मुरादाबाद: मुरादाबाद को पूरी दुनिया में पीतलनगरी के नाम से जाना जाता है और सालों से इस शहर की यही पहचान दुनिया में है, लेकिन बदलते समय के साथ मुरादाबाद की यह पहचान अपने अस्तित्व को बचाने के संकट से जूझ रही है. एक के बाद एक परेशानियों का सामना कर रहे पीतल उद्योग को फिलहाल राहत मिलने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं.
ईरान द्वारा पीतल उत्पादों पर लगाए गए प्रतिबंध से संकट में आया उद्योग उबरने की जद्दोजहद कर रहा था. अचानक सरकार द्वारा लिए एक फैसले ने उद्योग को मुश्किल में डाल दिया है. विश्व व्यापार संगठन के दबाव के बाद सरकार हस्तशिल्प उद्योग को ड्यूटी ड्रा बैक की सुविधा बंद करने का निर्णय लेने जा रही है, जिसके बाद निर्यातकों में हड़कंप मचा हुआ है.
पीतल की चमक पर फिर रहा पानी
- मुरादाबाद के पीतल उत्पाद पूरी दुनिया के दिलों पर राज करते हैं.
- सरकारों की अनदेखी और बुनियादी सुविधाओं का अभाव इस उद्योग की परिक्षा ले रहा है.
- विश्व में तेजी से घटित हो रहे व्यापारिक रणनीति ने भी पीतल उद्योग को मुसीबतों में धकेल दिया है.
अमेरिका और ईरान ने पीतल से तरेरी आखें
- अमेरिका ने पीतल को लेकर ईरान पर प्रतिबंध लगा दिया था.
- ईरान द्वारा भारत के उत्पादों पर रोक लगाने के बाद नुकसान झेलना पड़ा था.
- सरकार द्वारा नियमों में बदलाव करने से एक बार फिर मायूसी का माहौल है.
- विश्व व्यापार संगठन ने प्रोत्साहन नीति में बदलाव करने और ज्यादा छूट न देने को कहा था.
सरकार ने हस्तशिल्प निर्यातकों को दिया झटका
- सरकार निर्यातकों से एमईआईएस लाइसेंस और आयात ड्रा बैक को वापस लेने जा रही है.
- पीतल उत्पाद निर्यात के जरिए हर साल आठ हजार से नौ हजार करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा देश में आती है.
- अकेले मुरादाबाद में ही पांच लाख कारीगरों की रोजी रोटी का जरिया यही उद्योग है.
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निर्यातकों को जहां एक तरफ दूसरे देशों से मिल रहे कड़े मुकाबले से जूझना पड़ रहा है. वहीं एक के बाद एक सामने आ रही परेशानी निर्यातकों और कारीगरों का हौसला तोड़ रही हैं. आवश्यकता है सरकार को आगे आकर हस्तशिल्प उद्योग को सहारा देने की, ताकि सालों से चला आ रहा यह हुनर आगे भी अपनी चमक बिखेरता रहे.