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कांठ प्रकरण में 7 साल बाद आया कोर्ट का फैसला, कैबिनेट मंत्री विधायक सहित 70 लोग दोषमुक्त - कोर्ट ने 70 लोगों को दोषमुक्त करार दिया

मंगलवार को इस मामले में कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए 70 आरोपियों को दोषमुक्त करार दिया. कोर्ट ने दो आरोपियों की फाइल अभी विचाराधीन रखी है. इस मामले में कोर्ट में चल रही सुनवाई को दौरान ही 4 लोगों की मृत्यु भी हो चुकी है.

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कांठ प्रकरण में 7 साल बाद आया कोर्ट का फैसला, कैबिनेट मंत्री विधायक सहित 70 लोग दोषमुक्त
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Published : Jan 11, 2022, 7:39 PM IST

मुरादाबाद : कांठ प्रकरण में एमपी-एमएलए कोर्ट में चल रही सुनवाई के तहत मंगलवार को कोर्ट ने 7 साल बाद अपना फैसला सुना दिया. कोर्ट ने भाजपा के कैबिनेट मंत्री चौधरी भूपेंद्र सिंह, शहर विधायक रितेश गुप्ता सहित 70 लोगों को दोषमुक्त करार दिया.

दो लोगों की फाइल अलग कर दी गयी है जो अभी विचाराधीन हैं. केस के चार आरोपियों की सुनवाई के दौरान मृत्यु हो चुकी है. सभी आरोपियों ने कोर्ट का फैसला आने के बाद राहत की सांस ली है.

कांठ प्रकरण में 7 साल बाद आया कोर्ट का फैसला, कैबिनेट मंत्री विधायक सहित 70 लोग दोषमुक्त

गौरतलब है कि मुरादाबाद जनपद के कांठ थाना क्षेत्र के अकबरपुर चेंदरी गांव में 2014 को एक धार्मिक स्थल पर लाउडस्पीकर लगाने को लेकर एक महापंचायत रोकने को लेकर हिंसा और बवाल हुआ था. पुलिस ने इस मामले में भाजपा के मौजूदा कैबिनेट मंत्री चौधरी भूपेंद्र सिंह और शहर विधायक रितेश गुप्ता सहित 76 लोगों को आरोपी बनाया था. इसकी सुनवाई 7 सालों से मुरादाबाद के एमपी-एमएलए कोर्ट में चल रही थी.

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कांठ प्रकरण में 7 साल बाद आया कोर्ट का फैसला, कैबिनेट मंत्री विधायक सहित 70 लोग दोषमुक्त

मंगलवार को इस मामले में कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए 70 आरोपियों को दोषमुक्त करार दिया. कोर्ट ने दो आरोपियों की फाइल अभी विचाराधीन रखी है. इस मामले में कोर्ट में चल रही सुनवाई को दौरान ही 4 लोगों की मृत्यु भी हो चुकी है.

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कांठ प्रकरण में 7 साल बाद आया कोर्ट का फैसला, कैबिनेट मंत्री विधायक सहित 70 लोग दोषमुक्त


कैबिनेट मंत्री ने कहा, न्याय पालिका पर पूरा भरोसा

प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री चौधरी भूपेंद्र सिंह ने कहा कि 2014 में कांठ में एक बवाल हुआ था. इसमें माननीय न्यायालय ने मंगलवार को निर्णय दे दिया. कहा, 'मुझे लेकर सभी आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया है. हम लोगों को हमारी न्याय व्यवस्था पर पूरा विश्वास है, आज उस विश्वास की जीत हुई है'.

बताया कि कांठ में अकबरपुर चेंदरी गांव में लाउडस्पीकर लगाने को लेकर बवाल हुआ था. लोगों ने लाउडस्पीकर लगाने को लेकर आंदोलन किया था. इस मामले में उन्हें लेकर तमाम लोगों को आरोपी बनाया गया था.

यह भी पढ़ें : लखीमपुर खीरी हिंसा मामला : सुमित जायसवाल समेत सात आरोपियों ने डाली जमानत अर्जी, सुनवाई 20 जनवरी को

एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष लोक अभियोजक ने दी पूरी जानकारी

एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष लोक अभियोजक मोहनलाल विश्नोई ने बताया कि मंदिर के लाउडस्पीकर को लेकर संवेदनशील मामला था. इसमें कुछ लोगों द्वारा रेलवे स्टेशन पर जाम लगाया गया था. इसे लेकर कुछ लोगों की गिरफ्तारी भी हुई थी. लगभग 80 से 82 के करीब लोग आरोपी बनाए गए थे. लगभग 72 लोगों को दोषमुक्त किया गया है. अन्य के संबंध में आए निर्णय का अभी अवलोकन नहीं किया गया है. दो लोगों के मामले को विचाराधीन रख दिया गया है. इसमें नगर विधायक रितेश गुप्ता और मंत्री भूपेंद्र सिंह शामिल हैं.

2014 में किस बात को लेकर हुआ था कांठ बवाल

मुरादाबाद जनपद के कांठ थाना क्षेत्र के अकबरपुर चेंदरी गांव में जुलाई 2014 धार्मिक स्थल पर लाउड स्पीकर लगाने को लेकर मामला गर्मा गया. इसे लेकर दो समुदाय के लोग आमने-सामने आ गए थे. इसे लेकर भाजपा की तरफ एक महापंचायत भी बुलाई गई थी.

महापंचायत में शामिल होने आए भाजपा कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच झड़प हो गयी थी. इसके बाद पुलिस और कार्यकर्ताओं के बीच गोली चली व पथराव हुआ था. इसमें तत्कालीन जिलाधिकारी चंद्रकांत सहित तमाम पुलिस कर्मी घायल हुए थे. इस मामले में पुलिस ने तीन मुकदमे दर्ज कर 100 से ज्यादा भाजपा कार्यकर्ता आरोपित बनाए गए थे.

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मुरादाबाद : कांठ प्रकरण में एमपी-एमएलए कोर्ट में चल रही सुनवाई के तहत मंगलवार को कोर्ट ने 7 साल बाद अपना फैसला सुना दिया. कोर्ट ने भाजपा के कैबिनेट मंत्री चौधरी भूपेंद्र सिंह, शहर विधायक रितेश गुप्ता सहित 70 लोगों को दोषमुक्त करार दिया.

दो लोगों की फाइल अलग कर दी गयी है जो अभी विचाराधीन हैं. केस के चार आरोपियों की सुनवाई के दौरान मृत्यु हो चुकी है. सभी आरोपियों ने कोर्ट का फैसला आने के बाद राहत की सांस ली है.

कांठ प्रकरण में 7 साल बाद आया कोर्ट का फैसला, कैबिनेट मंत्री विधायक सहित 70 लोग दोषमुक्त

गौरतलब है कि मुरादाबाद जनपद के कांठ थाना क्षेत्र के अकबरपुर चेंदरी गांव में 2014 को एक धार्मिक स्थल पर लाउडस्पीकर लगाने को लेकर एक महापंचायत रोकने को लेकर हिंसा और बवाल हुआ था. पुलिस ने इस मामले में भाजपा के मौजूदा कैबिनेट मंत्री चौधरी भूपेंद्र सिंह और शहर विधायक रितेश गुप्ता सहित 76 लोगों को आरोपी बनाया था. इसकी सुनवाई 7 सालों से मुरादाबाद के एमपी-एमएलए कोर्ट में चल रही थी.

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मंगलवार को इस मामले में कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए 70 आरोपियों को दोषमुक्त करार दिया. कोर्ट ने दो आरोपियों की फाइल अभी विचाराधीन रखी है. इस मामले में कोर्ट में चल रही सुनवाई को दौरान ही 4 लोगों की मृत्यु भी हो चुकी है.

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कैबिनेट मंत्री ने कहा, न्याय पालिका पर पूरा भरोसा

प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री चौधरी भूपेंद्र सिंह ने कहा कि 2014 में कांठ में एक बवाल हुआ था. इसमें माननीय न्यायालय ने मंगलवार को निर्णय दे दिया. कहा, 'मुझे लेकर सभी आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया है. हम लोगों को हमारी न्याय व्यवस्था पर पूरा विश्वास है, आज उस विश्वास की जीत हुई है'.

बताया कि कांठ में अकबरपुर चेंदरी गांव में लाउडस्पीकर लगाने को लेकर बवाल हुआ था. लोगों ने लाउडस्पीकर लगाने को लेकर आंदोलन किया था. इस मामले में उन्हें लेकर तमाम लोगों को आरोपी बनाया गया था.

यह भी पढ़ें : लखीमपुर खीरी हिंसा मामला : सुमित जायसवाल समेत सात आरोपियों ने डाली जमानत अर्जी, सुनवाई 20 जनवरी को

एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष लोक अभियोजक ने दी पूरी जानकारी

एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष लोक अभियोजक मोहनलाल विश्नोई ने बताया कि मंदिर के लाउडस्पीकर को लेकर संवेदनशील मामला था. इसमें कुछ लोगों द्वारा रेलवे स्टेशन पर जाम लगाया गया था. इसे लेकर कुछ लोगों की गिरफ्तारी भी हुई थी. लगभग 80 से 82 के करीब लोग आरोपी बनाए गए थे. लगभग 72 लोगों को दोषमुक्त किया गया है. अन्य के संबंध में आए निर्णय का अभी अवलोकन नहीं किया गया है. दो लोगों के मामले को विचाराधीन रख दिया गया है. इसमें नगर विधायक रितेश गुप्ता और मंत्री भूपेंद्र सिंह शामिल हैं.

2014 में किस बात को लेकर हुआ था कांठ बवाल

मुरादाबाद जनपद के कांठ थाना क्षेत्र के अकबरपुर चेंदरी गांव में जुलाई 2014 धार्मिक स्थल पर लाउड स्पीकर लगाने को लेकर मामला गर्मा गया. इसे लेकर दो समुदाय के लोग आमने-सामने आ गए थे. इसे लेकर भाजपा की तरफ एक महापंचायत भी बुलाई गई थी.

महापंचायत में शामिल होने आए भाजपा कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच झड़प हो गयी थी. इसके बाद पुलिस और कार्यकर्ताओं के बीच गोली चली व पथराव हुआ था. इसमें तत्कालीन जिलाधिकारी चंद्रकांत सहित तमाम पुलिस कर्मी घायल हुए थे. इस मामले में पुलिस ने तीन मुकदमे दर्ज कर 100 से ज्यादा भाजपा कार्यकर्ता आरोपित बनाए गए थे.

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