको कई ऐसे पशुपालक मिल जाएंगे, जिनकी गायों या भैंसों का कोई टीकाकरण नहीं हुआ है.पशुगणना में पशुओं की जो संख्या बताई गई है, उससे 1.50 से 2 लाख अधिक पशुओं की पशु चिकित्सा विभाग ने टीका लगाने की जानकारी दी गई है.
मामले की जांच कराई जा रहीः सीडीओ
अपर निदेशक पशुपालन एवं पशु चिकित्सा विभाग ने इस मामले में कुछ बोलने से इंकार कर दिया. वहीं मुख्य विकास अधिकारी आनंद वर्धन ने कहा कि नियमित रूप से कार्यक्रम चलाकर पशुओं का टीकाकरण किया जाता है.पशु गणना के हिसाब से पशुओं को टीकाकृत करने की योजना है. अभी कुछ दिनों पहले कमिश्नर साहब के यहां हुई बैठक में भी यह मसला उठाया गया था. हम लोग इसकी जांच करवा रहे हैं कि कैसे पशुगणना से अधिक पशुओं को टीका लगा दिया गया.
टीकाकरण घोटाला इस तरह समझें
- खुरपका-मुंहपका बीमारी के लिए लगने वाला एक बॉयल 735 रुपये का आता है. इसमें 50 पशुओं के लिए 50-50 मिलीलीटर का डोज होता है. इस हिसाब से एक पशु को टीकाकरण का रेट 14.70 पैसे पड़ता है.
- आईटीआई से मिली जानकारी के अनुसार 24वें चरण में जनपद में कुल 5,85,664 पशु थे, जिनमें से 61,227 पशुओं का वैक्सीनेशन नहीं लगाया गया. इन्हें घटाते हैं तो यह संख्या 53,427 होती है. जिसमें पशु विभाग ने 1,54,298 वैक्सीन को लगाया ही नहीं गया, जिसकी कीमत 14.70 रुपये प्रति वैक्सीन है. अगर इसे इतने पशुओं से गुणा किया जाता है तो 22,68,180 रुपये का घोटाला 24 में चरण में है.
- 25वें चरण में 5,85,654 पशुओं में से 64,936 पशुओं को टीकाकृत नहीं किया गया. अगर इस संख्या को घटाया जाता है तो 5,20,718 पशुओं में ही टीकाकरण विभाग द्वारा किया गया. इस चरण में भी इनके द्वारा 1,58,282 वैक्सीन पशुओं को नहीं लगाए गए, जिनकी कीमत 14.70 रुपय प्रति वैक्सीन के हिसाब से अगर गुणा किया जाए तो 23,26,745 रुपए होती है. पशु चिकित्सा विभाग की मानें तो 6 माह से कम के पशुओं को टीका नहीं लगाया जाता. इसके साथ ही गर्भवती और कुछ गंभीर बीमार पशुओं का भी टीकाकरण नहीं किया जाता है.