अलीगढ़ : अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) के सर्वोच्च शासी निकाय AMU कोर्ट में 100 से अधिक पदों के खाली रहने से शिक्षकों और स्टूडेंट्स में गहरी नाराजगी है. AMU कोर्ट में लोकसभा के सांसदों का चयन तो किया जा रहा है, लेकिन शिक्षकों, छात्रों और नॉन-टीचिंग स्टाफ के प्रतिनिधियों की सीटें पिछले छह वर्षों से रिक्त पड़ी हैं. इस मुद्दे पर AMU टीचर्स एसोसिएशन (AMUTA) और एग्जीक्यूटिव काउंसिल (EC) ने बुधवार को स्टाफ क्लब में संयुक्त प्रेस वार्ता कर विश्वविद्यालय प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं.
AMU कोर्ट में कई श्रेणियों के सदस्य होते हैं, जिनमें इलेक्टेड टीचर्स, छात्रों के प्रतिनिधि, नॉन-टीचिंग स्टाफ के प्रतिनिधि और बाहर के शिक्षाविद् शामिल होते हैं. कुल 193 सीटों वाली इस बॉडी में 100 से ज्यादा पद खाली हैं, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन पिछले छह सालों से इनका चुनाव नहीं करवा रहा है.
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AMU टीचर्स एसोसिएशन के सेक्रेटरी प्रो. उबैद अहमद सिद्दीकी ने बताया कि 2017 से अब तक शिक्षकों और छात्रों की सीटें खाली पड़ी हैं, लेकिन एएमयू प्रशासन कोई कदम नहीं उठा रहा. उन्होंने कहा कि पूर्व कुलपति प्रो. तारिक मंसूर के कार्यकाल में भी चुनाव नहीं हुआ और उनके एक्सटेंशन का एक साल बीत जाने के बाद भी रिक्त पदों को नहीं भरा गया. इसके बाद कार्यवाहक कुलपति प्रो. मोहम्मद गुलरेज के समय भी कोई प्रक्रिया शुरू नहीं हुई और अब नियमित कुलपति प्रो. नईमा खातून के एक साल पूरे होने के बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है.
AMU कोर्ट के सदस्यों का कार्यकाल समाप्त होने के बावजूद विश्वविद्यालय प्रशासन नए सदस्यों के चयन के बिना ही पुराने सदस्यों से चांसलर और ट्रेजरर का चुनाव कराने की योजना बना रहा है. इससे AMU टीचर्स एसोसिएशन (AMUTA) में गहरा असंतोष है. शिक्षकों का कहना है कि यह पूरी प्रक्रिया अलोकतांत्रिक है और पारदर्शिता के खिलाफ है.
AMU अकादमिक काउंसिल के सदस्य प्रो. मोइन अली ने बताया कि एकेडमिक काउंसिल में भी शिक्षकों का चुनाव 5-6 साल से नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि AMU एक्ट में सभी पदों का स्पष्ट उल्लेख है और विश्वविद्यालय प्रशासन को इन्हें भरने के लिए चुनाव कराना जरूरी है, लेकिन AMU इंतजामिया (प्रशासन) जानबूझकर चुनाव नहीं करवा रहा ताकि शिक्षक और छात्र अपने अधिकारों के लिए आवाज न उठा सकें.
AMU टीचर्स एसोसिएशन (AMUTA) के प्रेसिडेंट प्रो. मोहम्मद खालिद ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर निशाना साधते हुए कहा कि AMU में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को खत्म करने की साजिश हो रही है. कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने AMU को 'मिनी इंडिया' कहा था, लेकिन यहां की लोकतांत्रिक स्थिति बेहद खराब है. जब तक AMU में लोकतांत्रिक प्रणाली बहाल नहीं होगी, पारदर्शिता नहीं आएगी. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर AMU प्रशासन ने जल्द चुनाव नहीं कराए, तो शिक्षक भूख हड़ताल और धरना प्रदर्शन करेंगे.
शिक्षकों ने यह भी सवाल उठाया कि जब भारत सरकार ने अपने द्वारा नामित सदस्यों की रिक्त सीटों को भर दिया है तो AMU प्रशासन शिक्षकों, छात्रों और नॉन-टीचिंग स्टाफ की सीटें भरने में देरी क्यों कर रहा है ? AMU के एग्जीक्यूटिव काउंसिल के सदस्य मोहम्मद मुराद ने कहा कि AMU कोर्ट और एकेडमिक काउंसिल जैसी लोकतांत्रिक संस्थाओं का मजबूत होना जरूरी है. उन्होंने मांग की कि AMU कोर्ट की बैठक तुरंत बुलाई जाए और रिक्त सीटों को भरने के लिए चुनाव कराए जाएं.
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