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कोरोना काल में चरमराई स्वास्थ्य व्यवस्था, कम मिलीं एंटी रेबीज वैक्सीन

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Published : Jan 8, 2021, 5:44 PM IST

कोरोना महामारी के कारण देश में स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई हैं. इसकी वजह से अन्य बीमारियों के मरीजों को सही इलाज नहीं मिल पा रहा है. मुरादाबाद में कुत्ते, बिल्लियों और अन्य जानवरों के काटने की घटनाओं में तेजी आई. इसके बाद भी जिला अस्पताल में एंटी रेबीज वैक्सीन की कमी है.

एंटी रेबीज वैक्सीन की कमी
एंटी रेबीज वैक्सीन की कमी

मुरादाबाद: कोरोना महामारी के संक्रमण काल के दौरान पूरे देश की स्वास्थ्य सेवाएं लगभग ठप पड़ गई थी. लोगों को केवल कोरोना वायरस से जुड़ी स्वास्थ्य सुविधाएं ही मिल पाईं. ऐसे में तमाम बीमारियों के इलाज के लिए मरीजों और तीमारदारों को परेशान होना पड़ा. सर्दियां शुरू होने के बाद से जिले के ग्रामीण और शहरी इलाकों में कुत्ते, बिल्लियों के साथ ही अन्य जानवरों के काटने की घटनाओं में तेजी आई है. मुरादाबाद जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में एंटी रेबीज वैक्सीन की कमी रही.

जिले को नहीं मिल रही वैक्सीन

वैक्सीन मिलने में आई दिक्कतें
कोरोना संक्रमण काल में तकरीबन 9 माह तक मुरादाबाद को कुल 2430 एंटी रेबीज वैक्सीन ही लखनऊ को मिली. जबकि जिले में प्रतिमाह एक हजार एंटी रेबीज वैक्सीन की जरूरत पड़ती है. इसमें सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की डिमांड भी शामिल है. इसके अलावा जिला अस्पताल में भी एआरवी की अतिरिक्त जरूरत पड़ती है. इसका कोटा अलग से है.


कब-कब मिली वैक्सीन
मुरादाबाद में कुल 7 सीएचसी और पीएचसी हैं. दो दर्जन अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के जरिए ग्रामीण इलाकों में लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं. सामुदायिक एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर 9 माह के दौरान किसी भी मरीज को एंटी रेबीज वैक्सीन नहीं लगी. जिले के सीएचसी और पीएचसी पर हर माह 1 हजार एआरवी बॉयल का खर्च आता है. एक बॉयल में 4 मरीजों को डोज मिल पाती है.

नौ माह से एआरवी बॉयल का टोटा
जिले को नौ माह में से अप्रैल, मई, सितंबर, अक्टूबर, दिसंबर में ही एंटी रेबीज बॉयल लखनऊ से मिली हैं. जून, जुलाई, अगस्त, नवंबर में एआरवी का एक भी सीएमएसडी स्टोर को नहीं मिला. इस कारण जानवरों के हमले में घायल मरीजों और तीमारदारों को मुश्किल हो रही है. जिले के तमाम सीएचसी और पीएचसी में एआरवी वैक्सीन का टोटा है. यहां जानवरों के काटने से घायल मरीजों को सीधे जिला अस्पताल भेज दिया जाता है. जिला अस्पताल सबसे नजदीकी सीएचसी या पीएचसी से भी 15 से 20 किलोमीटर दूर है.

इतने ही मिल सके एआरवी बॉयल
मुरादाबाद जिले को लखनऊ से केवल 640 बॉयल प्राप्त हुए हैं. मई 2020 में 820 बॉयल जिले को प्रदान किए गए. सितंबर 2020 में 320 बॉयल जिले में आ सके. अक्टूबर 2020 में कुल 512 बॉयल जिले को प्रदान किए गए. दिसंबर 2020 में बॉयलों की संख्या घट गई. जनवरी 2021 में महज डेढ़ सौ बॉयल ही लखनऊ से जिले को प्रदान किए गए. पिछले साल दिसंबर माह में कुल 3 हजार बॉयल जिला अस्पताल को दिए गए थे.

सीएचसी-पीएचसी पर कितने मरीज

औसत तौर पर देखा जाए तो सीएचसी या पीएससी पर हर महीने डेढ़ सौ से दो सौ मरीज कुत्ते, बिल्ली, बंदर या अन्य जानवरों के काटने से घायल हो जाते हैं. जबकि अगर सीएचसी व पीएचसी पर एआरवी के उपलब्धता की बात की जाए तो इन दिनों इसकी उपलब्धता बिल्कुल ना के बराबर है. इस कारणों से मरीजों को जिला अस्पताल का चक्कर लगाना पड़ता है.



ये बोले मरीज और तीमारदार

इस मामले में मरीज ने बताया कि हमारे यहां ठंड बढ़ने के साथ कुत्ते, बिल्ली व बंदरों के काटने की घटनाओं में तेजी आती है. खासकर कुत्ते ज्यादा हमला करते हैं. लेकिन हमारे पीएससी ताजपुर में एंटी रेबीज बॉयल उपलब्ध नहीं है. इससे हमें जिला अस्पताल तक की दौड़ लगानी पड़ती है. जबकि यहां से जिला अस्पताल की दूरी तकरीबन 20 किलोमीटर है. अगर यहां पर सुविधा मिले तो हमें तमाम तरह की सहूलियत मिल सकेगी.


ये बोले सीएमओ डॉ. एमसी गर्ग
एआरवी की समस्या पर डॉ. एमसी गर्ग ने ईटीवी भारत को बताया कि एंटी रेबीज इंजेक्शन डोज कई महीनों से लखनऊ से ही कम मिल रही है. इस वजह से सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर समस्या आ रही है. उन्होंने बताया कि लखनऊ से कम डोज मिलने के बाद भी जिला अस्पताल पर एआरवी बॉयल की कोई कमी नहीं है.

मुरादाबाद: कोरोना महामारी के संक्रमण काल के दौरान पूरे देश की स्वास्थ्य सेवाएं लगभग ठप पड़ गई थी. लोगों को केवल कोरोना वायरस से जुड़ी स्वास्थ्य सुविधाएं ही मिल पाईं. ऐसे में तमाम बीमारियों के इलाज के लिए मरीजों और तीमारदारों को परेशान होना पड़ा. सर्दियां शुरू होने के बाद से जिले के ग्रामीण और शहरी इलाकों में कुत्ते, बिल्लियों के साथ ही अन्य जानवरों के काटने की घटनाओं में तेजी आई है. मुरादाबाद जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में एंटी रेबीज वैक्सीन की कमी रही.

जिले को नहीं मिल रही वैक्सीन

वैक्सीन मिलने में आई दिक्कतें
कोरोना संक्रमण काल में तकरीबन 9 माह तक मुरादाबाद को कुल 2430 एंटी रेबीज वैक्सीन ही लखनऊ को मिली. जबकि जिले में प्रतिमाह एक हजार एंटी रेबीज वैक्सीन की जरूरत पड़ती है. इसमें सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की डिमांड भी शामिल है. इसके अलावा जिला अस्पताल में भी एआरवी की अतिरिक्त जरूरत पड़ती है. इसका कोटा अलग से है.


कब-कब मिली वैक्सीन
मुरादाबाद में कुल 7 सीएचसी और पीएचसी हैं. दो दर्जन अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के जरिए ग्रामीण इलाकों में लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं. सामुदायिक एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर 9 माह के दौरान किसी भी मरीज को एंटी रेबीज वैक्सीन नहीं लगी. जिले के सीएचसी और पीएचसी पर हर माह 1 हजार एआरवी बॉयल का खर्च आता है. एक बॉयल में 4 मरीजों को डोज मिल पाती है.

नौ माह से एआरवी बॉयल का टोटा
जिले को नौ माह में से अप्रैल, मई, सितंबर, अक्टूबर, दिसंबर में ही एंटी रेबीज बॉयल लखनऊ से मिली हैं. जून, जुलाई, अगस्त, नवंबर में एआरवी का एक भी सीएमएसडी स्टोर को नहीं मिला. इस कारण जानवरों के हमले में घायल मरीजों और तीमारदारों को मुश्किल हो रही है. जिले के तमाम सीएचसी और पीएचसी में एआरवी वैक्सीन का टोटा है. यहां जानवरों के काटने से घायल मरीजों को सीधे जिला अस्पताल भेज दिया जाता है. जिला अस्पताल सबसे नजदीकी सीएचसी या पीएचसी से भी 15 से 20 किलोमीटर दूर है.

इतने ही मिल सके एआरवी बॉयल
मुरादाबाद जिले को लखनऊ से केवल 640 बॉयल प्राप्त हुए हैं. मई 2020 में 820 बॉयल जिले को प्रदान किए गए. सितंबर 2020 में 320 बॉयल जिले में आ सके. अक्टूबर 2020 में कुल 512 बॉयल जिले को प्रदान किए गए. दिसंबर 2020 में बॉयलों की संख्या घट गई. जनवरी 2021 में महज डेढ़ सौ बॉयल ही लखनऊ से जिले को प्रदान किए गए. पिछले साल दिसंबर माह में कुल 3 हजार बॉयल जिला अस्पताल को दिए गए थे.

सीएचसी-पीएचसी पर कितने मरीज

औसत तौर पर देखा जाए तो सीएचसी या पीएससी पर हर महीने डेढ़ सौ से दो सौ मरीज कुत्ते, बिल्ली, बंदर या अन्य जानवरों के काटने से घायल हो जाते हैं. जबकि अगर सीएचसी व पीएचसी पर एआरवी के उपलब्धता की बात की जाए तो इन दिनों इसकी उपलब्धता बिल्कुल ना के बराबर है. इस कारणों से मरीजों को जिला अस्पताल का चक्कर लगाना पड़ता है.



ये बोले मरीज और तीमारदार

इस मामले में मरीज ने बताया कि हमारे यहां ठंड बढ़ने के साथ कुत्ते, बिल्ली व बंदरों के काटने की घटनाओं में तेजी आती है. खासकर कुत्ते ज्यादा हमला करते हैं. लेकिन हमारे पीएससी ताजपुर में एंटी रेबीज बॉयल उपलब्ध नहीं है. इससे हमें जिला अस्पताल तक की दौड़ लगानी पड़ती है. जबकि यहां से जिला अस्पताल की दूरी तकरीबन 20 किलोमीटर है. अगर यहां पर सुविधा मिले तो हमें तमाम तरह की सहूलियत मिल सकेगी.


ये बोले सीएमओ डॉ. एमसी गर्ग
एआरवी की समस्या पर डॉ. एमसी गर्ग ने ईटीवी भारत को बताया कि एंटी रेबीज इंजेक्शन डोज कई महीनों से लखनऊ से ही कम मिल रही है. इस वजह से सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर समस्या आ रही है. उन्होंने बताया कि लखनऊ से कम डोज मिलने के बाद भी जिला अस्पताल पर एआरवी बॉयल की कोई कमी नहीं है.

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