मुरादाबाद: पीतलनगरी के नाम से मशहूर मुरादाबाद को एक बड़ी खुशखबरी ईरान से मिली है. पिछले दो साल से ईरान के प्रतिबंधों का सामना कर रहें पीतल उद्योग से प्रतिबंध हटा लिए गए हैं. मुरादाबाद से हर साल ईरान के लिए लगभग पांच सौ करोड़ रुपये के हस्तशिल्प उत्पाद निर्यात किये जाते हैं.
ईरानी प्रतिबन्धों के बाद पीतल उद्योग को जहां हर साल पांच सौ करोड़ रुपये का नुकशान झेलना पड़ रहा था, वहीं काम न मिलने के चलते कई कारीगर पलायन करने को मजबूर हो गए थे. पीतल उत्पादों के लिए बाजार खोलने से कारोबारी और कारीगर दोनों खुश है और इसे पीतल उद्योग के लिए संजीवनी करार दे रहे हैं.
भारतीय कारोबारी उत्पादों को कर सकते निर्यात
परमाणु-प्रसार कार्यक्रम के चलते अमेरिका ने ईरान पर कड़ें प्रतिबंध लगाए तो ईरान ने दो साल पहले भारतीय हस्तशिल्प उत्पादों के आयात पर रोक लगा दी. ईरान के फैसले के बाद भारतीय कारोबारी अपने उत्पाद ईरान को निर्यात नहीं कर सकते. लिहाजा कारोबार में नुकशान होना शुरू हो गया. भारतीय हस्तशिल्प उघोग में अकेले मुरादाबाद से हर साल पांच सौ करोड़ रुपये के पीतल उत्पाद ईरान के बाजारों में पहुंचते थे. ईरान से निर्यात बंद होने के बाद पीतल कारोबार बदहाली के सबसे बुरे दौर से गुजर रहे थे. कई कारीगर पलायन कर दूसरे शहरों में रोजी-रोटी तलाश कर रहें थे. कारोबारियों के मुताबिक ईरान एकमात्र देश है जो केवल शुद्ध पीतल के उत्पाद खरीदता था, जो मुरादाबाद की असल पहचान है.
कारीगरों को पुन: मिलेगा रोजगार
ईरान के लिए पीतल उत्पाद तैयार करने वाले कारीगरों के मुताबिक इस फैसले से एक तरफ कारोबार को रफ्तार मिलेगी. वहीं कारीगरों को भी घर बैठे काम मिलता रहेगा. ईरान सरकार द्वारा लिए गए फैसले में कारोबारियों को सीधे निर्यात की मंजूरी भी दी गयी है.
कारोबारी उत्पादों को संवारने में जुटे
मुरादाबाद के पीतल कारोबारी पहले थर्ड पार्टी पेमेंट के जरिये ईरानी बायरों को उत्पाद सप्लाई किया करते थे. ईरान में पीतल के बनें सामानों को लेकर हमेशा से आकर्षण रहा है, लिहाजा प्रतिबंध हटने की घोषणा के साथ ही कारोबारी उत्पादों को संवारने में जुट गए है. कारीगरों को उम्मीद है कि आने वाले समय में ईरान से पहले के मुकाबले दुगुना ऑर्डर मिलेगा, जिससे पीतल उधोग भी बदहाली के दौर से उबर पायेगा.
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