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मिर्जापुर: घंटाघर की घड़ी अब नहीं करती टिक-टिक, आवाज सुनने को तरस रहे हैं लोग

मिर्जापुर में अंग्रेजों के जमाने की ऐतिहासिक प्रसिद्ध घड़ी आज अपने अस्तित्व को बचाने की लड़ाई लड़ रही है. घंटाघर की घड़ी कई सालों से बंद पड़ी हुई है. वहीं घड़ी को बनवाना तो दूर संरक्षण के प्रति जनप्रतिनिधि से लेकर अधिकारी तक कोई गंभीर नहीं है.

घंटाघर की घड़ी कई सालों से पड़ी है बंद.
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Published : Jun 25, 2019, 5:46 PM IST

Updated : Sep 10, 2020, 12:19 PM IST

मिर्जापुर: जिले के घंटाघर की घड़ी की गूंज सुनने को जनपदवासियों के कान तरस रहे हैं. एक दशक पहले तक यह लोगों को समय बताती थी. वहीं घंटाघर की घड़ी आज जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा के चलते उपेक्षित पड़ी है. घड़ी को बनवाना तो दूर संरक्षण के प्रति भी कोई गंभीर नहीं है.

घंटाघर की घड़ी कई सालों से पड़ी है बंद.
  • नक्काशीदर ऐतिहासिक घंटाघर की प्रसिद्ध घड़ी की गूंज सुनने को अब लोगों के कान तरस गए हैं.
  • जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा के चलते आज घंटाघर की घड़ी अपने अस्तित्व को बचाने की लड़ाई लड़ रही है.
  • एक दशक पहले तक जनपद के लोगों को समय बताने वाली घंटाघर की घड़ी आज खामोश है.
  • घंटाघर की घड़ी को बनवाना तो दूर संरक्षण के प्रति भी जनप्रतिनिधि से लेकर अधिकारी तक कोई गंभीर नहीं है.
  • कुछ दिन पहले मेरठ के किसी कंपनी को दिया गया था बनाने के लिए.
  • इसके बाद एक बार फिर चल पड़ी थी घड़ी, लेकिन कुछ महीनों के बाद से ही वह फिर खराब हो गई है.
  • वर्षों से खराब पड़ी लंदन के ऐतिहासिक घड़ी को चलाने की कवायद अब कोई नहीं कर रहा है.

पहले मेरठ की किसी कंपनी को घड़ी बनाने के लिए दिया गया था बन के आया भी था. फिर थोड़े दिन बाद खराब हो गई. इस ऐतिहासिक धरोहर घंटाघर को म्यूजियम बनाने का हमारा बोर्ड बैठक कर फैसला लिया है. म्यूजियम बन जाने से ऐतिहासिक धरोहर भी संरक्षित रहेगा और लोगों के लिए एक अच्छा स्थान भी मिल जाएगा.
-मनोज जायसवाल, अध्यक्ष, नगर पालिका परिषद

क्या है स्थानीय लोगों का कहना:
स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां घंटाघर की घड़ी कई सालों से बंद पड़ी हुई है. इस घड़ी को बनवाने के लिए न तो यहां के जनप्रतिनिधि और न अधिकारी प्रयास कर रहे हैं. यह ऐतिहासिक धरोहर है इसे बचाना चाहिए, लेकिन कोई इस घड़ी और घंटाघर पर ध्यान नहीं दे रहा है.

मिर्जापुर: जिले के घंटाघर की घड़ी की गूंज सुनने को जनपदवासियों के कान तरस रहे हैं. एक दशक पहले तक यह लोगों को समय बताती थी. वहीं घंटाघर की घड़ी आज जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा के चलते उपेक्षित पड़ी है. घड़ी को बनवाना तो दूर संरक्षण के प्रति भी कोई गंभीर नहीं है.

घंटाघर की घड़ी कई सालों से पड़ी है बंद.
  • नक्काशीदर ऐतिहासिक घंटाघर की प्रसिद्ध घड़ी की गूंज सुनने को अब लोगों के कान तरस गए हैं.
  • जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा के चलते आज घंटाघर की घड़ी अपने अस्तित्व को बचाने की लड़ाई लड़ रही है.
  • एक दशक पहले तक जनपद के लोगों को समय बताने वाली घंटाघर की घड़ी आज खामोश है.
  • घंटाघर की घड़ी को बनवाना तो दूर संरक्षण के प्रति भी जनप्रतिनिधि से लेकर अधिकारी तक कोई गंभीर नहीं है.
  • कुछ दिन पहले मेरठ के किसी कंपनी को दिया गया था बनाने के लिए.
  • इसके बाद एक बार फिर चल पड़ी थी घड़ी, लेकिन कुछ महीनों के बाद से ही वह फिर खराब हो गई है.
  • वर्षों से खराब पड़ी लंदन के ऐतिहासिक घड़ी को चलाने की कवायद अब कोई नहीं कर रहा है.

पहले मेरठ की किसी कंपनी को घड़ी बनाने के लिए दिया गया था बन के आया भी था. फिर थोड़े दिन बाद खराब हो गई. इस ऐतिहासिक धरोहर घंटाघर को म्यूजियम बनाने का हमारा बोर्ड बैठक कर फैसला लिया है. म्यूजियम बन जाने से ऐतिहासिक धरोहर भी संरक्षित रहेगा और लोगों के लिए एक अच्छा स्थान भी मिल जाएगा.
-मनोज जायसवाल, अध्यक्ष, नगर पालिका परिषद

क्या है स्थानीय लोगों का कहना:
स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां घंटाघर की घड़ी कई सालों से बंद पड़ी हुई है. इस घड़ी को बनवाने के लिए न तो यहां के जनप्रतिनिधि और न अधिकारी प्रयास कर रहे हैं. यह ऐतिहासिक धरोहर है इसे बचाना चाहिए, लेकिन कोई इस घड़ी और घंटाघर पर ध्यान नहीं दे रहा है.

Intro:मिर्ज़ापुर अंग्रेजों के जमाने की ऐतिहासिक प्रसिद्ध घड़ी आज अपने अस्तित्व को बचाने की लड़ाई लड़ रही है। घंटाघर की घड़ी की गूंज सुनने को तरस रहे हैं जनपदवासियों के कान। एक दशक पहले तक लोगों को समय बताती थी घंटाघर की घड़ी आज जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा के चलते उपेक्षित पड़ी घंटाघर की घड़ी आज खामोश है घड़ी को बनवाना तो दूर संरक्षण के प्रति भी कोई गंभीर नहीं।


Body:नक्काशीदर ऐतिहासिक घंटाघर की प्रसिद्ध घड़ी की गूंज सुनने को अब जनपद के लोगों के कान तरस गए हैं जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा के चलते आज घंटाघर की घड़ी अपने अस्तित्व को बचाने की लड़ाई लड़ रही है कभी एक दशक पूर्व तक जनपद के लोगों को समय बताने वाली घंटाघर की घड़ी आज खामोश है घंटाघर की घड़ी को बनवाना तो दूर संरक्षण के प्रति कोई गंभीर नहीं है जनप्रतिनिधि से लेकर अधिकारी तक। ब्रिटिश शासन के समय की ऐतिहासिक घड़ी अब खामोश है। बताया जा रहा है कुछ दिन पहले मेरठ के किसी कम्पनी को दिया गया था बनाने के लिए एक बार फिर चल पड़ी थी घड़ी लेकिन कुछ महीनों के बाद से ही वह पुनः खराब हो गई है वर्षो से खराब पड़ी लंदन के ऐतिहासिक घड़ी को चलाने की कवायद अब कोई नहीं कर रहा है।
वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि यह घंटाघर की घड़ी कई सालों से बंद पड़ा हुआ है इस घड़ी को बनवाने के लिए न तो यहां के जनप्रतिनिधि और न अधिकारी कर रहे हैं । पहले इसी घड़ी से जनपदवासी अपना समय देखते थे घड़ी की समय देखना तो दूर गूंज भी नहीं सुनाई देता । यह ऐतिहासिक धरोहर है इसे बचाना चाहिए लेकिन कोई इस घड़ी और घंटाघर पर ध्यान नहीं दे रहा है ऐसे ही रहा तो यह ऐतिहासिक धरोहर खत्म हो जाएगा।

Bite-निमेष-स्थानीय


Conclusion: नगर पालिका अध्यक्ष की माने तो उनका कहना है जब से मैं आया हूं इस घड़ी के लिए कोई पैसा नहीं दिया हूं हां इसके पहले मेरठ की किसी कंपनी को घड़ी बनाने के लिए दिया गया था बन के आया भी था उसने कहा था नहीं बन पाएगा था। थोड़े दिन बाद फिर खराब हो गयी । फिलहाल यह मेरा ऑफिस है नवरात्र के पहले इसे लालडिग्गी शिफ्ट कर दिया जाएगा इस ऐतिहासिक धरोहर घंटाघर को म्यूजियम बनाने का हमारा बोर्ड बैठक कर फैसला लिया है जिससे शहर में एक भी म्यूजियम नहीं है म्यूजियम बन जाने से ऐतिहासिक धरोहर भी संरक्षित रहेगा और लोगों के लिए एक अच्छा स्थान भी मिल जाएगा घड़ी के लिए म्यूजियम में कुछ रहेगा तो उसके लिए भी निश्चित किया जाएगा। लेकिन सवाल उठता है इस ऐतिहासिक धरोहर को म्यूजियम बनाने की क्वायद तो की जा रही है जब ऐतिहासिक धरोहर ही संरक्षित नहीं कर पाएंगे तो म्यूजियम बनाकर लोगों को क्या दिखाना चाहता है नगर पालिका।

Bite-मनोज जायसवाल-नगर पालिका परिषद -अध्यक्ष

जय प्रकाश सिंह
मिर्ज़ापुर
9453881630
Last Updated : Sep 10, 2020, 12:19 PM IST
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