मुरादाबाद: करगिल विजय दिवस को लेकर हर साल देश में शहीदों को याद किया जाता है. मुरादाबाद के जय कुमार ने भी इस युद्ध में देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी थी. जय कुमार की शहादत के बाद उनकी पत्नी वादे पूरे न करने को लेकर सरकार से नाराज हैं. शहीद के परिवार के मुताबिक न तो उनको पैट्रोल पंप दिया गया और न ही शहीद स्मारक का निर्माण कराया गया. शहीद की पत्नी ने अपने पैसों से गांव के बाहर एक स्मारक तैयार किया है. जय कुमार की शहादत के बाद सरकार की बेरुखी के बावजूद उनकी पत्नी सुनीता अपने बेटे को फौज में भेजने का निश्चय कर चुकी हैं.
दुश्मन से आमने-सामने की लड़ाई में शहीद हुए थे जय कुमार
छजलैट थाना क्षेत्र स्थित कुरी रवाना गांव के रहने वाले जय कुमार किसान परिवार से ताल्लुक रखते थे. सात भाई-बहनों में चौथे नंबर के जय कुमार को बचपन से ही फौज में भर्ती होने का शौक था. लिहाजा, पढ़ाई के दौरान ही वह फौज में भर्ती हो गए. जाट रेजिमेंट में तैनात जय कुमार करगिल युद्ध के समय कश्मीर में तैनात थे. घुसपैठियों के देश की सीमा में घुसने की सूचना के बाद उनकी रेजिमेंट को भी करगिल में रिपोर्ट करने को कहा गया था. दुश्मनों से आमने-सामने की लड़ाई में जय कुमार शहीद हो गए.
अकेले ही परिवार को पालने पर मजबूर हो गईं सुनीता
मायके में रह रहीं पत्नी सुनीता को स्थानीय पुलिस अधिकारियों ने उनकी शहादत की जानकारी दी. जय कुमार के शहीद होने के बाद सरकार ने उनके परिजनों के लिए तमाम घोषणाएं की थी, लेकिन गुजरते समय के साथ घोषणाएं भी हवा-हवाई ही साबित हुईं. जय कुमार की शहादत के बाद उनकी पत्नी सुनीता अपने दो बच्चों के साथ मुरादाबाद आ गईं और हिमगिरि कॉलोनी में मकान बनाकर रहने लगीं. इसी दौरान शहीद के बड़े बेटे को यूपी पुलिस में नौकरी मिल गई.
बेटे को फौज में भेजने की चाह
शहीद का दूसरा बेटा इंटर के बाद अब कोचिंग कर रहा है. पत्नी सुनीता के मुताबिक जय कुमार को किसानी का शौक था और वह अक्सर छुट्टी आने पर खेतों में काम करते रहते थे. बरेली में पति के साथ रह चुकीं सुनीता कहती हैं कि अपने बेटों को लेकर उनके पति ने कई सपने देखे थे और एक बेटे को वह फौज में भर्ती करना चाहते थे. पति की शहादत के बाद अब सुनीता भी पति की इच्छा के मुताबिक छोटे बेटे को फौज में भेजना चाहती है.