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Up Assembly Election 2022: मुरादाबाद की ठाकुरद्वारा विधानसभा की डेमोग्राफिक रिपोर्ट, दलित-मुस्लिम वोटर निभाते हैं अहम भूमिका

मुरादाबाद की ठाकुरद्वारा विधानसभा में उपजाऊ भूमि होने की वजह से गन्ने की उपज बहुत अच्छी होती है. जिसके चलते यहां चीनी मिलें और छोटे-बड़े कई उद्योग धंधे है. इस विधानसभा में दलित-मुस्लिम वोटर की संख्या अधिक होने से चुनाव में ये अहम भूमिका निभाते हैं.

यूपी 2022 का रण
यूपी 2022 का रण.
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Published : Oct 3, 2021, 10:40 PM IST

मुरादाबाद: जनपद की विधानसभा ठाकुरद्वारा जिसकी सीमा उत्तरांचल से लगी हुई है. इस विधानसभा पर 3 बार कांग्रेस, 5 बार बीजेपी, 2 बार बीएसपी का कब्जा रहा है. 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद इस विधानसभा पर हुए उपचुनाव में सपा ने पहली बार जीत हासिल की थी. उसके बाद 2017 में फिर से सपा से विधायक नबाब जान ने जीत हासिल की. ठाकुरद्वारा विधानसभा की जमीन काफी उपजाऊ होने की वजह से गन्ने की खेती अच्छी होती है. इसी वजह से यहां कई चीनी मिलें, छोटे बड़े कई उद्योग धंधे है. इस विधानसभा में दलित मुस्लिम वोटर की संख्या अधिक है.

मुरादाबाद की ठाकुरद्वारा विधानसभा 1951 में बनी थी. इस विधानसभा पर 1951, 1957 और 1960 में कांग्रेस का कब्जा रहा. 1980 में इंद्रा गांधी वाली कांग्रेस और 1985 में जगजीवन वाली कांग्रेस ने भी जीत दर्ज की थी. उसके बाद से कांग्रेस इस विधानसभा सीट पर कभी दोबारा जीत हासिल नहीं कर पाई. 1991 से लेकर 2002 तक इस विधानसभा पर बीजेपी से विधायक कुंवर सर्वेश का कब्जा रहा. बीएसपी ने 1989 में दूसरी बार 2007 में इस सीट पर विजय यादव जीत हासिल की थी. 2012 में एक बार फिर यह सीट पर बीजेपी के कुंवर सर्वेश सिंह ने जीत दर्ज की. 2014 के लोकसभा चुनाव सर्वेश सिंह को लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की. 2014 के बाद इस सीट पर उपचुनाव हुआ.

1951 से लेकर 2012 तक के विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज नहीं करने वाली सपा ने अपना खाता खोल दिया. नबाब जान ने जीत दर्ज की 2017 में दुबारा से नबाब जान सपा से चुनाव लड़े और 13 हजार 409 वोट से जीत हासिल की थी. उपचुनाव और 2017 के चुनाव में भाजपा के राजपाल सिंह चौहान को हार का सामना करना पड़ा.

ठाकुरद्वारा विधानसभा-26 दलित मुस्लिम बाहुल्य सीट

2011 की जनगणना के अनुसार ठाकुरद्वारा विधानसभा की कुल आबादी 5 लाख 4 हजार 560 हैं. जिसमें 2 लाख 75 हजार 143 हिन्दू और 2 लाख 26 हजार 171 मुस्लिम है. इस विधानसभा में 3 लाख 47 हजार 748 वोटर है. इसमें 1 लाख 88 हजार करीब पुरुष और 1 लाख 56 के करीब महिला वोटर है. इस विधानसभा पर मुस्लिम और दलित वोटर किसी भी उम्मीदवार की किस्मत का फैसला करते है. मुस्लिम वोटर का अगर धुर्वीकरण होता है. हमेशा भाजपा को फायदा मिला हैं. एक तरफा मुस्लिम वोटर जिसके साथ गया जीत हमेशा उसी की हुई है. दलित वोटर 2 बार को अगर छोड़ दे तो हमेशा एक तरफा किसी के साथ नहीं रहा उनके वोट का हमेशा बंटवारा हुआ है.

क्या कहना है सपा विधायक नबाब जान का ?

लगातार 2 बार जीत हासिल कर सपा का परचम लहरा चुके सपा विधायक नबाब जान का कहना है कि उपचुनाव में जीत हासिल करने के बाद जितना विकास उस समय करवाया. उतना 2017 के बाद नहीं करवा सका. क्योंकि उस समय प्रदेश में सपा की सरकार थी. अब बीजेपी की सरकार है. सपा सरकार में 200 करोड़ रुपये के विकास कार्य करवाये थे, लेकिन भाजपा सरकार में केवल ढाई करोड़ के कार्य ही करवा सका. कई क्षेत्रों की सड़कों को बनवाने के लिए अधिकारियों और विभागों के चक्कर लगाए, लेकिन शायद विपक्ष पार्टी का विधायक होने के नाते किसी ने एक नहीं सुनी. सपा सरकार में ठाकुरद्वारा विधानसभा में आईटीआई और पॉलिटेक्निक मंजूर करवाया था. उसका निर्माण कार्य इस सरकार में अब तक अधूरा पड़ा है. डिग्री और इंटर कॉलेज के निर्माण भी अधूरे पड़े हैं.

ठाकुरद्वारा विधानसभा-26 की सीमा उत्तरांचल से मिली हुई है. उसके बावजूद इस क्षेत्र में कोई पर्यटकों को रोकने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. राष्ट्रीय राजमार्ग और क्षेत्रीय सड़के सभी का बुरा हाल है. बारिश के दिनों में तो सड़कों का बहुत बुरा हाल हो जाता है. ठाकुरद्वारा से सीधे किसी भी जगह जाने के लिए रोड वेज बसों का संचालन नहीं होता है. सवारियों को उत्तरांचल से आने वाली बसों का या प्राइवेट बसों पर ही निर्भर रहना पड़ता है. इलाज के लिए भी या तो मुरादाबाद या फिर काशीपुर जाना पड़ता है. कोई बड़ा उद्योग नहीं होने की वजह से ज्यादा तर लोगो को मुरादाबाद या फिर उत्तरांचल में काशीपुर मजदूरी या प्राइवेट नोकरी करने के लिए लोग जाने को मजबूर है.



इसे भी पढे़ं- Up Assembly Election 2022: मुरादाबाद शहर विधानसभा-28 की डेमोग्राफिक रिपोर्ट, 2017 में बीजेपी का खिला था कमल

मुरादाबाद: जनपद की विधानसभा ठाकुरद्वारा जिसकी सीमा उत्तरांचल से लगी हुई है. इस विधानसभा पर 3 बार कांग्रेस, 5 बार बीजेपी, 2 बार बीएसपी का कब्जा रहा है. 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद इस विधानसभा पर हुए उपचुनाव में सपा ने पहली बार जीत हासिल की थी. उसके बाद 2017 में फिर से सपा से विधायक नबाब जान ने जीत हासिल की. ठाकुरद्वारा विधानसभा की जमीन काफी उपजाऊ होने की वजह से गन्ने की खेती अच्छी होती है. इसी वजह से यहां कई चीनी मिलें, छोटे बड़े कई उद्योग धंधे है. इस विधानसभा में दलित मुस्लिम वोटर की संख्या अधिक है.

मुरादाबाद की ठाकुरद्वारा विधानसभा 1951 में बनी थी. इस विधानसभा पर 1951, 1957 और 1960 में कांग्रेस का कब्जा रहा. 1980 में इंद्रा गांधी वाली कांग्रेस और 1985 में जगजीवन वाली कांग्रेस ने भी जीत दर्ज की थी. उसके बाद से कांग्रेस इस विधानसभा सीट पर कभी दोबारा जीत हासिल नहीं कर पाई. 1991 से लेकर 2002 तक इस विधानसभा पर बीजेपी से विधायक कुंवर सर्वेश का कब्जा रहा. बीएसपी ने 1989 में दूसरी बार 2007 में इस सीट पर विजय यादव जीत हासिल की थी. 2012 में एक बार फिर यह सीट पर बीजेपी के कुंवर सर्वेश सिंह ने जीत दर्ज की. 2014 के लोकसभा चुनाव सर्वेश सिंह को लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की. 2014 के बाद इस सीट पर उपचुनाव हुआ.

1951 से लेकर 2012 तक के विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज नहीं करने वाली सपा ने अपना खाता खोल दिया. नबाब जान ने जीत दर्ज की 2017 में दुबारा से नबाब जान सपा से चुनाव लड़े और 13 हजार 409 वोट से जीत हासिल की थी. उपचुनाव और 2017 के चुनाव में भाजपा के राजपाल सिंह चौहान को हार का सामना करना पड़ा.

ठाकुरद्वारा विधानसभा-26 दलित मुस्लिम बाहुल्य सीट

2011 की जनगणना के अनुसार ठाकुरद्वारा विधानसभा की कुल आबादी 5 लाख 4 हजार 560 हैं. जिसमें 2 लाख 75 हजार 143 हिन्दू और 2 लाख 26 हजार 171 मुस्लिम है. इस विधानसभा में 3 लाख 47 हजार 748 वोटर है. इसमें 1 लाख 88 हजार करीब पुरुष और 1 लाख 56 के करीब महिला वोटर है. इस विधानसभा पर मुस्लिम और दलित वोटर किसी भी उम्मीदवार की किस्मत का फैसला करते है. मुस्लिम वोटर का अगर धुर्वीकरण होता है. हमेशा भाजपा को फायदा मिला हैं. एक तरफा मुस्लिम वोटर जिसके साथ गया जीत हमेशा उसी की हुई है. दलित वोटर 2 बार को अगर छोड़ दे तो हमेशा एक तरफा किसी के साथ नहीं रहा उनके वोट का हमेशा बंटवारा हुआ है.

क्या कहना है सपा विधायक नबाब जान का ?

लगातार 2 बार जीत हासिल कर सपा का परचम लहरा चुके सपा विधायक नबाब जान का कहना है कि उपचुनाव में जीत हासिल करने के बाद जितना विकास उस समय करवाया. उतना 2017 के बाद नहीं करवा सका. क्योंकि उस समय प्रदेश में सपा की सरकार थी. अब बीजेपी की सरकार है. सपा सरकार में 200 करोड़ रुपये के विकास कार्य करवाये थे, लेकिन भाजपा सरकार में केवल ढाई करोड़ के कार्य ही करवा सका. कई क्षेत्रों की सड़कों को बनवाने के लिए अधिकारियों और विभागों के चक्कर लगाए, लेकिन शायद विपक्ष पार्टी का विधायक होने के नाते किसी ने एक नहीं सुनी. सपा सरकार में ठाकुरद्वारा विधानसभा में आईटीआई और पॉलिटेक्निक मंजूर करवाया था. उसका निर्माण कार्य इस सरकार में अब तक अधूरा पड़ा है. डिग्री और इंटर कॉलेज के निर्माण भी अधूरे पड़े हैं.

ठाकुरद्वारा विधानसभा-26 की सीमा उत्तरांचल से मिली हुई है. उसके बावजूद इस क्षेत्र में कोई पर्यटकों को रोकने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. राष्ट्रीय राजमार्ग और क्षेत्रीय सड़के सभी का बुरा हाल है. बारिश के दिनों में तो सड़कों का बहुत बुरा हाल हो जाता है. ठाकुरद्वारा से सीधे किसी भी जगह जाने के लिए रोड वेज बसों का संचालन नहीं होता है. सवारियों को उत्तरांचल से आने वाली बसों का या प्राइवेट बसों पर ही निर्भर रहना पड़ता है. इलाज के लिए भी या तो मुरादाबाद या फिर काशीपुर जाना पड़ता है. कोई बड़ा उद्योग नहीं होने की वजह से ज्यादा तर लोगो को मुरादाबाद या फिर उत्तरांचल में काशीपुर मजदूरी या प्राइवेट नोकरी करने के लिए लोग जाने को मजबूर है.



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