मुरादाबाद: कोरोना संकट के चलते देशभर में लॉकडाउन है. प्रधानमंत्री द्वारा देशवासियों से घरों में रहने की अपील की गई है, लेकिन अब भी हजारों प्रवासी मजदूर पैदल अपने घरों को लौट रहे हैं. दिल्ली और उत्तराखंड से शनिवार को भी हजारों मजदूर मुरादाबाद पहुंचे.
प्रदेश सरकार के निर्देश पर परिवहन निगम की कुछ बसें चलाई गई हैं, लेकिन ये घर जाने के लिए पैदल निकले लोगों की संख्या की तुलना में नाकाफी हैं. मुरादाबाद रोडवेज बस अड्डे पर सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय कर पहुंचे परिवारों ने अपनी आपबीती सुनाई. साथ ही सरकार द्वारा इंतजाम न करने के आरोप लगाए.
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पूरे देश में लॉकडाउन के बीच मुरादाबाद रोडवेज बस अड्डे पर आज सामान्य दिनों जैसे ही हालात नजर आएं. बस अड्डे पर सैकड़ों की तादात में बसों का इंतजार कर रहें यात्री थे, जो हर हाल में अपने घर पहुंचना चाहते हैं. दिल्ली और उत्तराखंड में मजदूरी करने वाले इन लोगों के साथ महिलाएं और बच्चे भी मौजूद हैं.
इन मजदूरों में बड़ी संख्या में राजस्थान के रहने वाले मजदूर हैं, जो मुरादाबाद में मूर्तियां बनाने और पत्थर तराशने का काम करते हैं. दिल्ली से अपने परिवार की महिलाओं और बच्चियों के साथ लौटी 60 वर्षीय शबाना को संभल जिले में जाना है और उसके पैर अब जवाब देने लगे हैं. दिल्ली में काम छूटने का दर्द और अब रास्ते में फंसे होने की बेबसी परिवार की आंखों में साफ नजर आती है.
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पिछले दो दिनों से नेशनल हाइवे चौबीस पर प्रवासी मजदूरों का तांता लगा हुआ है. सरकार ने लॉकडाउन की घोषणा कर कोरोना को रोकने के प्रयाश तो किए, लेकिन प्रवासी मजदूरों ने सरकार के प्रयासों को लेकर सवाल खड़ा कर दिया है. प्रवासी मजदूरों के इस समूह में कौन कोरोना से संक्रमित है कहा नहीं जा सकता, ऐसे में आने वाले दिनों में इसका खामियाजा पूरे देश को भुगतना पड़ सकता है.