मुरादाबाद: जो कभी 17 साल तक खुद नशे में चूर रहने वाला व्यक्ति था, आज खुद नशे के शिकार लोगों का इलाज कर रहा है. जिस नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती होकर उस व्यक्ति ने अपना इलाज कराया था, आज उसी सेंटर का मालिक है.
परवेज को नशे की लत ऐसी लगी थी, जिसे पूरा करने के लिए दिल्ली में गूंगा बनकर उसने भीख तक मांगी थी. परवेज अब अट्ठारह सौ से ज्यादा लोगों को नशा मुक्त करा कर उनके घर भेज चुका है. इस मुहिम में जीआरपी इंस्पेक्टर उनका बड़ा सहयोग कर रहे हैं.
बरेली की मीरगंज के रहने वाले परवेज के पिता चकबंदी अधिकारी थे. परवेज ने सत्रह साल तक स्मैक, बीड़ी, गुटका, नशे के इंजेक्शन का नशा किया था, लेकिन आज नशे के शिकार लोगों का खुद इलाज कर रहा है. परवेज की 17 साल की कहानी तो बहुत लंबी है. लेकिन ईटीवी भारत से बात करते हुए उसने बताया कि आज जिस वैकल्पिक नशा मुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र में पर वह बैठे हैं वह अब उसके संचालक हैं.
परवेज ने बताया-
सत्रह साल पहले इसी नशा मुक्ति केंद्र में मेरी नशे की लत छुड़ाने के लिए मुझको मेरे परिवार वालों ने भर्ती कराया था. 1990 में गुटखा खाना शुरू किया था. उसके बाद मेरी शादी हो गई. शादी के बाद एक दिन गांव के एक दोस्त ने स्मैक की पुड़िया दी, जिसे मैंने पी लिया. बस उसके बाद मुझको इसकी लत लग गई. मैंने अपनी पत्नी के सारे कपड़े घर के बर्तन बेच दिए. यहीं नहीं मैं घर से भागकर दिल्ली आ गया जहां मैंने गूंगा बनकर भीख मांगी और नशा किया.
घर वालों ने रस्सी जंजीरों से बांधकर रखा, लेकिन मेरी नशे की लत नहीं छूटी. एक दिन मेरे बहनोई मुझे दवाई दिलाने के बहाने मुरादाबाद के नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती कराया. जहां पांच महीने रहने के बाद मेरे नशे की लत छूट गई. उसके बाद उसी सेंटर की बागडोर अब मैं संभाल रहा हूं जहां मैंने खुद नशा छोड़ा था. हमारे सेंटर पर डॉक्टर और एक यूपी पुलिस सिपाही सहित 72 लोग भर्ती है. सभी लोगों को क्लास दी जाती है और योगा कराया जाता है साथ ही खाने पीने का ध्यान रखा जाता है.