मुरादाबाद: गर्मियों के मौसम में मौसमी फल तरबूज की सबसे ज्यादा डिमांड रहती है. कोरोना संकट के चलते लॉकडाउन के कारण तरबूज किसानों पर दोहरी मार पड़ रही है. खेतों में तैयार तरबूज वाहनों की आवाजाही न होने के चलते मंडी तक नहीं पहुंच रहे हैं. वहीं दवाइयां न मिलने के चलते फसल को बीमारियों से भी नुकसान हो रहा है.
बड़े पैमाने पर होती है तरबूज की खेती-
जनपद के रामगंगा नदी किनारे लगभग 11 हजार बीघा जमीन में हर साल किसान तरबूज की खेती करते हैं. इस साल तरबूज की फसल तैयार हो चुकी है लेकिन इसको बाजार तक पहुंचाना किसी चुनौती से कम नहीं है. तरबूज उगाने में लाखों रुपये लगाने वाले किसान नुकसान की आशंका से सहमे हुए हैं, और प्रशासन से मदद की गुहार लगा रहे हैं.
तरबूज किसानों का कहना है कि लॉकडाउन के कारण उन पर दोहरी मार पड़ रही है. पिछले एक महीने से बाजार में फसल के लिए दवाइयां मुश्किल से मिल रही है और जो दवाइयां उपलब्ध हैं. उनकी कीमत भी बढ़ गई है. दवाइयों का इस्तेमाल नहीं होने से तरबूज की बेलें सूख रही हैं जिससे नुकसान बढ़ गया है.
उन्होंने आग बताया कि तय समय पर लॉकडाउन खुलने से बाजार में तरबूज काफी मात्रा में पहुंचेगा. जिससे कीमतों पर असर पड़ना स्वाभाविक है. जनपद के नाजरपुर, मछरिया, पाकबड़ा क्षेत्रों में हर साल सैकड़ों टन तरबूज उगाया जाता है. खेतों में तरबूज को ज्यादा दिन तक रखने में जहां इनके खराब होने का डर है. वहीं किसानों को भी इससे अतिरिक्त खर्च झेलना पड़ेगा. किसान राम भरोसे बीस बीघा जमीन में दो लाख रुपये खर्च कर तरबूज की फसल उगाई है लेकिन अब नुकसान की आशंका से उनकी नींद उड़ी हुई है.
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