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अपने अस्तित्व को खोने की कागार पर है मुरादाबाद स्थित महाभारत के समय का यह सती स्तम्भ

उत्तर प्रदेश का मुरादाबाद अपने आप में सती हुई महिलाओं का इतिहास संजोए हुए है, लेकिन सरकार की अनदेखी के कारण जिले का अगवानपुर जहां पर सती मठ है वह अपना अस्तित्व कहीं खोता जा रहा है.

अगवानपुर का सती मठ खो रहा अपना अस्तित्व.
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Published : Oct 14, 2019, 8:06 PM IST

मुरादाबाद: भारत के इतिहास में बहुत सी पुरानी धरोहर है और इन धरोहरों का इतिहास किसी न किसी किताब में पढ़ने को मिल जाएगा, लेकिन इन धरोहरों को हम संजोकर नहीं रख पा रहे हैं. ऐसी एक धरोहर है सती मठ, जहां बहुत सालों पहले महिलाएं अपने पति के साथ चिता में सती हो जाती थीं. आज भी इन मठों से सती हुई महिलाओं की अस्तियां मिल रही हैं. वहीं इब्नबतूता की किताब सफरनामा में इस बात का जिक्र किया गया है.

जिले की नगर पंचायत अगवानपुर, जिसका इतिहास बहुत पुराना है. अगवानपुर का नाम मुगलों ने बदलकर मुगलपुर कर दिया था, लेकिन मुगलों के जाने के बाद अगवानपुर फिर से अपने नाम से जाने जाने लगा. सन 1963 में मिश्र से एक युवक इब्नबतूता जब 18 साल की उम्र में दुनिया का चक्कर लगाते हुए भारत आया तो कुछ समय अगवानपुर में भी रुका था.

अगवानपुर का सती मठ खो रहा अपना अस्तित्व.

भारत भ्रमण के बाद इब्नबतूता ने एक किताब लिखी, जिसका नाम सफरनामा इब्नबतूता है. इस किताब में अगवानपुर के इतिहास का जिक्र किया गया है. इसी के आधार पर एक किताब मुरादाबाद तारीखे जद्दोजहद आजादी में भी जिक्र किया गया. इस किताब में बताया कि महाभारत के युद्ध के बाद पांडव अगवानपुर आकर रुके थे. वहीं जिन महिलाओं के पति की मृत्यु हो जाती थी, वह महिलाएं अपने पति के साथ यहीं सती हो जाती थीं.

इसे भी पढ़ें- महोबा: गुरु गोरखनाथ की तपोभूमि की ओर नहीं है योगी आदित्यनाथ का ध्यान

सती मठ के पास ही रामगंगा नदी में सभी रानी पांच सौ पालकियों में सवार होकर स्नान करने जाती थी. यह स्थान जिले से दस किलोमीटर दूर है. रामगंगा नदी किनारे तीन सती मठ आज भी मौजूद है. सदियों पुराने होने की वजह से भले ही यह मठ टूट गए है, लेकिन इन मठो के नीचे से आज भी महिलाओं की अस्थियां निकलती है. मठो के टूट जाने की वजह से और पुरानी होने की वजह से स्थानीय लोगों ने इन मठो का निर्माण करा दिया है. वहीं शासन-प्रशासन की तरफ से पुरानी धरोहर को संजोकर रखने के लिए आज तक कोई व्यवस्था नहीं की गई है.

मठों की देखभाल करने वाले वीररबल चंद्रा ने बताया कि यहां तीन सती मठ हैं जो कुछ साल पहले टूट गए थे, जिनका निर्माण कराया जा रहा है. सती मठ टूटने के बाद इनके नीचे से अस्थियां, नांद और कोयले निकले हैं. यह मठ कितने पुराने हैं, इसकी पूरी तरीके से जानकारी नहीं. 65 साल से हम इन्हें देखते आ रहे हैं और इसका जिक्र बुजुर्ग भी किया करते थे.

जिले के तारीखे जद्दोजहद आजादी किताब रखने वाले हफीज नवाब अली ने बताया कि कस्बा मुगलपुर उर्फ अगवानपुर के नाम से मशहूर है. यहां पुराने जमाने की सती मठ है और यह जगह जेवर खास के नाम से मशहूर है. 1963 में मिस्र का रहने वाला इब्नबतूता ने अपनी सफरनामा इब्नबतूता में इसकी जिक्र किया गया है.

मुरादाबाद: भारत के इतिहास में बहुत सी पुरानी धरोहर है और इन धरोहरों का इतिहास किसी न किसी किताब में पढ़ने को मिल जाएगा, लेकिन इन धरोहरों को हम संजोकर नहीं रख पा रहे हैं. ऐसी एक धरोहर है सती मठ, जहां बहुत सालों पहले महिलाएं अपने पति के साथ चिता में सती हो जाती थीं. आज भी इन मठों से सती हुई महिलाओं की अस्तियां मिल रही हैं. वहीं इब्नबतूता की किताब सफरनामा में इस बात का जिक्र किया गया है.

जिले की नगर पंचायत अगवानपुर, जिसका इतिहास बहुत पुराना है. अगवानपुर का नाम मुगलों ने बदलकर मुगलपुर कर दिया था, लेकिन मुगलों के जाने के बाद अगवानपुर फिर से अपने नाम से जाने जाने लगा. सन 1963 में मिश्र से एक युवक इब्नबतूता जब 18 साल की उम्र में दुनिया का चक्कर लगाते हुए भारत आया तो कुछ समय अगवानपुर में भी रुका था.

अगवानपुर का सती मठ खो रहा अपना अस्तित्व.

भारत भ्रमण के बाद इब्नबतूता ने एक किताब लिखी, जिसका नाम सफरनामा इब्नबतूता है. इस किताब में अगवानपुर के इतिहास का जिक्र किया गया है. इसी के आधार पर एक किताब मुरादाबाद तारीखे जद्दोजहद आजादी में भी जिक्र किया गया. इस किताब में बताया कि महाभारत के युद्ध के बाद पांडव अगवानपुर आकर रुके थे. वहीं जिन महिलाओं के पति की मृत्यु हो जाती थी, वह महिलाएं अपने पति के साथ यहीं सती हो जाती थीं.

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सती मठ के पास ही रामगंगा नदी में सभी रानी पांच सौ पालकियों में सवार होकर स्नान करने जाती थी. यह स्थान जिले से दस किलोमीटर दूर है. रामगंगा नदी किनारे तीन सती मठ आज भी मौजूद है. सदियों पुराने होने की वजह से भले ही यह मठ टूट गए है, लेकिन इन मठो के नीचे से आज भी महिलाओं की अस्थियां निकलती है. मठो के टूट जाने की वजह से और पुरानी होने की वजह से स्थानीय लोगों ने इन मठो का निर्माण करा दिया है. वहीं शासन-प्रशासन की तरफ से पुरानी धरोहर को संजोकर रखने के लिए आज तक कोई व्यवस्था नहीं की गई है.

मठों की देखभाल करने वाले वीररबल चंद्रा ने बताया कि यहां तीन सती मठ हैं जो कुछ साल पहले टूट गए थे, जिनका निर्माण कराया जा रहा है. सती मठ टूटने के बाद इनके नीचे से अस्थियां, नांद और कोयले निकले हैं. यह मठ कितने पुराने हैं, इसकी पूरी तरीके से जानकारी नहीं. 65 साल से हम इन्हें देखते आ रहे हैं और इसका जिक्र बुजुर्ग भी किया करते थे.

जिले के तारीखे जद्दोजहद आजादी किताब रखने वाले हफीज नवाब अली ने बताया कि कस्बा मुगलपुर उर्फ अगवानपुर के नाम से मशहूर है. यहां पुराने जमाने की सती मठ है और यह जगह जेवर खास के नाम से मशहूर है. 1963 में मिस्र का रहने वाला इब्नबतूता ने अपनी सफरनामा इब्नबतूता में इसकी जिक्र किया गया है.

Intro:एंकर:- भारत के इतिहास में बहुत सी पुरानी धरोहर है, और धरोहरों पुराना इतिहास किसी न किसी किताब में पढ़ने को मिल जाएगा. लेकिन इन धरोहरों को हम संजोके नहीं रख पाए है. ऐसी एक धरोहर है सती मठ जहां बहुत सालों पहले महिलाएं अपने पति के साथ चिता में सती हो जाती थी.आज भी इन मठो से सती हुई महिलाओं की हस्तियां मिल रही है. इब्नबतूता की किताब सफरनामा में इस बात का जिक्र किया गया है.


Body:वीओ:- मुरादाबाद की नगर पंचायत अगवानपुर जिसका इतिहास बहुत पुराना है. अगवानपुर का नाम मुगलों ने बदलकर मुगलपुर कर दिया था. मुगलों के जाने के बाद फिर से अगवानपुर के नाम से जाने जाने लगा. सन 1963 में मिश्र से एक युवक इब्नबतूता जब 18 साल की उम्र में दुनिया का चक्कर लगाते हुए भारत आया तो कुछ समय अगवानपुर में भी रुका था. भारत भ्रमण के बाद इब्नबतूता ने एक किताब लिखी जिसका नाम सफरनामा इब्नबतूता है. इस किताब में अगवानपुर के इतिहास का जिक्र किया गया है. इसी के आधार पर एक किताब मुरादाबाद तारीखे जद्दोजहद आजादी में भी जिक्र किया गया. इस किताब में बताया कि महाभारत के युद्ध के बाद पांडव अगवानपुर आकर रुके थे. जिन महिलाओं के पति की मृत्यु हो जाती थी वह महिलाएं अपने पति के साथ यही सती हो जाती थी. सती मठ के पास ही रामगंगा नदी में सभी रानी पांच सौ पालकियों में सवार होकर स्नान करने जाती. मुरादाबाद से दस किलोमीटर दूर है. रामगंगा नदी किनारे तीन सती मठ आज भी मौजूद है. सदियों पुराने होने की वजह से भले ही यह मठ टूट गए है. लेकिन इन मठो के नीचे से आज भी महिलाओं की अस्थियां निकली है. मठो के टूट जाने की वजह से और पुरानी होने की वजह से स्थानीय लोगों ने इन मठो का निर्माण करा दिया है. शासन प्रशासन की तरफ से पुरानी धरोहर को संजोकर रखने के लिए आज तक कोई व्यवस्था नहीं की गई है.


Conclusion:वीओ:- मठों की देखभाल करने वाले वीररबल चंद्रा ने बताया कि यहां तीन सती मठ जो कुछ साल पहले टूट गए थे. जिनका निर्माण कराया जा रहा है. सती मां टूटने के बाद इनके नीचे से अस्तियां, नांद और कोयले निकले है. यह मठ कितने पुराने हैं इसकी पूरी तरीके से जानकारी नहीं. 65 साल से हम इन्हें देखते आ रहे है और इसका जिक्र बुजुर्गों भी किया करते थे.
वीओ:- मुरादाबाद तारीखे जद्दोजहद आजादी किताब रखने वाले हफीज नवाब अली ने बताया कि कस्बा मुगलपुर उर्फ अगवानपुर के नाम से मशहूर है. यहां पुराने जमाने की सती मठ है और यह जगह जेवर खास के नाम से मशहूर है. 1963 में मिस्र का रहने वाला इब्नबतूता ने अपनी सफरनामा इब्नबतूता मैं जिक्र किया है.

बाइट:- वीरबल चंद्रा
बाइट:- हफीज नवाब अली
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