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मुरादाबाद: लॉकडाउन की गर्मी से पिघलने लगा आइसक्रीम उद्योग - मुरादाबाद में आइसक्रीम कारोबार

लॉकडाउन का असर आइसक्रीम के व्यापार पर भी पड़ा है. मुरादाबाद जनपद रेड जोन वाले जिलों में शामिल है और ज्यादातर शहरी क्षेत्र हॉटस्पॉट घोषित किये गए हैं. ऐसे में इस साल कारोबारियों को खर्चा निकालना भी मुश्किल होता जा रहा है. आइसक्रीम को सुरक्षित रखने में हर रोज हजारों रुपये का खर्चा कारोबारी अपनी जेब से खर्च कर रहे हैं.

कोरोना संकट में आइसक्रीम कारोबारियों के चेहरे पर मायूसी.
कोरोना संकट में आइसक्रीम कारोबारियों के चेहरे पर मायूसी.
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Published : May 4, 2020, 2:18 PM IST

मुरादाबाद: कोरोना संकट के चलते गर्मियों के मौसम में डिमांड में रहने वाले कई रोजगारों को जोर का झटका लगा है. गर्मियों के मौसम में आइसक्रीम सबसे ज्यादा डिमांड में रहती है, लेकिन कोरोना संकट से आइसक्रीम कारोबारियों के चेहरे पर मायूसी है. मार्च से जून तक बाजार से लेकर शादी, पार्टियों में आइसक्रीम की खपत होती है, लेकिन इस साल अभी तक बिक्री शुरू नहीं हो पाई है.

कोरोना संकट में आइसक्रीम कारोबारियों के चेहरे पर छाई मायूसी.

इतना ही नहीं कारोबारियों ने लॉकडाउन से पहले जो स्टॉक मंगाया था, उसे सुरक्षित रखने में हर दिन हजारों रुपये खर्च हो रहे हैं. आइसक्रीम बेचकर हर रोज अपने घर परिवार का जीवन-यापन करने वाले छोटे व्यापारी भी खाली हाथ बैठे हैं.

जिले में होता है 10 करोड़ का कारोबार
मुरादाबाद जनपद में आइसक्रीम के कारोबार की बात करें तो यहां छह बड़े कारोबारी हर साल लगभग 10 करोड़ रुपये का कारोबार करते हैं. इन कारोबारियों से शहर और देहात क्षेत्रों में एक हजार से ज्यादा छोटे व्यापारी जुड़े हैं. ये हर रोज सड़कों और गलियों में आइसक्रीम बेचने का काम करते हैं. कारोबारी बड़े पैमाने पर दुकानदारों और होटलों में भी आइसक्रीम सप्लाई करते थे, लेकिन लॉकडाउन के चलते मार्च के महीने से ही बाजारों में सन्नाटा पसरा है.

इसलिए आइसक्रीम कारोबारियों और व्यापारियों के चेहरे पर चिंता साफ देखी जा सकती है. हर रोज आइसक्रीम बेचकर अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहे व्यापारी सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं. गर्मियों में एक दिन में तीन से चार हजार रुपये की आइसक्रीम बेचने वाले ये व्यापारी अब खाली बैठे हैं.

कारोबारियों को खर्चा निकालना भी मुश्किल
लॉकडाउन शुरू होने के बाद कई ठेले लगाने वाले आइसक्रीम व्यापारी अपने घरों को लौट चुके हैं. मुरादाबाद जनपद रेड जोन वाले जिलों में शामिल है और ज्यादातर शहरी क्षेत्र हॉटस्पॉट घोषित किये गए हैं. ऐसे में आने वाले दिनों में भी ज्यादा उम्मीद नजर नहीं आती है. जून में मानसून शुरू होने के बाद आइसक्रीम की बिक्री घट जाती है. ऐसे में इस साल कारोबारियों को खर्चा निकालना भी मुश्किल होता जा रहा है. आइसक्रीम को सुरक्षित रखने में हर रोज हजारों रुपये का खर्चा कारोबारी अपनी जेब से खर्च कर रहे हैं. होटलों और पार्टियों में आइसक्रीम की सप्लाई बंद है. लिहाजा इस घाटे से कैसे उबरा जाए इसका जबाब किसी के पास नहीं है.

मुरादाबाद: कोरोना संकट के चलते गर्मियों के मौसम में डिमांड में रहने वाले कई रोजगारों को जोर का झटका लगा है. गर्मियों के मौसम में आइसक्रीम सबसे ज्यादा डिमांड में रहती है, लेकिन कोरोना संकट से आइसक्रीम कारोबारियों के चेहरे पर मायूसी है. मार्च से जून तक बाजार से लेकर शादी, पार्टियों में आइसक्रीम की खपत होती है, लेकिन इस साल अभी तक बिक्री शुरू नहीं हो पाई है.

कोरोना संकट में आइसक्रीम कारोबारियों के चेहरे पर छाई मायूसी.

इतना ही नहीं कारोबारियों ने लॉकडाउन से पहले जो स्टॉक मंगाया था, उसे सुरक्षित रखने में हर दिन हजारों रुपये खर्च हो रहे हैं. आइसक्रीम बेचकर हर रोज अपने घर परिवार का जीवन-यापन करने वाले छोटे व्यापारी भी खाली हाथ बैठे हैं.

जिले में होता है 10 करोड़ का कारोबार
मुरादाबाद जनपद में आइसक्रीम के कारोबार की बात करें तो यहां छह बड़े कारोबारी हर साल लगभग 10 करोड़ रुपये का कारोबार करते हैं. इन कारोबारियों से शहर और देहात क्षेत्रों में एक हजार से ज्यादा छोटे व्यापारी जुड़े हैं. ये हर रोज सड़कों और गलियों में आइसक्रीम बेचने का काम करते हैं. कारोबारी बड़े पैमाने पर दुकानदारों और होटलों में भी आइसक्रीम सप्लाई करते थे, लेकिन लॉकडाउन के चलते मार्च के महीने से ही बाजारों में सन्नाटा पसरा है.

इसलिए आइसक्रीम कारोबारियों और व्यापारियों के चेहरे पर चिंता साफ देखी जा सकती है. हर रोज आइसक्रीम बेचकर अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहे व्यापारी सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं. गर्मियों में एक दिन में तीन से चार हजार रुपये की आइसक्रीम बेचने वाले ये व्यापारी अब खाली बैठे हैं.

कारोबारियों को खर्चा निकालना भी मुश्किल
लॉकडाउन शुरू होने के बाद कई ठेले लगाने वाले आइसक्रीम व्यापारी अपने घरों को लौट चुके हैं. मुरादाबाद जनपद रेड जोन वाले जिलों में शामिल है और ज्यादातर शहरी क्षेत्र हॉटस्पॉट घोषित किये गए हैं. ऐसे में आने वाले दिनों में भी ज्यादा उम्मीद नजर नहीं आती है. जून में मानसून शुरू होने के बाद आइसक्रीम की बिक्री घट जाती है. ऐसे में इस साल कारोबारियों को खर्चा निकालना भी मुश्किल होता जा रहा है. आइसक्रीम को सुरक्षित रखने में हर रोज हजारों रुपये का खर्चा कारोबारी अपनी जेब से खर्च कर रहे हैं. होटलों और पार्टियों में आइसक्रीम की सप्लाई बंद है. लिहाजा इस घाटे से कैसे उबरा जाए इसका जबाब किसी के पास नहीं है.

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