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मुरादाबाद: होलिका दहन के लिए गोबर के लकड़ियों की बढ़ी मांग, मशीनों से हर रोज तैयार हो रहीं लकड़ियां - moradabad today news

होली के त्योहार से पहले गोबर से बनी लकड़ियां बड़े पैमाने पर चलन में हैं. मुरादाबाद जिले में गाय के गोबर से बनाई जा रही इन लकड़ियों को लोग अलग-अलग कार्यों के लिये बड़े पैमाने पर खरीद रहे हैं.

गोबर की लकड़िया
गोबर की लकड़ियां
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Published : Mar 3, 2020, 7:44 PM IST

Updated : Mar 3, 2020, 7:50 PM IST

मुरादाबाद: जिले में गोबर से लकड़ियां बनाई जा रही हैं. गाय के गोबर से बनाई जा रही लकड़ियों को लोग अलग-अलग कार्यों के लिये खरीद रहे हैं. होलिका दहन के लिए इन लकड़ियों की डिमांड बढ़ी है. मशीन से हर रोज कई कुंतल लकड़ियां तैयार की जा रही हैं.

गोबर के लकड़ियों की मांंग.

पांच सौ रुपये प्रति कुंतल बिकने वाली गोबर की लकड़ियां पशुपालकों को जहां रोजगार के अवसर मुहैया करा रही हैं, वहीं धार्मिक कार्यों से लेकर शवों के अंतिम संस्कार में भी लकड़ियों का इस्तेमाल किया जा रहा है.

मझोला क्षेत्र स्थित जैव वाटिका में शहर की गोशालाओं से गोबर जमा कर मशीनों के जरिये लकड़ियां तैयार की जा रही हैं. मशीन के जरिये एक घण्टे में दो कुंतल लकड़ियां तैयार की जाती हैं. जिनको शुरुआती दौर में पांच सौ रुपये प्रति कुंतल के मूल्य से बेचा जा रहा है. आम लकड़ियों के मुकाबले गोबर से तैयार लकड़ियों से जहां कम प्रदूषण होने का दावा किया जा रहा है, वहीं गाय के गोबर के धार्मिक महत्व के चलते इनकी डिमांड ज्यादा है.

पढ़ें-सीएम योगी ने बनाया रिकॉर्ड, यूपी में बीजेपी के सबसे लंबे समय तक रहने वाले बने मुख्यमंत्री

मुरादाबाद और आस-पास के जनपदों से लोग होलिका दहन के लिए लकड़ियों के ऑर्डर बुक करा रहे हैं. गोबर और भूसे से बनी इन लकड़ियों में इनके इस्तेमाल होने के हिसाब से बदलाव भी किये जाते हैं. इनमें चंदन, गुलाब के साथ डिमांड की गई वस्तुओं को मिलाया जाता है. लकड़ियों को तैयार करने के लिए शहर की गोशालाओं से हर रोज गोबर जमा किया जाता है और फिर उसे मशीन में लकड़ी की शक्ल दी जाती है. जो पर्यावरण के साथ किसानों के लिए भी फायदे का सबब बन सकता है.

मुरादाबाद: जिले में गोबर से लकड़ियां बनाई जा रही हैं. गाय के गोबर से बनाई जा रही लकड़ियों को लोग अलग-अलग कार्यों के लिये खरीद रहे हैं. होलिका दहन के लिए इन लकड़ियों की डिमांड बढ़ी है. मशीन से हर रोज कई कुंतल लकड़ियां तैयार की जा रही हैं.

गोबर के लकड़ियों की मांंग.

पांच सौ रुपये प्रति कुंतल बिकने वाली गोबर की लकड़ियां पशुपालकों को जहां रोजगार के अवसर मुहैया करा रही हैं, वहीं धार्मिक कार्यों से लेकर शवों के अंतिम संस्कार में भी लकड़ियों का इस्तेमाल किया जा रहा है.

मझोला क्षेत्र स्थित जैव वाटिका में शहर की गोशालाओं से गोबर जमा कर मशीनों के जरिये लकड़ियां तैयार की जा रही हैं. मशीन के जरिये एक घण्टे में दो कुंतल लकड़ियां तैयार की जाती हैं. जिनको शुरुआती दौर में पांच सौ रुपये प्रति कुंतल के मूल्य से बेचा जा रहा है. आम लकड़ियों के मुकाबले गोबर से तैयार लकड़ियों से जहां कम प्रदूषण होने का दावा किया जा रहा है, वहीं गाय के गोबर के धार्मिक महत्व के चलते इनकी डिमांड ज्यादा है.

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मुरादाबाद और आस-पास के जनपदों से लोग होलिका दहन के लिए लकड़ियों के ऑर्डर बुक करा रहे हैं. गोबर और भूसे से बनी इन लकड़ियों में इनके इस्तेमाल होने के हिसाब से बदलाव भी किये जाते हैं. इनमें चंदन, गुलाब के साथ डिमांड की गई वस्तुओं को मिलाया जाता है. लकड़ियों को तैयार करने के लिए शहर की गोशालाओं से हर रोज गोबर जमा किया जाता है और फिर उसे मशीन में लकड़ी की शक्ल दी जाती है. जो पर्यावरण के साथ किसानों के लिए भी फायदे का सबब बन सकता है.

Last Updated : Mar 3, 2020, 7:50 PM IST
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