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मुरादाबाद: कभी रहता था नशे में चूर, आज नशा करने वालों का कर रहा है इलाज

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में 17 साल तक नशे में डूबा इंसान अब नशे के शिकार लोगों का इलाज कर रहा है. परवेज ने जिस नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती होकर अपनी नशे की लत को दूर किया था आज वहीं से अट्ठारह सौ से ज्यादा लोगों को नशा मुक्त करा चुका है.

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Published : Aug 30, 2019, 6:56 PM IST

Updated : Aug 30, 2019, 8:06 PM IST

नशे में रहने वाला व्यक्ति आज खुद करता है नशे में चूर लोगों का इलाज.

मुरादाबाद: जो कभी 17 साल तक खुद नशे में चूर रहने वाला व्यक्ति था, आज खुद नशे के शिकार लोगों का इलाज कर रहा है. जिस नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती होकर उस व्यक्ति ने अपना इलाज कराया था, आज उसी सेंटर का मालिक है.

परवेज को नशे की लत ऐसी लगी थी, जिसे पूरा करने के लिए दिल्ली में गूंगा बनकर उसने भीख तक मांगी थी. परवेज अब अट्ठारह सौ से ज्यादा लोगों को नशा मुक्त करा कर उनके घर भेज चुका है. इस मुहिम में जीआरपी इंस्पेक्टर उनका बड़ा सहयोग कर रहे हैं.

नशा मुक्ति केंद्र.

बरेली की मीरगंज के रहने वाले परवेज के पिता चकबंदी अधिकारी थे. परवेज ने सत्रह साल तक स्मैक, बीड़ी, गुटका, नशे के इंजेक्शन का नशा किया था, लेकिन आज नशे के शिकार लोगों का खुद इलाज कर रहा है. परवेज की 17 साल की कहानी तो बहुत लंबी है. लेकिन ईटीवी भारत से बात करते हुए उसने बताया कि आज जिस वैकल्पिक नशा मुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र में पर वह बैठे हैं वह अब उसके संचालक हैं.

परवेज ने बताया-

सत्रह साल पहले इसी नशा मुक्ति केंद्र में मेरी नशे की लत छुड़ाने के लिए मुझको मेरे परिवार वालों ने भर्ती कराया था. 1990 में गुटखा खाना शुरू किया था. उसके बाद मेरी शादी हो गई. शादी के बाद एक दिन गांव के एक दोस्त ने स्मैक की पुड़िया दी, जिसे मैंने पी लिया. बस उसके बाद मुझको इसकी लत लग गई. मैंने अपनी पत्नी के सारे कपड़े घर के बर्तन बेच दिए. यहीं नहीं मैं घर से भागकर दिल्ली आ गया जहां मैंने गूंगा बनकर भीख मांगी और नशा किया.

घर वालों ने रस्सी जंजीरों से बांधकर रखा, लेकिन मेरी नशे की लत नहीं छूटी. एक दिन मेरे बहनोई मुझे दवाई दिलाने के बहाने मुरादाबाद के नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती कराया. जहां पांच महीने रहने के बाद मेरे नशे की लत छूट गई. उसके बाद उसी सेंटर की बागडोर अब मैं संभाल रहा हूं जहां मैंने खुद नशा छोड़ा था. हमारे सेंटर पर डॉक्टर और एक यूपी पुलिस सिपाही सहित 72 लोग भर्ती है. सभी लोगों को क्लास दी जाती है और योगा कराया जाता है साथ ही खाने पीने का ध्यान रखा जाता है.

मुरादाबाद: जो कभी 17 साल तक खुद नशे में चूर रहने वाला व्यक्ति था, आज खुद नशे के शिकार लोगों का इलाज कर रहा है. जिस नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती होकर उस व्यक्ति ने अपना इलाज कराया था, आज उसी सेंटर का मालिक है.

परवेज को नशे की लत ऐसी लगी थी, जिसे पूरा करने के लिए दिल्ली में गूंगा बनकर उसने भीख तक मांगी थी. परवेज अब अट्ठारह सौ से ज्यादा लोगों को नशा मुक्त करा कर उनके घर भेज चुका है. इस मुहिम में जीआरपी इंस्पेक्टर उनका बड़ा सहयोग कर रहे हैं.

नशा मुक्ति केंद्र.

बरेली की मीरगंज के रहने वाले परवेज के पिता चकबंदी अधिकारी थे. परवेज ने सत्रह साल तक स्मैक, बीड़ी, गुटका, नशे के इंजेक्शन का नशा किया था, लेकिन आज नशे के शिकार लोगों का खुद इलाज कर रहा है. परवेज की 17 साल की कहानी तो बहुत लंबी है. लेकिन ईटीवी भारत से बात करते हुए उसने बताया कि आज जिस वैकल्पिक नशा मुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र में पर वह बैठे हैं वह अब उसके संचालक हैं.

परवेज ने बताया-

सत्रह साल पहले इसी नशा मुक्ति केंद्र में मेरी नशे की लत छुड़ाने के लिए मुझको मेरे परिवार वालों ने भर्ती कराया था. 1990 में गुटखा खाना शुरू किया था. उसके बाद मेरी शादी हो गई. शादी के बाद एक दिन गांव के एक दोस्त ने स्मैक की पुड़िया दी, जिसे मैंने पी लिया. बस उसके बाद मुझको इसकी लत लग गई. मैंने अपनी पत्नी के सारे कपड़े घर के बर्तन बेच दिए. यहीं नहीं मैं घर से भागकर दिल्ली आ गया जहां मैंने गूंगा बनकर भीख मांगी और नशा किया.

घर वालों ने रस्सी जंजीरों से बांधकर रखा, लेकिन मेरी नशे की लत नहीं छूटी. एक दिन मेरे बहनोई मुझे दवाई दिलाने के बहाने मुरादाबाद के नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती कराया. जहां पांच महीने रहने के बाद मेरे नशे की लत छूट गई. उसके बाद उसी सेंटर की बागडोर अब मैं संभाल रहा हूं जहां मैंने खुद नशा छोड़ा था. हमारे सेंटर पर डॉक्टर और एक यूपी पुलिस सिपाही सहित 72 लोग भर्ती है. सभी लोगों को क्लास दी जाती है और योगा कराया जाता है साथ ही खाने पीने का ध्यान रखा जाता है.

Intro:एंकर:- कभी 17 साल तक नशे में चूर रहने वाला व्यक्ति आज खुद नशे के शिकार लोगों का इलाज कर रहा है. जिस नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती होकर अपना इलाज कराया था आज उसी सेंटर का मालिक है. नशे की लत को पूरा करने के लिए दिल्ली में गूंगा बनकर भीख तक मांगी थी. अब अट्ठारह सौ से ज्यादा लोगों को नशा मुक्त करा कर उनके घर भेज चुके हैं. इस मुहिम में जीआरपी इंस्पेक्टर उनका बड़ा सहयोग कर रहे हैं.


Body:वीओ:- बरेली की मीरगंज के रहने वाले परवेज के पिता चकबंदी अधिकारी थे. परवेज ने सत्रह साल तक स्मैक, बीड़ी, गुटका, नशे के इंजेक्शन का नशा किया था. लेकिन आज नशे के शिकार लोगों का खुद इलाज कर रहा है. परवेज की 17 साल की कहानी तो बहुत लंबी है. लेकिन हमसे बात करते हुए उसने बताया कि आज जिस वैकल्पिक नशा मुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र में पर मैं बैठा हूं और इसका मैं संचालक हूं. तराह साल पहले इसी नशा मुक्ति केंद्र में मेरी नशे की लत छुड़ाने के लिए मुझको मेरे परिवार वालों ने भर्ती कराया था. 1990 में गुटखा खाना शुरू किया था उसके बाद लव मैरिज हो गई. शादी के बाद एक दिन गांव का एक दोस्त उल्टी कर रहा था. मैंने उसको देखा तो मैं उसकी पीठ सैलाना शुरू कर दी. उसने कहा कि रहने दे मुझको उल्टी करने में मजा आ रहा है. मैंने उससे कहा कि उल्टी करने में कैसा मजा आता है. तो उसने मुझको इसमें की स्मेक की पुड़िया दी मैंने भी उसको पी लिया. इसमें उसके बाद मुझको भी उल्टी में इतना मजा आया कि उसको मैं बयान नहीं कर सकता. बस उसके बाद मुझको इसकी लत लग गई. मैंने अपनी पत्नी के सारे कपड़े घर के बर्तन बेच दिए. उस समय समय दस रुपए में मिलती थी. मैं घर से भागकर दिल्ली आ गया जहां मैंने गूंगा बनकर भीख मांगी और नशा किया. बीच-बीच में रात के अंधेरे में अपने घर चलाता था और सुबह ही भाग जाता है. मेरे आठ बच्चे हुए जिसमें छह की मौत हो गई. लेकिन मुझ को यह नहीं पता कि मेरे बच्चों की मौत कैसे हुई मैं नशे में मस्त रहता था. घर वालों ने रस्सी जंजीरों से बांधकर रखा लेकिन लत नहीं छुटी. एक दिन मेरे बहनोई ने मुझे दवाई दिलवाने के बहाने मुरादाबाद की नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती कराया. जहां पांच महीने रहने के बाद भी उसके बाद नशे की लत छूट गयी. मैंने यह सोचा कि मैं खुद यह काम क्यों नहीं करता. फिर मैं इस सेंटर के मालिक जो गाजियाबाद में रहते थे. उनके पास गया जहां उन्होंने 19 महीने मुझे नौकरी पर रखा और उसके बाद उसी सेंटर की बागडोर जहां मैंने खुद नशा छोड़ा था. हमारे सेंटर पर डॉक्टर और एक यूपी पुलिस सिपाही सहित 72 लोग भर्ती है. सभी लोगों को क्लास दी जाती है योगा कराया जाता है. खाने पीने का ध्यान रखा जाता है. अब तक 18 सौ लोगो का इलाज कर चुका हूं. अब एक नया सेंटर और खोलने की तैयारी कर रहा हूं. प्रशासन की तरफ से भी स्कूल कॉलेजों में क्लास लगाने के लिए जाता हूं. मन को बहुत खुशी मिलती है. बच्चों को नशा छुड़वाने के लिए मुरादाबाद जीआरपी इंस्पेक्टर पंकज भी आगे आकर काम कर रहे है. रेलवे स्टेशन पर नशा करने वाले को हमारे सेंटर पर लाकर भर्ती कर आते हैं उनका पूरा खर्चा भी वही करते हैं. अब तक पांच बच्चों को नशे की लत छुड़ाने में उन्होंने मदद की है. मुझको इंस्पेक्टर साहब बहुत फक्र है कि नशा छुड़ाने के लिए वह आगे आकर काम कर रहे हैं.


Conclusion:वीओ:- नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती बीयूएमएस एमडी डॉक्टर संजीव कुमार ने बताया कि नशे की लत मुझको तब लगी जब रात में डॉक्टरों की पार्टी में जाकर में बीयर पीना शुरू की. उसके बाद शराब शुरू हो गई धीरे-धीरे नशे की लत बढ़ती चली गई. मैंने अपने बहनोई को नशा छुड़वाने के लिए इसी नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती कराया था. जब मेरी उन्होंने यह हालत देखी तो उन्होंने मुझे इसी सेंटर में भर्ती होने की सलाह दी. अब मेरी हालत सही है और नशे की लत भी पूरी तरीके से छूट चुकी है.
वीओ:- यूपी पुलिस का कांस्टेबल धर्म बंधु ने बताया कि बीबी और पिता की मौत के बाद घर की स्थिति बिगड़ गई. इसी टेंशन में मुझे नशे की लत लग गई. लीव लेकर यहां इलाज करा रहा था अब मुझ को सस्पेंड कर दिया गया है. लेकिन अब बहुत सही और पूरी तरह से स्वस्थ हूं.
वीओ:- जीआरपी इंस्पेक्टर पंकज पंत ने बताया कि मेरे अंदर भी कुछ अलग करने का मन था. शासन के भी आदेश दिए कि नशा करने वाले बच्चों को सुधारा जाए. इसी को लेकर जो बच्चा मुझको नशा करता हुआ दिखता है. उसके परिवार वालों को खोज कर उनसे बात करके बच्चों का इलाज करवाता हूं. एक बच्चा तो मध्य प्रदेश का था और मुरादाबाद रेलवे स्टेशन में भीख मांग कर नाश करता था. जब मैंने उसके परिवार मध्य प्रदेश संपर्क किया तो यह जानकर हैरान हो गई कि उनका बेटा जिंदा है. उन्होंने यह मान लिया था कि उनका बेटा मर चुका है. अब तक पांच बच्चों का इलाज करा चुका हूं. सभी बच्चे अपने घर पर हैं और खुश हैं उनके इलाज के लिए कुछ रुपया अपने पास से देता हूं और लोगों से मदद लेकर इलाज करवाता हु.


बाइट:- संचालक परवेज
बाइट:- मरीज डॉक्टर संजीव कुमार
बाइट:- मरीज कांस्टेबल धर्म बंधू
बाइट:- जीआरपी इंस्पेक्टर पंकज पंत

सुशील कुमार सिंह
ईटीवी भारत
मुरादाबाद
8057006591, 8279564646
Last Updated : Aug 30, 2019, 8:06 PM IST
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