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मुरादाबाद : मधुमक्खी पालन ने बदली गांव की तकदीर, युवाओं को शहद से मिल रहा रोजगार

रोजगार की तलाश कर रहे खानपुर गांव के युवाओं ने मधुमक्खी पालन के जरिए अपनी तकदीर बदली है. युवाओं के मुताबिक हर साल उन्हें दो से तीन लाख रुपये का फायदा मधुमक्खी पालन से हो रहा है.

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Published : Feb 18, 2019, 12:38 PM IST

युवाओं को शहद से मिल रहा रोजगार

मुरादाबाद : जनपद के बिलारी क्षेत्र स्थित खानपुर गांव में पिछले कुछ सालों से हालात बदले हैं. कभी बदहाली और रोजगार की तलाश कर रहे गांव के युवाओं ने मधुमक्खी पालन के जरिए अपनी तकदीर बदली है. खानपुर गांव के अस्सी फीसदी परिवार मधुमक्खी पालन से जुड़े हैं.


मुरादाबाद जनपद के सुदूर स्थित इस गांव में हजारों पेटियां मधुमक्खी पालन के लिए लगाई गई हैं. गांव के युवाओं के मुताबिक हर साल उन्हें दो से तीन लाख रुपये का फायदा मधुमक्खी पालन से हो रहा है. खानपुर गांव में आज से पांच साल पहले हालात बद से बदतर थे. गांव के युवाओं के पास रोजगार की कमी थी और जिला मुख्यालय से दूरी के चलते लोगों के पास ज्यादा संसाधन नहीं थे. ऐसे में गांव के रहने वाले एक बुजुर्ग ने युवाओं को संगठित कर मधुमक्खी पालन की जानकारी दी और उद्यान विभाग के सहयोग से युवाओं को मधुमक्खी की पेटियां उपलब्ध कराई.

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युवाओं को शहद से मिल रहा रोजगार
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शुरुआत में युवाओं ने ज्यादा रुचि नहीं दिखाई, लेकिन जब गांव में रखी पेटियों से हर साल चालीस लीटर से ज्यादा शहद मिलने लगा तो युवाओं ने इसे गंभीरता से अपनाया और आज हर साल लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं. अस्सी फीसदी लोग रोजगार के लिए खेती के बजाय मधुमक्खी पालन को प्राथमिकता दे रहे हैं. युवाओं के मुताबिक हर साल एक पेटी से चालीस लीटर शहद प्राप्त होता है.

शहद को दिल्ली और बड़े व्यापारियों को बेचने से हर साल दो से तीन लाख रुपये का मुनाफा होता है. खानपुर गांव के युवा साल में सिर्फ चार महीने गांव में मधुमक्खी पालन करते हैं. गर्मियां शुरू होते ही इन मधुमक्खियों को उत्तराखंड के लीची बागों में रखा जाता है. जिला उद्यान विभाग के अधिकारी भी खानपुर गांव में मधुमक्खी पालन को अन्य गांवों के लिए प्रेरणा मानते है. उद्यान अधिकारी के मुताबिक इस गांव के युवाओं को सरकारी अनुदान भी समय-समय पर दिया जाता है.

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मुरादाबाद : जनपद के बिलारी क्षेत्र स्थित खानपुर गांव में पिछले कुछ सालों से हालात बदले हैं. कभी बदहाली और रोजगार की तलाश कर रहे गांव के युवाओं ने मधुमक्खी पालन के जरिए अपनी तकदीर बदली है. खानपुर गांव के अस्सी फीसदी परिवार मधुमक्खी पालन से जुड़े हैं.


मुरादाबाद जनपद के सुदूर स्थित इस गांव में हजारों पेटियां मधुमक्खी पालन के लिए लगाई गई हैं. गांव के युवाओं के मुताबिक हर साल उन्हें दो से तीन लाख रुपये का फायदा मधुमक्खी पालन से हो रहा है. खानपुर गांव में आज से पांच साल पहले हालात बद से बदतर थे. गांव के युवाओं के पास रोजगार की कमी थी और जिला मुख्यालय से दूरी के चलते लोगों के पास ज्यादा संसाधन नहीं थे. ऐसे में गांव के रहने वाले एक बुजुर्ग ने युवाओं को संगठित कर मधुमक्खी पालन की जानकारी दी और उद्यान विभाग के सहयोग से युवाओं को मधुमक्खी की पेटियां उपलब्ध कराई.

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युवाओं को शहद से मिल रहा रोजगार
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शुरुआत में युवाओं ने ज्यादा रुचि नहीं दिखाई, लेकिन जब गांव में रखी पेटियों से हर साल चालीस लीटर से ज्यादा शहद मिलने लगा तो युवाओं ने इसे गंभीरता से अपनाया और आज हर साल लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं. अस्सी फीसदी लोग रोजगार के लिए खेती के बजाय मधुमक्खी पालन को प्राथमिकता दे रहे हैं. युवाओं के मुताबिक हर साल एक पेटी से चालीस लीटर शहद प्राप्त होता है.

शहद को दिल्ली और बड़े व्यापारियों को बेचने से हर साल दो से तीन लाख रुपये का मुनाफा होता है. खानपुर गांव के युवा साल में सिर्फ चार महीने गांव में मधुमक्खी पालन करते हैं. गर्मियां शुरू होते ही इन मधुमक्खियों को उत्तराखंड के लीची बागों में रखा जाता है. जिला उद्यान विभाग के अधिकारी भी खानपुर गांव में मधुमक्खी पालन को अन्य गांवों के लिए प्रेरणा मानते है. उद्यान अधिकारी के मुताबिक इस गांव के युवाओं को सरकारी अनुदान भी समय-समय पर दिया जाता है.

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Intro:एंकर: मुरादाबाद: मुरादाबाद जनपद के बिलारी क्षेत्र स्थित खानपुर गांव में पिछले कुछ सालों में हालात बदलें नजर आ रहें है. कभी बदहाली और रोजगार की तलाश कर रहें गांव के युवाओं ने मधुमक्खी पालन के जरिये अपनी तकदीर बदली है. खानपुर गांव के अस्सी फीसदी परिवार मधुमक्खी पालन से रोजगार जुटा रहें है. मुरादाबाद जनपद के सुदूर स्थित इस गांव में हजारों पेटियां मधुमक्खी पालन के लिए लगाई गई है. गांव के युवाओं के मुताबिक हर साल उन्हें दो से तीन लाख रुपये का फायदा मधुमक्खी पालन से उन्हें हो रहा है.


Body:वीओ वन: खानपुर गांव में आज से पांच साल पहले हालात बद से बदतर थे. गांव के युवाओं के पास रोजगार की कमी थी और जिला मुख्यालय से दूरी के चलते लोगों के पास ज्यादा संसाधन नही थे. ऐसे में गांव के रहने वाले एक बुजुर्ग ने युवाओं को संगठित कर मधुमक्खी पालन की जानकारी दी और उद्यान विभाग के सहयोग से युवाओं को मधुमक्खी की पेटियां उपलब्ध कराई. शुरुआत में युवाओं ने ज्यादा रुचि नहीं दिखाई लेकिन जब गांव में रखी पेटियों से हर साल चालीस लीटर से ज्यादा शहद मिलने लगा तो युवाओं ने इसे गम्भीरता से अपनाया और आज हर साल लाखों का मुनाफा कमा रहें है.
बाइट: ज्ञानप्रकास: स्थानीय बुजुर्ग
वीओ टू: खानपुर गांव में अस्सी फीसदी लोग रोजगार के लिए खेती के बजाय मधुमक्खी पालन को प्राथमिकता दे रहें है. युवाओं के मुताबिक हर साल एक पेटी से चालीस लीटर शहद प्राप्त होता है और सौ पेटियों से मिले शहद को दिल्ली और बड़े व्यापारियों को बेचने से हर साल दो से तीन लाख रुपये मुनाफा होता है. खानपुर गांव के युवा साल में सिर्फ चार महीने गांव में मधुमक्खी पालन करते है. गर्मियां शुरू होते ही इन मधुमक्खियों को उत्तराखंड के लीची बागों में रखा जाता है. इसके अलावा हरियाणा,सम्भल,कासगंज में भी पेटियां रखी जाती है.गांव के युवाओं के मुताबिक पहले के मुकाबले उनके आर्थिक हालात सुधरे है और अब वह खेती करने के बजाय मधुमक्खी पालन से ही जीवन यापन कर रहें है.
बाइट: अजय: मधुमक्खी पालन करने वाले
बाइट: अशोक: मधुमक्खी पालन करने वाले
वीओ तीन: खानपुर गांव के युवाओं की तरक्की देख अब आस-पास के गांव के युवा भी इन युवाओं से मधुमक्खी पालन के तरीके सीख रहें है. इसके साथ ही दिल्ली और बड़े शहरों के व्यापारी अब खानपुर गांव से शहद खरीद रहें है. जिला उद्यान विभाग के अधिकारी भी खानपुर गांव में मधुमक्खी पालन को अन्य गांवों के लिए प्रेरणा मानते है. उद्यान अधिकारी के मुताबिक इस गांव के युवाओं को सरकारी अनुदान भी समय-समय पर दिया जाता है.
बाइट: सुनील कुमार: जिला उद्यान अधिकारी


Conclusion:वीओ चार: खानपुर गांव को अब आस-पास के लोग मधुमक्खी पालन के नाम पर ही जानते है. गांव में महिलाएं भी शहद जमा करने और बेचने के काम में हाथ बंटाती है. स्थानीय युवा अपने इस रोजगार से काफी खुश है और आने वाले समय में बड़े पैमाने पर मधुमक्खी पालन कर लोगों को रोजगार देने की कोशिश में जुटे है.
भुवन चन्द्र
ईटीवी भारत
मुरादाबाद
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