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आखिर कब और कैसे दूर होंगी मुरादाबाद के निर्यातकों की समस्याएं... - मुरादाबाद खबर

अनलॉक होने के बाद भी अभी तक पीतल नगरी के नाम से मशहूर मुरादाबाद के उद्यमियों की समस्याएं कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. अनलॉक के बाद जब निर्यात बढ़ा तो उसके साथ में समस्याएं भी बढ़ीं. यहां उद्यमी और निर्यातक कच्चे माल की शॉर्टेज से जूझ रहे हैं.

पीतल नगरी में परेशान उद्यमी.
पीतल नगरी में परेशान उद्यमी.
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Published : Dec 30, 2020, 2:58 PM IST

Updated : Dec 30, 2020, 6:50 PM IST

मुरादाबाद: जब कोरोना महामारी का प्रकोप फैला तो भारत सहित पूरी दुनिया में तालाबंदी कर दी गई. लॉकडाउन के कारण सारे उद्योग-धंधों की कमर टूट गई, लेकिन अनलॉक के बाद से स्थितियां धीरे-धीरे काबू में आ रही हैं. अनलॉक के दौरान मुरादाबाद के पीतल और हैंडीक्राफ्ट निर्यातकों अब जहां अच्छे आर्डर मिल रहे हैं वहीं, अमेरिका और यूरोप सरीखे देशों से क्रिसमस से यहां के निर्यातकों को बेहतरीन तोहफा मिल रहा है. इसके बावजूद केंद्र और राज्य सरकार की नीतियों के चलते निर्यातकों की कुछ समस्याएं भी हैं, यहां 3 महीने काम बंद रहने के बाद अचानक से जुलाई माह में माल की मांग में तेजी आई थी, लेकिन कच्चे माल की अनुपलब्धता और महंगे होने के कारण मांग और आपूर्ति के बीच का अंतर कम नहीं हो रहा है. इसके साथ ही सरकार द्वारा निर्यातकों को मिलने वाली तमाम सहूलियतें भी अब नहीं मिल पा रही हैं.

पीतल नगरी में परेशान उद्यमी.
निर्यात बढ़ा और साथ में समस्याएं भी
उद्योग भारती मुरादाबाद शाखा के पदाधिकारी और हैंडीक्राफ्ट निर्यात कंपनी चलाने वाले युवा उद्यमी इरेश बंसल बताते हैं कि जब कोरोना महामारी की शुरुआत हुई तो मार्च का महीना था. उसी दौरान यहां से माल एक्सपोर्ट होना शुरू होता है, लेकिन अचानक से तालाबंदी की वजह से सब रुक गया. इसके कारण करोडों का माल डंप हो गया. इसके बाद जुलाई में जैसे ही अनलॉक हुआ तो अचानक से मांग में तेजी आ गयी. इरेश बंसल ने बताया कि इस दौरान उद्यमियों और निर्यातकों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ा.
लॉकडाउन खुला तो खड़ी हुई नई समस्या
इरेश बंसल बताते हैं कि जब लॉकडाउन खुला तो माल की मांग बढ़ी. अगस्त के पहले सप्ताह में मांग बहुत ज़्यादा थी. इरेश बंसल ने बताया कि लेकिन उस दौरान लेबरों की समस्या सामने आई. उस समय यहां काम करने वाले लेबर लॉकडाउन की वजह से अपने घर जा चुके थे. यहां की फैक्ट्रियों में काम करने वाले बिहार, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों के कारीगर कोरोना के चलते वापस आने को तैयार नहीं थे. किसी तरह जब वो आये तब मांग और आपूर्ति के बीच का अंतर घटना शुरू हुआ.
कच्चे माल की शॉर्टेज
मुरादाबाद में जब माल की आपूर्ति शुरू हुई तब कच्चे माल की शार्टेज शुरू हो गयी. कच्चे माल की कमी आज भी बरकरार है. इरेश बताते हैं अब अगर कच्चा माल मिल भी रहा है, तो बहुत ही महंगे रेट पर मिल रहा है. अब हर हफ्ते सामान के रेट बढ़ रहे हैं, जिससे कच्चा माल मिल पाना मुश्किल हो रहा है.लड़कियों के रेट में 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो चुकी है, जबकि विदेशों से आ रही माल की मांग लगातार बढ़ रही है.
सरकार के द्वारा भी कई समस्याएं
युवा उद्यमी बताते हैं इसके साथ कई और समस्याएं भी हैं, जो सरकार द्वारा नीतिगत हैं. सरकार के द्वारा उद्यमियों के लिए नीतिगत तौर पर जो सहयोग दिया जाता था, वह स्कीम अब धीरे-धीरे खत्म हो रही हैं. इरेश बंसल ने बताया कि पहले 5 परसेंट का एमएएस ड्रॉ बैक मिलता था वह अब खत्म हो रहा है. बिजनेस में एक तरफ मांगे बढ़ रही हैं वहीं, दूसरी तरफ इस तरह की समस्याएं हमें पीछे की तरफ धकेल रही है.


समस्याओं पर क्या बोले उद्योग मंत्री
ईटीवी भारत ने जब निवेशकों और निर्यातकों की समस्याओं को लेकर उत्तर प्रदेश के सूक्ष्म, लघु एवं उद्यम मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह से बात की. इस पर उन्होंने कहा कि उद्यमियों और निर्यातकों की समस्याओं को नोट कर लिया गया है. सरकार के स्तर से जो समस्याएं आ रही हैं. उन्हें जल्द से जल्द सुलझाने का काम किया जाएगा. जिससे निर्यात को वह निवेशकों को बेहतर फायदा उपलब्ध हो सके.

उन्होंने कहा कि वह निर्यातकों की समस्याओं पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्र सरकार में मंत्री पीयूष गोयल से बात करेंगे. जिससे समस्याओं का हल जल्द से जल्द निकाला जा सके.

निर्यात का बड़ा हब है मुरादाबाद
बताते चलें कि मुरादाबाद पीतल नगरी के नाम से मशहूर है. यहां पर पीतल और हैंडीक्राफ्ट के तमाम सामानों का बड़े पैमाने पर विदेशों में निर्यात किया जाता है. मुरादाबाद भारत के कुल 40 फीसदी सामानों का निर्यात करता है. यहां के व्यापार से तकरीबन 7,000 करोड़ रुपये सालाना टर्नओवर होता है. सरकार की मंशा है कि अगले 10 सालों में इसे बढ़ाकर तकरीबन पचास हजार करोड़ रुपये तक पहुंचाया जाए.

मुरादाबाद: जब कोरोना महामारी का प्रकोप फैला तो भारत सहित पूरी दुनिया में तालाबंदी कर दी गई. लॉकडाउन के कारण सारे उद्योग-धंधों की कमर टूट गई, लेकिन अनलॉक के बाद से स्थितियां धीरे-धीरे काबू में आ रही हैं. अनलॉक के दौरान मुरादाबाद के पीतल और हैंडीक्राफ्ट निर्यातकों अब जहां अच्छे आर्डर मिल रहे हैं वहीं, अमेरिका और यूरोप सरीखे देशों से क्रिसमस से यहां के निर्यातकों को बेहतरीन तोहफा मिल रहा है. इसके बावजूद केंद्र और राज्य सरकार की नीतियों के चलते निर्यातकों की कुछ समस्याएं भी हैं, यहां 3 महीने काम बंद रहने के बाद अचानक से जुलाई माह में माल की मांग में तेजी आई थी, लेकिन कच्चे माल की अनुपलब्धता और महंगे होने के कारण मांग और आपूर्ति के बीच का अंतर कम नहीं हो रहा है. इसके साथ ही सरकार द्वारा निर्यातकों को मिलने वाली तमाम सहूलियतें भी अब नहीं मिल पा रही हैं.

पीतल नगरी में परेशान उद्यमी.
निर्यात बढ़ा और साथ में समस्याएं भी
उद्योग भारती मुरादाबाद शाखा के पदाधिकारी और हैंडीक्राफ्ट निर्यात कंपनी चलाने वाले युवा उद्यमी इरेश बंसल बताते हैं कि जब कोरोना महामारी की शुरुआत हुई तो मार्च का महीना था. उसी दौरान यहां से माल एक्सपोर्ट होना शुरू होता है, लेकिन अचानक से तालाबंदी की वजह से सब रुक गया. इसके कारण करोडों का माल डंप हो गया. इसके बाद जुलाई में जैसे ही अनलॉक हुआ तो अचानक से मांग में तेजी आ गयी. इरेश बंसल ने बताया कि इस दौरान उद्यमियों और निर्यातकों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ा.
लॉकडाउन खुला तो खड़ी हुई नई समस्या
इरेश बंसल बताते हैं कि जब लॉकडाउन खुला तो माल की मांग बढ़ी. अगस्त के पहले सप्ताह में मांग बहुत ज़्यादा थी. इरेश बंसल ने बताया कि लेकिन उस दौरान लेबरों की समस्या सामने आई. उस समय यहां काम करने वाले लेबर लॉकडाउन की वजह से अपने घर जा चुके थे. यहां की फैक्ट्रियों में काम करने वाले बिहार, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों के कारीगर कोरोना के चलते वापस आने को तैयार नहीं थे. किसी तरह जब वो आये तब मांग और आपूर्ति के बीच का अंतर घटना शुरू हुआ.
कच्चे माल की शॉर्टेज
मुरादाबाद में जब माल की आपूर्ति शुरू हुई तब कच्चे माल की शार्टेज शुरू हो गयी. कच्चे माल की कमी आज भी बरकरार है. इरेश बताते हैं अब अगर कच्चा माल मिल भी रहा है, तो बहुत ही महंगे रेट पर मिल रहा है. अब हर हफ्ते सामान के रेट बढ़ रहे हैं, जिससे कच्चा माल मिल पाना मुश्किल हो रहा है.लड़कियों के रेट में 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो चुकी है, जबकि विदेशों से आ रही माल की मांग लगातार बढ़ रही है.
सरकार के द्वारा भी कई समस्याएं
युवा उद्यमी बताते हैं इसके साथ कई और समस्याएं भी हैं, जो सरकार द्वारा नीतिगत हैं. सरकार के द्वारा उद्यमियों के लिए नीतिगत तौर पर जो सहयोग दिया जाता था, वह स्कीम अब धीरे-धीरे खत्म हो रही हैं. इरेश बंसल ने बताया कि पहले 5 परसेंट का एमएएस ड्रॉ बैक मिलता था वह अब खत्म हो रहा है. बिजनेस में एक तरफ मांगे बढ़ रही हैं वहीं, दूसरी तरफ इस तरह की समस्याएं हमें पीछे की तरफ धकेल रही है.


समस्याओं पर क्या बोले उद्योग मंत्री
ईटीवी भारत ने जब निवेशकों और निर्यातकों की समस्याओं को लेकर उत्तर प्रदेश के सूक्ष्म, लघु एवं उद्यम मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह से बात की. इस पर उन्होंने कहा कि उद्यमियों और निर्यातकों की समस्याओं को नोट कर लिया गया है. सरकार के स्तर से जो समस्याएं आ रही हैं. उन्हें जल्द से जल्द सुलझाने का काम किया जाएगा. जिससे निर्यात को वह निवेशकों को बेहतर फायदा उपलब्ध हो सके.

उन्होंने कहा कि वह निर्यातकों की समस्याओं पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्र सरकार में मंत्री पीयूष गोयल से बात करेंगे. जिससे समस्याओं का हल जल्द से जल्द निकाला जा सके.

निर्यात का बड़ा हब है मुरादाबाद
बताते चलें कि मुरादाबाद पीतल नगरी के नाम से मशहूर है. यहां पर पीतल और हैंडीक्राफ्ट के तमाम सामानों का बड़े पैमाने पर विदेशों में निर्यात किया जाता है. मुरादाबाद भारत के कुल 40 फीसदी सामानों का निर्यात करता है. यहां के व्यापार से तकरीबन 7,000 करोड़ रुपये सालाना टर्नओवर होता है. सरकार की मंशा है कि अगले 10 सालों में इसे बढ़ाकर तकरीबन पचास हजार करोड़ रुपये तक पहुंचाया जाए.

Last Updated : Dec 30, 2020, 6:50 PM IST
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