मिर्जापुर: जिले के घंटाघर की घड़ी की गूंज सुनने को जनपदवासियों के कान तरस रहे हैं. एक दशक पहले तक यह लोगों को समय बताती थी. वहीं घंटाघर की घड़ी आज जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा के चलते उपेक्षित पड़ी है. घड़ी को बनवाना तो दूर संरक्षण के प्रति भी कोई गंभीर नहीं है.
- नक्काशीदर ऐतिहासिक घंटाघर की प्रसिद्ध घड़ी की गूंज सुनने को अब लोगों के कान तरस गए हैं.
- जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा के चलते आज घंटाघर की घड़ी अपने अस्तित्व को बचाने की लड़ाई लड़ रही है.
- एक दशक पहले तक जनपद के लोगों को समय बताने वाली घंटाघर की घड़ी आज खामोश है.
- घंटाघर की घड़ी को बनवाना तो दूर संरक्षण के प्रति भी जनप्रतिनिधि से लेकर अधिकारी तक कोई गंभीर नहीं है.
- कुछ दिन पहले मेरठ के किसी कंपनी को दिया गया था बनाने के लिए.
- इसके बाद एक बार फिर चल पड़ी थी घड़ी, लेकिन कुछ महीनों के बाद से ही वह फिर खराब हो गई है.
- वर्षों से खराब पड़ी लंदन के ऐतिहासिक घड़ी को चलाने की कवायद अब कोई नहीं कर रहा है.
पहले मेरठ की किसी कंपनी को घड़ी बनाने के लिए दिया गया था बन के आया भी था. फिर थोड़े दिन बाद खराब हो गई. इस ऐतिहासिक धरोहर घंटाघर को म्यूजियम बनाने का हमारा बोर्ड बैठक कर फैसला लिया है. म्यूजियम बन जाने से ऐतिहासिक धरोहर भी संरक्षित रहेगा और लोगों के लिए एक अच्छा स्थान भी मिल जाएगा.
-मनोज जायसवाल, अध्यक्ष, नगर पालिका परिषद
क्या है स्थानीय लोगों का कहना:
स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां घंटाघर की घड़ी कई सालों से बंद पड़ी हुई है. इस घड़ी को बनवाने के लिए न तो यहां के जनप्रतिनिधि और न अधिकारी प्रयास कर रहे हैं. यह ऐतिहासिक धरोहर है इसे बचाना चाहिए, लेकिन कोई इस घड़ी और घंटाघर पर ध्यान नहीं दे रहा है.