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मुरादाबाद: सैकड़ों बीघा उड़द की फसल हुई बर्बाद, मुश्किल में किसान

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Published : Nov 7, 2019, 6:58 PM IST

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के बिलारी क्षेत्र में खेती लोगों की आय का मुख्य जरिया है. वहीं किसानों द्वारा उगाई उड़द की फसल में फलियां नहीं आने से किसानों की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है. किसान फसल के बर्बाद होने के पीछे पौधों के बीमार होने को वजह बता रहें हैं.

सैकड़ों बीघा उड़द की फसल हुई बर्बाद.

मुरादाबाद: जिले के बिलारी क्षेत्र में किसान बड़ी मुश्किल में घिर गए हैं. बिलारी क्षेत्र की सैकड़ों बीघा खेती की जमीन में उगाई उड़द की फसल पूरी तरह बर्बाद हुई है, जिसके चलते किसानों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. दरअसल, जुलाई के महीने में बोई गई उड़द की फसल खेतों में तैयार खड़ी है, लेकिन उड़द के पौधों में फलियां नहीं आई है. कड़ी मेहनत से उगाई फसल के बर्बाद होने से जहां किसान हताश है, तो वहीं उनके सामने आर्थिक संकट भी खड़ा हो गया है. किसान जहां फसल के बर्बाद होने के पीछे पौधों के बीमार होने को वजह बता रहें है. वहीं कृषि जानकार सितंबर में हुई बारिश को जिम्मेदार ठहरा रहें हैं.

सैकड़ों बीघा उड़द की फसल हुई बर्बाद.

उड़द की फसल में फलियां नहीं आने से किसानों का लाखों का नुकसान
जिला मुख्यालय से चालीस किलोमीटर दूर स्थित बिलारी तहसील में खेती लोगों की आय का मुख्य जरिया है. इस मौसम में जहां धान की फसल तैयार हो जाती है. वहीं आधे से ज्यादा खेतों में किसान दलहनी फसलों को भी उगाते है. उड़द की फसल उगाने के लिए मशहूर बिलारी क्षेत्र में इस साल किसान निराश है. दरअसल, किसानों द्वारा उगाई उड़द की फसल में फलियां नहीं आने से किसानों को लाखों रुपये का नुकसान हुआ है. उड़द बोने से लेकर पौध आने तक सब सही था और किसानों ने खाद- पानी के साथ कीटनाशकों का भी छिड़काव किया था. वावजूद इसके उड़द के पौधे बिना फलियों के ही खेत में नजर आ रहें है.

सैकड़ों बीघा उड़द की फसल बर्बाद
किसानों के मुताबिक एक बीघा जमीन में एक कुंतल उड़द पैदा हो जाती है, जिसकी मंडी में 10 हजार रुपये कीमत आसानी से मिल जाती है. दस बीघे में एक लाख रुपये मूल्य की उड़द उगाने से परिवार की आर्थिक जरूरतें पूरी होती रहती है, लेकिन इस साल उड़द की फसल किसानों को धोखा दे गई. फसल बर्बाद होने का यह मामला एक दो खेतों का नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र का है, जिसमें सैकड़ों बीघा जमीन में उड़द उगाई जाती है.

इसे भी पढ़ें- सैकड़ों बीघा सोयाबीन की फसल बर्बाद, किसानों ने प्रशासन से की मुआवजे की मांग

कृषि वैज्ञानिकों ने बे मौसम बरसात को बताया जिम्मेदार
किसान जहां उड़द की फसल में फलियां न आने के लिए पौधों में बीमारी और कीड़ों को जिम्मेदार ठहरा रहें है. वहीं कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक मौसम को इसकी वजह बता रहें हैं. वैज्ञानिकों के मुताबिक उड़द की फसल किसानों ने देर से बोई, जिसके चलते सितंबर में जब फसल पर फूल आने शुरू हुए उस वक्त बेमौसमी बरसात ने नुकशान पहुंचाया. बारिश के चलते पौधों से फूल गिर गए और नतीजन फलियां बन ही नहीं पाई. बारिश के चलते पूरे क्षेत्र में उड़द की फसल बर्बाद होने की पुष्टि कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक भी कर रहें है.

फसल बर्बाद होने से सदमें में हैं किसान
उड़द की फसल के सहारे परिवार की रोजी- रोटी चलाने वाले ज्यादातर किसान मुसीबत में है. खेतों में खड़ी फसल किसानों के लिए महज एक घास की तरह रह गयी है. फसल बर्बाद होने से वे किसान सदमें में है, जिन्होंने दूसरे किसानों से जमीन किराए पर लेकर फसल बोई थी. ऐसे किसानों के सामने एक तरफ जहां इस मुश्किल दौर से निपटने की चुनौती खड़ी है. वहीं किराए पर ली गई जमीन का किराया चुकाने की चिंता नींद उड़ाए हुए है.

मुरादाबाद: जिले के बिलारी क्षेत्र में किसान बड़ी मुश्किल में घिर गए हैं. बिलारी क्षेत्र की सैकड़ों बीघा खेती की जमीन में उगाई उड़द की फसल पूरी तरह बर्बाद हुई है, जिसके चलते किसानों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. दरअसल, जुलाई के महीने में बोई गई उड़द की फसल खेतों में तैयार खड़ी है, लेकिन उड़द के पौधों में फलियां नहीं आई है. कड़ी मेहनत से उगाई फसल के बर्बाद होने से जहां किसान हताश है, तो वहीं उनके सामने आर्थिक संकट भी खड़ा हो गया है. किसान जहां फसल के बर्बाद होने के पीछे पौधों के बीमार होने को वजह बता रहें है. वहीं कृषि जानकार सितंबर में हुई बारिश को जिम्मेदार ठहरा रहें हैं.

सैकड़ों बीघा उड़द की फसल हुई बर्बाद.

उड़द की फसल में फलियां नहीं आने से किसानों का लाखों का नुकसान
जिला मुख्यालय से चालीस किलोमीटर दूर स्थित बिलारी तहसील में खेती लोगों की आय का मुख्य जरिया है. इस मौसम में जहां धान की फसल तैयार हो जाती है. वहीं आधे से ज्यादा खेतों में किसान दलहनी फसलों को भी उगाते है. उड़द की फसल उगाने के लिए मशहूर बिलारी क्षेत्र में इस साल किसान निराश है. दरअसल, किसानों द्वारा उगाई उड़द की फसल में फलियां नहीं आने से किसानों को लाखों रुपये का नुकसान हुआ है. उड़द बोने से लेकर पौध आने तक सब सही था और किसानों ने खाद- पानी के साथ कीटनाशकों का भी छिड़काव किया था. वावजूद इसके उड़द के पौधे बिना फलियों के ही खेत में नजर आ रहें है.

सैकड़ों बीघा उड़द की फसल बर्बाद
किसानों के मुताबिक एक बीघा जमीन में एक कुंतल उड़द पैदा हो जाती है, जिसकी मंडी में 10 हजार रुपये कीमत आसानी से मिल जाती है. दस बीघे में एक लाख रुपये मूल्य की उड़द उगाने से परिवार की आर्थिक जरूरतें पूरी होती रहती है, लेकिन इस साल उड़द की फसल किसानों को धोखा दे गई. फसल बर्बाद होने का यह मामला एक दो खेतों का नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र का है, जिसमें सैकड़ों बीघा जमीन में उड़द उगाई जाती है.

इसे भी पढ़ें- सैकड़ों बीघा सोयाबीन की फसल बर्बाद, किसानों ने प्रशासन से की मुआवजे की मांग

कृषि वैज्ञानिकों ने बे मौसम बरसात को बताया जिम्मेदार
किसान जहां उड़द की फसल में फलियां न आने के लिए पौधों में बीमारी और कीड़ों को जिम्मेदार ठहरा रहें है. वहीं कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक मौसम को इसकी वजह बता रहें हैं. वैज्ञानिकों के मुताबिक उड़द की फसल किसानों ने देर से बोई, जिसके चलते सितंबर में जब फसल पर फूल आने शुरू हुए उस वक्त बेमौसमी बरसात ने नुकशान पहुंचाया. बारिश के चलते पौधों से फूल गिर गए और नतीजन फलियां बन ही नहीं पाई. बारिश के चलते पूरे क्षेत्र में उड़द की फसल बर्बाद होने की पुष्टि कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक भी कर रहें है.

फसल बर्बाद होने से सदमें में हैं किसान
उड़द की फसल के सहारे परिवार की रोजी- रोटी चलाने वाले ज्यादातर किसान मुसीबत में है. खेतों में खड़ी फसल किसानों के लिए महज एक घास की तरह रह गयी है. फसल बर्बाद होने से वे किसान सदमें में है, जिन्होंने दूसरे किसानों से जमीन किराए पर लेकर फसल बोई थी. ऐसे किसानों के सामने एक तरफ जहां इस मुश्किल दौर से निपटने की चुनौती खड़ी है. वहीं किराए पर ली गई जमीन का किराया चुकाने की चिंता नींद उड़ाए हुए है.

Intro:एंकर: मुरादाबाद: मुरादाबाद जनपद के बिलारी क्षेत्र में किसान बड़ी मुश्किल में घिर गए है. बिलारी क्षेत्र के सैकड़ों बीघा खेती की जमीन में उगाई उड़द की फसल पूरी तरह बर्बाद हुई है जिसके चलते किसानों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. दरअसल जुलाई के महीने में बोई गई उड़द की फसल खेतों में तैयार खड़ी है लेकिन उड़द के पौधों में फलियां नहीं आई है. कड़ी मेहनत से उगाई फसल के बर्बाद होने से जहां किसान हताश है वहीं उनके सामने आर्थिक संकट भी खड़ा हो गया है. किसान जहां फसल के बर्बाद होने के पीछे पौधों के बीमार होने को वजह बता रहें है वहीं कृषि जानकार सितंबर में हुई बारिश को जिम्मेदार ठहरा रहें है.


Body:वीओ वन: मुरादाबाद जिला मुख्यालय से चालीस किलोमीटर दूर स्थित बिलारी तहसील में खेती लोगों की आय का मुख्य जरिया है. इस मौसम में जहां धान की फसल तैयार हो जाती है वहीं आधे से ज्यादा खेतों में किसान दलहनी फसलों को भी उगाते है. उड़द की फसल उगाने के लिए मशहूर बिलारी क्षेत्र में इस साल किसान निराश है. दरअसल किसानों द्वारा उगाई उड़द की फसल में फलियां नहीं आने से किसानों को लाखों रुपये का नुकशान हुआ है. उड़द बोने से लेकर पौध आने तक सब सही था और किसानों ने खाद- पानी के साथ कीटनाशकों का भी छिड़काव किया था वावजूद इसके उड़द के पौधे बिना फलियों के ही खेत में नजर आ रहें है.
बाईट: धर्मवीर सिंह: किसान
वीओ टू: किसानो के मुताबिक एक बीघा जमीन में एक कुंतल उड़द पैदा हो जाती है जिसकी मंडी में 10 हजार रुपये कीमत आसानी से मिल जाती है. दस बीघे में एक लाख रुपये मूल्य की उड़द उगाने से परिवार की आर्थिक जरूरतें पूरी होती रहती है लेकिन इस साल उड़द की फसल किसानों को धोखा दे गई. फसल बर्बाद होने का यह मामला एक दो खेतों का नहीं बल्कि पूरे क्षेत्र का है जिसमें सैकड़ों बीघा जमीन में उड़द उगाई जाती है.
बाईट: कर्णपाल : किसान
वीओ तीन: किसान जहां उड़द की फसल में फलियां न आने के लिए पौधों में बीमारी और कीड़ों को जिम्मेदार ठहरा रहें है वहीं कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक मौसम को इसकी वजह बता रहें है. वैज्ञानिकों के मुताबिक उड़द की फसल किसानों ने देर से बोई जिसके चलते सितंबर में जब फसल पर फूल आने शुरू हुए उस वक्त बेमौसमी बरसात ने नुकशान पहुंचाया. बारिश के चलते पौधों से फूल गिर गए और नतीजन फलियां बन ही नहीं पाई. बारिश के चलते पूरे क्षेत्र में उड़द की फसल बर्बाद होने की पुष्टि कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक भी कर रहें है.
बाईट: डॉक्टर राम करण सिंह: प्राध्यापक कृषि विज्ञान केंद्र


Conclusion:वीओ चार: उड़द की फसल के सहारे परिवार की रोजी- रोटी चलाने वाले ज्यादातर किसान मुसीबत में है. खेतों में खड़ी फसल किसानों के लिए महज एक घास की तरह रह गयी है. फसल बर्बाद होने से वे किसान सदमें में है जिन्होंने दूसरे किसानों से जमीन किराए पर लेकर फसल बोई थी. ऐसे किसानों के सामने एक तरफ जहां इस मुश्किल दौर से निपटने की चुनौती खड़ी है वहीं किराए पर ली गयी जमीन का किराया चुकाने की चिंता नींद उड़ाए हुए है.
भुवन चन्द्र
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