मुरादाबाद: पीतलनगरी के नाम से दुनिया में मशहूर मुरादाबाद और दस्तकार पूरी दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाए हुए है. सालाना आठ हजार करोड़ से ज्यादा विदेशी मुद्रा देश में लाने वाले इस शहर में पीतल कारोबारियों और कारीगरों की भरमार है. केंद्र सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35-A हटाये जाने के बाद पीतल कारोबारी अब कश्मीर में कारोबार करने की उम्मीदें तलाश रहें है.
पीतल कारोबारियों में खुशी की लहर:
- मुरादाबाद के पीतल उधोग की चमक पूरी दुनिया में फैली है.
- देश में उत्तर से दक्षिण तक पीतल कारोबारी साल भर कारोबार के सिलसिले में यात्राएं करते रहते हैं.
- पिछले कुछ सालों से मुरादाबाद के दर्जनों पीतल कारोबारियों ने कश्मीर में भी अपना कारोबार जमाया है.
- अनवर अली पिछले बीस सालों से लगातार कश्मीर में पीतल उत्पाद बिक्री का काम कर रहे हैं.
- कश्मीर में अनुच्छेद 370 के कारण कठिन व्यापारिक परिस्थितियां और स्थानीय लोगों का सहयोग न मिलने के चलते वसीम वापस लौट आए थे.
केंद्र सरकार के फैसले के बाद अब दोबारा कश्मीर में कारोबार शुरू करना चाह रहें है. इस बार कश्मीर में अपनी दुकान और घर बनाने का सपना भी साथ लेकर आए हैं.
अनवर, कारोबारी
कश्मीर में पिछले कई सालों से पीतल उत्पादों की बिक्री कर रहे कारीगर जहां खुश हैं, वहीं सरकार से भी विशेष सहायता मिलने की उम्मीद लगाए हैं.
कश्मीर में हस्तशिल्प कारोबार के लिए अपार सम्भवनाएं मौजूद हैं. पर्यटन स्थल होने के चलते कश्मीर कारोबार के लिए सबसे मुफीद है. आने वाले दिनों में कश्मीर कारोबार के लिहाज से देश की सबसे बढ़िया जगहों में से एक हो सकता है. पीतल कारोबार से जुड़े लोगों के मुताबिक केंद्र सरकार कश्मीर में कारोबारियों को टैक्स में छूट और कारोबार में रियायत दे तो मंदी से जूझ रहे कारोबारी कश्मीर पलायन करने को तैयार हैं.
-सैयद गानिम., चेयरमैन ( FTTPA)