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करगिल दिवस: वादे से मुकरी सरकार, फिर भी शहीद की पत्नी की चाह- 'बेटा बने फौजी'

करगिल की पहाड़ियों पर देश की सीमा की रक्षा करते हुए शहीद हुए सैनिकों की याद में हर साल विजय दिवस मनाया जाता है. इस युद्ध में भारतीय सैनिकों की बहादुरी और शौर्य की गाथाएं आज भी हर हिंदुस्तानी को गौरवान्वित कर जाती हैं. करगिल में दुश्मनों से लोहा लेते हुए मुरादाबाद के जय कुमार भी शहीद हुए थे.

मुरादाबाद के जय कुमार हुए थे शहीद.
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Published : Jul 24, 2019, 5:14 PM IST

मुरादाबाद: करगिल विजय दिवस को लेकर हर साल देश में शहीदों को याद किया जाता है. मुरादाबाद के जय कुमार ने भी इस युद्ध में देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी थी. जय कुमार की शहादत के बाद उनकी पत्नी वादे पूरे न करने को लेकर सरकार से नाराज हैं. शहीद के परिवार के मुताबिक न तो उनको पैट्रोल पंप दिया गया और न ही शहीद स्मारक का निर्माण कराया गया. शहीद की पत्नी ने अपने पैसों से गांव के बाहर एक स्मारक तैयार किया है. जय कुमार की शहादत के बाद सरकार की बेरुखी के बावजूद उनकी पत्नी सुनीता अपने बेटे को फौज में भेजने का निश्चय कर चुकी हैं.

मुरादाबाद के जय कुमार हुए थे शहीद.

दुश्मन से आमने-सामने की लड़ाई में शहीद हुए थे जय कुमार
छजलैट थाना क्षेत्र स्थित कुरी रवाना गांव के रहने वाले जय कुमार किसान परिवार से ताल्लुक रखते थे. सात भाई-बहनों में चौथे नंबर के जय कुमार को बचपन से ही फौज में भर्ती होने का शौक था. लिहाजा, पढ़ाई के दौरान ही वह फौज में भर्ती हो गए. जाट रेजिमेंट में तैनात जय कुमार करगिल युद्ध के समय कश्मीर में तैनात थे. घुसपैठियों के देश की सीमा में घुसने की सूचना के बाद उनकी रेजिमेंट को भी करगिल में रिपोर्ट करने को कहा गया था. दुश्मनों से आमने-सामने की लड़ाई में जय कुमार शहीद हो गए.

अकेले ही परिवार को पालने पर मजबूर हो गईं सुनीता
मायके में रह रहीं पत्नी सुनीता को स्थानीय पुलिस अधिकारियों ने उनकी शहादत की जानकारी दी. जय कुमार के शहीद होने के बाद सरकार ने उनके परिजनों के लिए तमाम घोषणाएं की थी, लेकिन गुजरते समय के साथ घोषणाएं भी हवा-हवाई ही साबित हुईं. जय कुमार की शहादत के बाद उनकी पत्नी सुनीता अपने दो बच्चों के साथ मुरादाबाद आ गईं और हिमगिरि कॉलोनी में मकान बनाकर रहने लगीं. इसी दौरान शहीद के बड़े बेटे को यूपी पुलिस में नौकरी मिल गई.

बेटे को फौज में भेजने की चाह
शहीद का दूसरा बेटा इंटर के बाद अब कोचिंग कर रहा है. पत्नी सुनीता के मुताबिक जय कुमार को किसानी का शौक था और वह अक्सर छुट्टी आने पर खेतों में काम करते रहते थे. बरेली में पति के साथ रह चुकीं सुनीता कहती हैं कि अपने बेटों को लेकर उनके पति ने कई सपने देखे थे और एक बेटे को वह फौज में भर्ती करना चाहते थे. पति की शहादत के बाद अब सुनीता भी पति की इच्छा के मुताबिक छोटे बेटे को फौज में भेजना चाहती है.

मुरादाबाद: करगिल विजय दिवस को लेकर हर साल देश में शहीदों को याद किया जाता है. मुरादाबाद के जय कुमार ने भी इस युद्ध में देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी थी. जय कुमार की शहादत के बाद उनकी पत्नी वादे पूरे न करने को लेकर सरकार से नाराज हैं. शहीद के परिवार के मुताबिक न तो उनको पैट्रोल पंप दिया गया और न ही शहीद स्मारक का निर्माण कराया गया. शहीद की पत्नी ने अपने पैसों से गांव के बाहर एक स्मारक तैयार किया है. जय कुमार की शहादत के बाद सरकार की बेरुखी के बावजूद उनकी पत्नी सुनीता अपने बेटे को फौज में भेजने का निश्चय कर चुकी हैं.

मुरादाबाद के जय कुमार हुए थे शहीद.

दुश्मन से आमने-सामने की लड़ाई में शहीद हुए थे जय कुमार
छजलैट थाना क्षेत्र स्थित कुरी रवाना गांव के रहने वाले जय कुमार किसान परिवार से ताल्लुक रखते थे. सात भाई-बहनों में चौथे नंबर के जय कुमार को बचपन से ही फौज में भर्ती होने का शौक था. लिहाजा, पढ़ाई के दौरान ही वह फौज में भर्ती हो गए. जाट रेजिमेंट में तैनात जय कुमार करगिल युद्ध के समय कश्मीर में तैनात थे. घुसपैठियों के देश की सीमा में घुसने की सूचना के बाद उनकी रेजिमेंट को भी करगिल में रिपोर्ट करने को कहा गया था. दुश्मनों से आमने-सामने की लड़ाई में जय कुमार शहीद हो गए.

अकेले ही परिवार को पालने पर मजबूर हो गईं सुनीता
मायके में रह रहीं पत्नी सुनीता को स्थानीय पुलिस अधिकारियों ने उनकी शहादत की जानकारी दी. जय कुमार के शहीद होने के बाद सरकार ने उनके परिजनों के लिए तमाम घोषणाएं की थी, लेकिन गुजरते समय के साथ घोषणाएं भी हवा-हवाई ही साबित हुईं. जय कुमार की शहादत के बाद उनकी पत्नी सुनीता अपने दो बच्चों के साथ मुरादाबाद आ गईं और हिमगिरि कॉलोनी में मकान बनाकर रहने लगीं. इसी दौरान शहीद के बड़े बेटे को यूपी पुलिस में नौकरी मिल गई.

बेटे को फौज में भेजने की चाह
शहीद का दूसरा बेटा इंटर के बाद अब कोचिंग कर रहा है. पत्नी सुनीता के मुताबिक जय कुमार को किसानी का शौक था और वह अक्सर छुट्टी आने पर खेतों में काम करते रहते थे. बरेली में पति के साथ रह चुकीं सुनीता कहती हैं कि अपने बेटों को लेकर उनके पति ने कई सपने देखे थे और एक बेटे को वह फौज में भर्ती करना चाहते थे. पति की शहादत के बाद अब सुनीता भी पति की इच्छा के मुताबिक छोटे बेटे को फौज में भेजना चाहती है.

Intro:एंकर: मुरादाबाद: कारगिल की पहाड़ियों पर देश की सीमा की रक्षा करते हुए शहीद हुए सैनिकों की याद में हर साल विजय दिवस मनाया जाता है. इस युद्ध में भारतीय सैनिकों की बहादुरी और शौर्य की गाथाएं आज भी हर हिंदुस्तानी को गौरवान्वित कर जाती है. कारगिल में दुश्मनों से लोहा लेते हुए मुरादाबाद के जय कुमार भी शहीद हुए थे जो जाट रेजिमेंट के सैनिक थे. जय कुमार की शहादत पर उनके पूरे परिवार को गर्व है. मुरादाबाद के हिमगिरि कालोनी में रह रहे परिवार की इच्छा है कि शहीद जय का छोटा बेटा फौज में भर्ती हो. शहीद की विधवा पति के बलिदान को याद कर उदास होती है लेकिन अगले ही पल शहादत की दास्तां सुनाते हुए गर्व महसूस करती है.


Body:वीओ वन: मुरादाबाद जनपद के छजलैट थाना क्षेत्र स्थित कुरी रवाना गांव के रहने वाले जय कुमार किसान परिवार से ताल्लुक रखते थे. सात भाई- बहनों में चौथे नम्बर के जय कुमार को बचपन से ही फौज में भर्ती होने का शौक था लिहाजा पढ़ाई के दौरान ही वह फौज में भर्ती हो गए. जाट रेजिमेंट में तैनात जय कुमार कारगिल युद्ध के समय कश्मीर में तैनात थे और घुसपैठियों के देश की सीमा में घुसने की सूचना के बाद उनकी रेजिमेंट को भी कारगिल में रिपोर्ट करने को कहा गया था. दुश्मनों से आमने-सामने की लड़ाई में जय कुमार शहीद हो गए और मायके में रह रहीं पत्नी को स्थानीय पुलिस अधिकारियों ने शहादत की जानकारी दी. जय कुमार के शहीद होने के बाद सरकार ने उनके परिजनों के लिए तमाम घोषणाएं की थी लेकिन गुजरते समय के साथ घोषणाएं भी हवा-हवाई ही साबित हुई.
बाईट: सुनीता- शहीद की पत्नी
वीओ टू: जय कुमार की शहादत के बाद उनकी पत्नी अपने दो बच्चों के साथ मुरादाबाद आ गयी और हिमगिरि कालोनी में मकान बनाकर रहने लगी. इसी दौरान शहीद के बड़े बेटे को यूपी पुलिस में नौकरी मिल गयी. शहीद का दूसरा बेटा इंटर के बाद अब कोचिंग कर रहा है. पत्नी सुनीता के मुताबिक जय कुमार को किसानी का शौक था और वह अक्सर छुट्टी आने पर खेतों में काम करते रहते थे. बरेली में पति के साथ रह चुकी सुनीता कहती है कि अपने बेटों को लेकर उनके पति ने कई सपने देखें थे और एक बेटे को वह फौज में भर्ती करना चाहते थे. पति की शहादत के बाद अब सुनीता भी पति की इच्छा के मुताबिक छोटे बेटे को फौज में भेजना चाहती है.
बाईट: सुनीता- शहीद की पत्नी
बाईट: रविन्द्र: शहीद का बेटा


Conclusion:वीओ तीन: कारगिल विजय दिवस को लेकर हर साल देश में शहीदों को याद किया जाता है. जय कुमार की शहादत के बाद उनकी पत्नी सरकार द्वारा वादे पूरे न करने को लेकर नाराज नजर आती है. शहीद परिवार के मुताबिक न तो उनको पैट्रोल पम्प दिया गया और न ही सरकार ने स्मारक का निर्माण किया. शहीद की पत्नी ने अपने पैसों से गांव के बाहर एक स्मारक तैयार किया है जिसकी देख रेख करने हर महीने परिवार का कोई सदस्य जाता है. जय कुमार की शहादत के बाद बेटे को फौज में भेजने का निश्चय कर चुकी सुनीता को अब इंतजार है बेटे को वर्दी में देखने का.
भुवन चन्द्र
ईटीवी भारत
मुरादाबाद
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