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अब मुरादाबाद के अन्नदाता फूलों की खेती से महका रहे अपना जीवन

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में किसान पारम्परिक खेती की तुलना में फूलों की खेती की तरफ ज्यादा अग्रसर हो रहे हैं. किसानों का कहना है कि फूलों की खेती से उन्हें अधिक लाभ हो रहा है.

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फूलों की खेती की तरफ बढ़ रहे किसान
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Published : Feb 19, 2020, 6:47 AM IST

मुरादाबाद: गन्ना बेल्ट के नाम से मशहूर पश्चिमी उत्तर प्रदेश की उपजाऊ जमीन अब फूलों की विभिन्न प्रजातियों से लहलहा रही है. परम्परागत खेती को पीछे छोड़ किसान बड़ी संख्या में फूलों की खेती को अपना रहे हैं. साथ ही यहां के फूलों की सप्लाई स्थानीय क्षेत्रों से लेकर राजधानी दिल्ली तक होती है.

किसानों को मिल रहा लाभ
फूलों की खेती से किसानों को फसल का नगद भुगतान मिलने से फायदा हो रहा है. मुरादाबाद जिले में गेंदा, गुलाब, कमल और अन्य प्रजाति के फूल किसानों को साल भर की आय का जरिया मुहैया करा रहे हैं. उद्यान विभाग भी फूलों की खेती कर रहे किसानों को अनुदान दे रहा है. गन्ना बेल्ट के नाम से मशहूर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में फूलों की खेती से किसान अब अपनी आर्थिक हालत सुधार रहे हैं.

फूलों की खेती की तरफ बढ़ रहे किसान.

इसे भी पढ़ें:- मुरादाबाद: ईरान ने भारतीय हस्तशिल्प उत्पादों से प्रतिबंध हटाया, पीतल उद्योग में उत्साह

दिल्ली तक सप्लाई होते हैं फूल
मुरादाबाद जनपद में हर साल फूलों की खेती का रकबा बढ़ रहा है और यहां उगाए फूल स्थानीय बाजार के साथ दिल्ली तक सप्लाई किये जा रहे हैं. किसान तेज सिंह के मुताबिक फूलों से उन्हें साल भर कमाई होती है, जिससे वह अपने परिवार का भरण पोषण करने में सक्षम हैं.

नगद मिलता है भुगतान
कम समय और ज्यादा मुनाफा होने से किसान लगातार फूलों की खेती की तरफ आकर्षित हो रहे हैं. गन्ने की एक फसल को तैयार होने में एक साल का वक्त लगता है और भुगतान होने में सालों लग जाते हैं. वहीं फूलों की खेती चार महीने में तैयार हो जाती है और इसमें नगद भुगतान भी मिलता है.

इसे भी पढ़ें:- यूपी बोर्ड परीक्षा: कंट्रोल रूम से रखी जाएगी मुरादाबाद के परीक्षा केंद्रों पर नजर

कम करनी होती है सिंचाई
एक बीघे जमीन में उगाए गए फूलों से किसान को हर तीसरे दिन हजार से बारह सौ रुपये की कमाई होती है और यह सिलसिला चार महीने तक चलता ही रहता है. गन्ने के मुकाबले किसानों को फूलों की खेती मेंं सिंचाई कम करनी होती है और मेहनत भी आधी होती है.

प्रदेश सरकार मुहैया करा रही अनुदान
प्रदेश सरकार फूलों की खेती कर रहे किसानों को अनुदान मुहैया कराकर लगातार प्रेरित कर रही है. खेती के रकबे के हिसाब से अनुदान की राशि किसानों के बैंक खातों में भेजी जाती है और समय-समय पर खेती के लिए जरूरी निर्देश भी दिए जाते है. उद्यान विभाग अधिकारियों का भी मानना है कि फूलों का रकबा जनपद में दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है.

इसे भी पढ़ें:- 100 दिन में 7500 किमी. साईकिल चलाकर भारत में पाया पहला स्थान

मुरादाबाद: गन्ना बेल्ट के नाम से मशहूर पश्चिमी उत्तर प्रदेश की उपजाऊ जमीन अब फूलों की विभिन्न प्रजातियों से लहलहा रही है. परम्परागत खेती को पीछे छोड़ किसान बड़ी संख्या में फूलों की खेती को अपना रहे हैं. साथ ही यहां के फूलों की सप्लाई स्थानीय क्षेत्रों से लेकर राजधानी दिल्ली तक होती है.

किसानों को मिल रहा लाभ
फूलों की खेती से किसानों को फसल का नगद भुगतान मिलने से फायदा हो रहा है. मुरादाबाद जिले में गेंदा, गुलाब, कमल और अन्य प्रजाति के फूल किसानों को साल भर की आय का जरिया मुहैया करा रहे हैं. उद्यान विभाग भी फूलों की खेती कर रहे किसानों को अनुदान दे रहा है. गन्ना बेल्ट के नाम से मशहूर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में फूलों की खेती से किसान अब अपनी आर्थिक हालत सुधार रहे हैं.

फूलों की खेती की तरफ बढ़ रहे किसान.

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दिल्ली तक सप्लाई होते हैं फूल
मुरादाबाद जनपद में हर साल फूलों की खेती का रकबा बढ़ रहा है और यहां उगाए फूल स्थानीय बाजार के साथ दिल्ली तक सप्लाई किये जा रहे हैं. किसान तेज सिंह के मुताबिक फूलों से उन्हें साल भर कमाई होती है, जिससे वह अपने परिवार का भरण पोषण करने में सक्षम हैं.

नगद मिलता है भुगतान
कम समय और ज्यादा मुनाफा होने से किसान लगातार फूलों की खेती की तरफ आकर्षित हो रहे हैं. गन्ने की एक फसल को तैयार होने में एक साल का वक्त लगता है और भुगतान होने में सालों लग जाते हैं. वहीं फूलों की खेती चार महीने में तैयार हो जाती है और इसमें नगद भुगतान भी मिलता है.

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कम करनी होती है सिंचाई
एक बीघे जमीन में उगाए गए फूलों से किसान को हर तीसरे दिन हजार से बारह सौ रुपये की कमाई होती है और यह सिलसिला चार महीने तक चलता ही रहता है. गन्ने के मुकाबले किसानों को फूलों की खेती मेंं सिंचाई कम करनी होती है और मेहनत भी आधी होती है.

प्रदेश सरकार मुहैया करा रही अनुदान
प्रदेश सरकार फूलों की खेती कर रहे किसानों को अनुदान मुहैया कराकर लगातार प्रेरित कर रही है. खेती के रकबे के हिसाब से अनुदान की राशि किसानों के बैंक खातों में भेजी जाती है और समय-समय पर खेती के लिए जरूरी निर्देश भी दिए जाते है. उद्यान विभाग अधिकारियों का भी मानना है कि फूलों का रकबा जनपद में दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है.

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