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उधार की बंदूक से राष्ट्रीय टीम में खेलने का सपना, जानिए मुरादाबाद की दो जुड़वा बहनों की कहानी... - moradabad news

यूपी के मुरादाबाद में दो जुड़वा बहनें निशानेबाजी में अपना हुनर दिखा रही हैं. मध्यमवर्गीय परिवार से संबंध रखने वाली अंशिका और वंशिका उधार की बंदूक से इंडिया के लिए खेलने के लक्ष्य पर निशाना लगा रही हैं.

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निशानेबाज खिलाड़ी अंशिका और वंशिका.
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Published : Dec 24, 2019, 10:33 PM IST

मुरादाबाद: मन में कुछ करने का जज्बा हो तो कोई भी राह मुश्किल नहीं होती और न ही संसाधनों का अभाव रुकावट पैदा करता है. कुछ ऐसी ही दास्तां है जिले की दो जुड़वा बहनों की. निशानेबाजी में पारंगत यह बहनें संसाधनों के अभाव के बाद भी अपना हुनर दिखा रहीं है.

टीम इंडिया की तरफ से खेलने की तैयारी करतीं जुड़वा बहनें.

इंडिया के लिए खेलना है इनका सपना
नेशनल शूटिंग प्रतियोगिता में अव्वल स्थान हासिल करने के बाद इनकी कोशिश राष्ट्रीय टीम का हिस्सा बनने की है, जिसके लिए तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. अगले महीने होने वाले ट्रॉयल के लिए उधार ली गई बंदूक और एक किट से अभ्यास कर रहीं, इन बहनों का सपना देश का नाम रोशन करने का है.

जीत चुकी हैं नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप
अंशिका और वंशिका जुड़वा बहनें हैं और मुरादाबाद के कांशीरामनगर में रहती हैं. कुछ दिनों पहले भोपाल में नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप में दोनों बहनों ने हिस्सा लिया और टीम इंडिया के ट्रॉयल के लिए क्वालीफाई किया. बेटियों की इस सफलता से परिजन खुश हैं. पिता एक निजी कम्पनी में काम करते हैं और दस हजार रुपये महीने की सैलरी में परिवार का पालन-पोषण कर रहे हैं.

स्कूल से शुरू किया है निशानेबाज बनने का सफर
स्कूल में निशानेबाजी की प्रतियोगिता में शिरकत करने के बाद दोनों बहनों ने इसे करियर के तौर पर अपनाया और आज दोनों अपनी मेहनत से अपने सपने को साकार करने का प्रयास कर रहीं हैं. खेल और खिलाड़ियों के लिए सरकारें तमाम दावें करती हैं, लेकिन हकीकत अंशिका और वंशिका बेहतर समझती हैं.

इसे भी पढ़ें- दिल्ली हाट में आदि महोत्सव: लोगों को भा रहे हैं मुरादाबाद के शानदार कालीन

जीत चुकी हैं कई मेडल
स्कूल से लेकर नेशनल लेवल तक कई पदक जीत चुकी दोनों बहनों का सपना टीम इंडिया के लिए खेलने का है और हर दिन इसके लिए यह दोनों घंटों अभ्यास कर रही हैं. परिवार भी बेटियों के साथ खड़ा है और इनके करियर के लिए मकान तक बेचने को तैयार है. ऐसे में बेटियां भी खुद को साबित करने में पीछे नहीं रहना चाहती और अभावों को पीछे छोड़ बेहतर भविष्य के लिए रास्ता तैयार कर रही हैं.

मुरादाबाद: मन में कुछ करने का जज्बा हो तो कोई भी राह मुश्किल नहीं होती और न ही संसाधनों का अभाव रुकावट पैदा करता है. कुछ ऐसी ही दास्तां है जिले की दो जुड़वा बहनों की. निशानेबाजी में पारंगत यह बहनें संसाधनों के अभाव के बाद भी अपना हुनर दिखा रहीं है.

टीम इंडिया की तरफ से खेलने की तैयारी करतीं जुड़वा बहनें.

इंडिया के लिए खेलना है इनका सपना
नेशनल शूटिंग प्रतियोगिता में अव्वल स्थान हासिल करने के बाद इनकी कोशिश राष्ट्रीय टीम का हिस्सा बनने की है, जिसके लिए तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. अगले महीने होने वाले ट्रॉयल के लिए उधार ली गई बंदूक और एक किट से अभ्यास कर रहीं, इन बहनों का सपना देश का नाम रोशन करने का है.

जीत चुकी हैं नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप
अंशिका और वंशिका जुड़वा बहनें हैं और मुरादाबाद के कांशीरामनगर में रहती हैं. कुछ दिनों पहले भोपाल में नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप में दोनों बहनों ने हिस्सा लिया और टीम इंडिया के ट्रॉयल के लिए क्वालीफाई किया. बेटियों की इस सफलता से परिजन खुश हैं. पिता एक निजी कम्पनी में काम करते हैं और दस हजार रुपये महीने की सैलरी में परिवार का पालन-पोषण कर रहे हैं.

स्कूल से शुरू किया है निशानेबाज बनने का सफर
स्कूल में निशानेबाजी की प्रतियोगिता में शिरकत करने के बाद दोनों बहनों ने इसे करियर के तौर पर अपनाया और आज दोनों अपनी मेहनत से अपने सपने को साकार करने का प्रयास कर रहीं हैं. खेल और खिलाड़ियों के लिए सरकारें तमाम दावें करती हैं, लेकिन हकीकत अंशिका और वंशिका बेहतर समझती हैं.

इसे भी पढ़ें- दिल्ली हाट में आदि महोत्सव: लोगों को भा रहे हैं मुरादाबाद के शानदार कालीन

जीत चुकी हैं कई मेडल
स्कूल से लेकर नेशनल लेवल तक कई पदक जीत चुकी दोनों बहनों का सपना टीम इंडिया के लिए खेलने का है और हर दिन इसके लिए यह दोनों घंटों अभ्यास कर रही हैं. परिवार भी बेटियों के साथ खड़ा है और इनके करियर के लिए मकान तक बेचने को तैयार है. ऐसे में बेटियां भी खुद को साबित करने में पीछे नहीं रहना चाहती और अभावों को पीछे छोड़ बेहतर भविष्य के लिए रास्ता तैयार कर रही हैं.

Intro:एंकर: मुरादाबाद: मन में कुछ करने का जज्बा हो तो कोई भी राह मुश्किल नहीं होती और न ही संसाधनों का अभाव रुकावट पैदा करता है. जी हां कुछ ऐसी ही दास्तां है मुरादाबाद में रहने वाली दो जुड़वां बहनों की. निशानेबाजी में पारंगत ये बहनें संसाधनों के अभाव के बाद भी अपना हुनर दिखा रहीं है. नेशनल शूटिंग प्रतियोगिता में अव्वल स्थान हासिल करने के बाद इनकी कोशिश राष्ट्रीय टीम का हिस्सा बनने की है जिसके लिए तैयारियां शुरू हो चुकी है. अगले महीने होने वाले ट्रायल के लिए उधार ली गयी बंदूक और एक किट से अभ्यास कर रहीं इन बहनों का सपना देश का नाम रोशन करने का है. पेश है एक खास रिपोर्ट.


Body:वीओ वन: अपने घर की छत पर निशानेबाजी का अभ्यास कर रहीं अंशिका और वंशिका जुड़वां बहनें है और मुरादाबाद के कांशीरामनगर में परिवार के साथ रहती है. कुछ दिन पहले भोपाल में नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप में दोनों बहनों ने हिस्सा लिया और टीम इंडिया के ट्रायल के लिए क्वालीफाई किया. बेटियों की इस सफलता से जहां एक तरफ परिजन खुश है वहीं भविष्य की चिंता उनके चेहरों पर साफ नजर आती है. दरअसल दोनों बहनों के पिता एक निजी कम्पनी में काम करते है और दस हजार रुपये महीने की सैलरी में परिवार का पालन-पोषण कर रहें है. ऐसे में उधार ली गयी रायफल और एक किट के सहारे कैसे बेटियां आगे मुकाबला करेगी यह बड़ा सवाल है.
बाईट: राजीव विश्नोई- पिता
वीओ टू: स्कूल में निशानेबाजी की प्रतियोगिता में शिरकत करने के बाद दोनों बहनों ने इसे कैरियर के तौर पर अपनाया और आज दोनों अपनी मेहनत से अपने सपने को साकार करने का प्रयाश कर रहीं है. परिवार की आर्थिक स्थिति को दोनों जानती है लिहाजा एक किट से ही दोनों खेलती है. एक दूसरे को हौसला देने के साथ ही यह सफर जारी है और अब नेशनल टीम ट्रायल के लिए दोनों तैयार हो रहीं है. खेल और खिलाड़ियों के लिए सरकारें तमाम दावें करती है लेकिन हकीकत अंशिका और वंशिका बेहतर समझती है.
बाईट: अंशिका- खिलाड़ी
वीओ टू: स्कूल से लेकर नेशनल लेवल तक कई पदक जीत चुकी दोनों बहनों का सपना टीम इंडिया के लिए खेलने का है और हर दिन इसके लिए यह दोनों घण्टों अभ्यास कर रहीं है. परिवार भी बेटियों के साथ खड़ा है और इनके कैरियर के लिए मकान तक बेचने को तैयार है. ऐसे में बेटियां भी खुद को साबित करने में पीछे नहीं रहना चाहती और अभावों को पीछे छोड़ बेहतर भविष्य के लिए रास्ता तैयार करती नजर आती है.
बाईट: वंशिका: खिलाड़ी


Conclusion:वीओ चार: निशानेबाजी को हमेशा से महंगा खेल माना जाता है और कुछ समय पहले तक इसे अमीरों के खेल समझा जाता रहा है. ऐसे में मध्यमवर्गीय परिवार की जुड़वां बेटियां खुद की चुनौती पेश करती नजर आती है. उम्मीद की जानी चाहिए कि इन बेटियों को भरपूर मौका मिलें और संसाधनों के अभाव में इनके सपने बिखरने न पाएं.
भुवन चन्द्र
ईटीवी भारत
मुरादाबाद
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