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मुरादाबाद: पीतल कारोबार पर मंडराये संकट के बादल, हस्तशिल्प निर्यातकों में छाई मायूसी - government failed in business strategy

उत्तर प्रदेश का मुरादाबाद पीतल नगरी के नाम से जाना जाता है, लेकिन बदलते समय के साथ मुरादाबाद की यह पहचान अपने अस्तित्व को बचाने के संकट से जूझ रही है. फिलहाल सरकार के एक फैसले से पीतल बाजार संकट में डाल दिया है.

पीतल कारोबार पर मंडराये संकट के बादल.
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Published : Aug 10, 2019, 9:54 AM IST

मुरादाबाद: मुरादाबाद को पूरी दुनिया में पीतलनगरी के नाम से जाना जाता है और सालों से इस शहर की यही पहचान दुनिया में है, लेकिन बदलते समय के साथ मुरादाबाद की यह पहचान अपने अस्तित्व को बचाने के संकट से जूझ रही है. एक के बाद एक परेशानियों का सामना कर रहे पीतल उद्योग को फिलहाल राहत मिलने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं.

पीतल कारोबार पर मंडराये संकट के बादल.

ईरान द्वारा पीतल उत्पादों पर लगाए गए प्रतिबंध से संकट में आया उद्योग उबरने की जद्दोजहद कर रहा था. अचानक सरकार द्वारा लिए एक फैसले ने उद्योग को मुश्किल में डाल दिया है. विश्व व्यापार संगठन के दबाव के बाद सरकार हस्तशिल्प उद्योग को ड्यूटी ड्रा बैक की सुविधा बंद करने का निर्णय लेने जा रही है, जिसके बाद निर्यातकों में हड़कंप मचा हुआ है.

पीतल की चमक पर फिर रहा पानी

  • मुरादाबाद के पीतल उत्पाद पूरी दुनिया के दिलों पर राज करते हैं.
  • सरकारों की अनदेखी और बुनियादी सुविधाओं का अभाव इस उद्योग की परिक्षा ले रहा है.
  • विश्व में तेजी से घटित हो रहे व्यापारिक रणनीति ने भी पीतल उद्योग को मुसीबतों में धकेल दिया है.

अमेरिका और ईरान ने पीतल से तरेरी आखें

  • अमेरिका ने पीतल को लेकर ईरान पर प्रतिबंध लगा दिया था.
  • ईरान द्वारा भारत के उत्पादों पर रोक लगाने के बाद नुकसान झेलना पड़ा था.
  • सरकार द्वारा नियमों में बदलाव करने से एक बार फिर मायूसी का माहौल है.
  • विश्व व्यापार संगठन ने प्रोत्साहन नीति में बदलाव करने और ज्यादा छूट न देने को कहा था.

सरकार ने हस्तशिल्प निर्यातकों को दिया झटका

  • सरकार निर्यातकों से एमईआईएस लाइसेंस और आयात ड्रा बैक को वापस लेने जा रही है.
  • पीतल उत्पाद निर्यात के जरिए हर साल आठ हजार से नौ हजार करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा देश में आती है.
  • अकेले मुरादाबाद में ही पांच लाख कारीगरों की रोजी रोटी का जरिया यही उद्योग है.

पढ़ें- वृक्षारोपण महाकुंभ: यूपी में लगेंगे 22 करोड़ पौधे, बनेगा विश्व रिकॉर्ड

निर्यातकों को जहां एक तरफ दूसरे देशों से मिल रहे कड़े मुकाबले से जूझना पड़ रहा है. वहीं एक के बाद एक सामने आ रही परेशानी निर्यातकों और कारीगरों का हौसला तोड़ रही हैं. आवश्यकता है सरकार को आगे आकर हस्तशिल्प उद्योग को सहारा देने की, ताकि सालों से चला आ रहा यह हुनर आगे भी अपनी चमक बिखेरता रहे.

मुरादाबाद: मुरादाबाद को पूरी दुनिया में पीतलनगरी के नाम से जाना जाता है और सालों से इस शहर की यही पहचान दुनिया में है, लेकिन बदलते समय के साथ मुरादाबाद की यह पहचान अपने अस्तित्व को बचाने के संकट से जूझ रही है. एक के बाद एक परेशानियों का सामना कर रहे पीतल उद्योग को फिलहाल राहत मिलने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं.

पीतल कारोबार पर मंडराये संकट के बादल.

ईरान द्वारा पीतल उत्पादों पर लगाए गए प्रतिबंध से संकट में आया उद्योग उबरने की जद्दोजहद कर रहा था. अचानक सरकार द्वारा लिए एक फैसले ने उद्योग को मुश्किल में डाल दिया है. विश्व व्यापार संगठन के दबाव के बाद सरकार हस्तशिल्प उद्योग को ड्यूटी ड्रा बैक की सुविधा बंद करने का निर्णय लेने जा रही है, जिसके बाद निर्यातकों में हड़कंप मचा हुआ है.

पीतल की चमक पर फिर रहा पानी

  • मुरादाबाद के पीतल उत्पाद पूरी दुनिया के दिलों पर राज करते हैं.
  • सरकारों की अनदेखी और बुनियादी सुविधाओं का अभाव इस उद्योग की परिक्षा ले रहा है.
  • विश्व में तेजी से घटित हो रहे व्यापारिक रणनीति ने भी पीतल उद्योग को मुसीबतों में धकेल दिया है.

अमेरिका और ईरान ने पीतल से तरेरी आखें

  • अमेरिका ने पीतल को लेकर ईरान पर प्रतिबंध लगा दिया था.
  • ईरान द्वारा भारत के उत्पादों पर रोक लगाने के बाद नुकसान झेलना पड़ा था.
  • सरकार द्वारा नियमों में बदलाव करने से एक बार फिर मायूसी का माहौल है.
  • विश्व व्यापार संगठन ने प्रोत्साहन नीति में बदलाव करने और ज्यादा छूट न देने को कहा था.

सरकार ने हस्तशिल्प निर्यातकों को दिया झटका

  • सरकार निर्यातकों से एमईआईएस लाइसेंस और आयात ड्रा बैक को वापस लेने जा रही है.
  • पीतल उत्पाद निर्यात के जरिए हर साल आठ हजार से नौ हजार करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा देश में आती है.
  • अकेले मुरादाबाद में ही पांच लाख कारीगरों की रोजी रोटी का जरिया यही उद्योग है.

पढ़ें- वृक्षारोपण महाकुंभ: यूपी में लगेंगे 22 करोड़ पौधे, बनेगा विश्व रिकॉर्ड

निर्यातकों को जहां एक तरफ दूसरे देशों से मिल रहे कड़े मुकाबले से जूझना पड़ रहा है. वहीं एक के बाद एक सामने आ रही परेशानी निर्यातकों और कारीगरों का हौसला तोड़ रही हैं. आवश्यकता है सरकार को आगे आकर हस्तशिल्प उद्योग को सहारा देने की, ताकि सालों से चला आ रहा यह हुनर आगे भी अपनी चमक बिखेरता रहे.

Intro:एंकर: मुरादाबाद: मुरादाबाद को पूरी दुनिया में पीतलनगरी के नाम से जाना जाता है और सालों से इस शहर की यहीं पहचान दुनिया में है. लेकिन बदलते समय के साथ मुरादाबाद की यह पहचान अपने अस्तित्व को बचाने के संकट से जूझ रहीं है. एक के बाद एक परेशानियों का सामना कर रहें पीतल उधोग को फिलहाल राहत मिलने के आसार नजर नहीं आ रहें है.ईरान द्वारा पीतल उत्पादों पर लगाये प्रतिबंध से संकट में आया उधोग उबरने की जद्दोजहद कर रहा था कि अचानक सरकार द्वारा लिए एक फैसले ने उधोग को मुश्किल में डाल दिया है.विश्व व्यापार संगठन के दबाव के बाद सरकार हस्तशिल्प उधोग को ड्यूटी ड्रा बैक की सुविधा बन्द करने का निर्णय लेने जा रहीं है जिसके बाद निर्यातकों में हड़कम्प मचा हुआ है.



Body:बाईट: अंशुल अग्रवाल- निर्यातक

वीओ वन: मुरादाबाद के लाखों पीतल कारीगरों के हाथों के हुनर से तैयार होने वाले पीतल उत्पाद पूरी दुनिया के दिलों पर राज करते है लेकिन लंबे समय से सरकारों की अनदेखी, बुनियादी सुविधाओं का अभाव, संसाधन युक्त देशों से कड़ा मुकाबला इस उधोग का जमकर इन्तहां ले रहा है. विश्व में तेजी से घटित हो रहें व्यापारिक रणनीति ने भी पीतल उधोग को मुसीबतों में धकेल दिया है. अमेरिका द्वारा ईरान पर प्रतिबंध लगाने और ईरान द्वारा भारत के उत्पादों पर रोक लगाने के बाद उधोग को हजारों करोड़ का नुकशान झेलना पड़ा था. उधोग इस संकट से उभरता इससे पहले ही सरकार द्वारा नियमों में बदलाव करने से एक बार फिर मायूसी का माहौल है.
बाईट: सतपाल सिंह- पूर्व चैयरमैन ईपीसीएच
वीओ टू: दरअसल विश्व व्यापार संगठन ने भारत सरकार को निर्यातकों को दी जा रहीं प्रोत्साहन नीति में बदलाव करने और ज्यादा छूट न देने को कहा था. निर्यातकों के मुताबिक अमेरिका के दबाव में विश्व व्यापार संगठन इस तरह के कदम उठाकर भारतीय कारोबार को निशाना बना रहा है. हाल ही में अमरीका ने हस्तशिल्प उत्पादों पर दिए जा रहें जीएसपी के दर्जे को छीन लिया था और अब सरकार निर्यातकों से एमईआईएस लाइसेंस और आयात ड्रा बैक को वापस लेने जा रहीं है. इन सुविधाओं के जरिये जहां प्रोत्साहन राशि दी जाती थी वहीं विदेशों से कच्चा माल लाने पर आयात शुल्क लौटाया जाता था. सरकार के इस निर्णय से निर्यातक जहां मंदी की आशंका जता रहे है वहीं हस्यशिल्प उधोग को कपड़ा मंत्रालय से हटाने की मांग भी कर रहें है.
बाईट: शरद बंसल- संरक्षक लघू उधोग भारती


Conclusion:वीओ तीन: पीतल उत्पाद निर्यात के जरिये हर साल आठ हजार से नौ हजार करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा देश में आती है. अकेले मुरादाबाद में ही पांच लाख कारीगरों की रोजी रोटी का जरिया यहीं उधोग है. निर्यातकों को जहां एक तरफ दूसरे देशों से मिल रहे कड़े मुकाबले से जूझना पड़ रहा है वहीं एक के बाद एक सामने आ रहीं परेशानी निर्यातकों और कारीगरों का हौशला तोड़ रहीं है. आवश्यकता है सरकार को आगे आकर हस्तशिल्प उधोग को सहारा देने की ताकि सालों से चला आ रहा यह हुनर आगे भी अपनी चमक बिखेरता रहें.
भुवन चन्द्र
ईटीवी भारत
मुरादाबाद
9634544417
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