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मिर्जापुर में मात्र एक अग्निशमन केंद्र, कर्मचारियों की भी कमी - Mirzapur fire station

मिर्जापुर में एक ही अग्निशमन केंद्र होने के कारण क्षेत्र में लगने वाली आग की घटनाओं पर काबू पाना संभव नहीं हो पाता है. जब तक मुख्यालय से 70 किलोमीटर की दूरी तय कर फायर ब्रिगेड की गाड़ियां घटना स्थल पर पहुंचती हैं, तब तक सैंकड़ों बीघे फसल जलकर नष्ट हो चुकी होती है. अग्निशमन केंद्र के कर्मचारी और उपकरण की कमी से भी जूझ रहा है

मिर्जापुर में मात्र एक अग्निशमन केंद्र
मिर्जापुर में मात्र एक अग्निशमन केंद्र
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Published : Apr 20, 2021, 5:14 PM IST

मिर्जापुर : तापमान बढ़ने के साथ ही जिले में अग्निकांड की घटनाएं भी तेजी से शुरू हो गई हैं. मगर मानक के अनुरूप अग्निशमन विभाग के पास कर्मचारी, उपकरण और फायर स्टेशन नहीं होने से आग की घटनाओं पर अंकुश लगाना मुश्किल हो रहा है. 25 लाख की आबादी वाले जिले में मात्र एक अग्निशमन केंद्र के सहारे मध्य प्रदेश बॉर्डर से लेकर प्रयागराज, वाराणसी, चंदौली सोनभद्र जिलों के बॉर्डर तक आग बुझाने का काम किया जाता है. इसके बावजूद भी कई सालों से अग्निशमन विभाग उपकरण और कर्मचारियों की कमी से जूझ रहा है.

मिर्जापुर में मात्र एक अग्निशमन केंद्र
अग्निशमन विभाग में अधिकारियों कर्मचारियों की कमी आग की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए जिले का एकमात्र अग्निशमन केंद्र उपकरण और कर्मचारियों की समस्याओं से जूझ रहा है.अंग्रेजों के जमाने के बने पथरहिया रोड पर स्थित अग्निशमन विभाग के पास वर्तमान समय में दमकल की दो बड़े वाहन, दो हाई प्रेशर, दो मोटर इंजन, रेस्क्यू उपकरण दो बोलेरो वाहन समेत अन्य उपकरण है, जबकि मौजूदा स्थिति में इसके सापेक्ष दोगुना गुना संसाधन की जरूरत है.

विभाग के पास वर्तमान में 22 फायर मैन की नियुक्ति है, जिसमें 6 ट्रेनिंग पर गए हुए हैं. लीडिंग फॉयर मैन 5, चालक 6, कुक दो स्वीपर, एक कि नियुक्ति है. सीएफओ, एसएफओ के एक एक पद खाली है. एफएफएसओ दो हैं और एक-एक पद खाली है. विभाग को 6 होमगार्ड मिले हुए हैं, जिससे एक से काम चलाया जा रहा है, जबकि यहां पर अभी और स्टाफ की जरूरत है कई बार शासन को लिखने के बावजूद भी अभी तक स्टाफ नहीं बढ़ाए गए हैं.


एमपी के बॉर्डर तक आग बुझाने का करते हैं काम

25 लाख आबादी वाले जिले में मात्र एक अग्निसमन केंद्र जिला मुख्यालय पर होने से 75-80 किलोमीटर दूरी पर घटना होने पर कर्मचारियों को पहुंचने में काफी समस्या होती है. जब तक घटनास्थल पर पहुंचते हैं तब तक सब कुछ जलकर राख हो चुका होता है. हर वर्ष ग्रामीण क्षेत्रों में 60 से लेकर 100 तक आगजनी की घटना छोटी बड़ी होती है. जिला मुख्यालय से अग्निशमन विभाग मध्य प्रदेश बॉर्डर से लेकर प्रयागराज, वाराणसी, सोनभद्र और चंदौली जिलों के बॉर्डर तक आग बुझाने का काम करने जाते हैं.

कई सालों से कर्मचारियों और अग्निशमन केंद्र की मांग की जा रही है अब जाकर कहीं अग्निशमन केंद्र खोलने का प्रस्ताव भेजने के बाद खोलने का आसार जगी है. मड़िहान तहसील में जमीन मिल जाने के बाद अग्निशमन केंद्र का काम किया जा रहा है वहीं चुनार और लालगंज तहसील में जमीन मिल गई है जल्द बनने की बात कही जा रही है.


तीन तहसील में और खुलेंगे अग्निशमन केंद्र

अग्निसमन विभाग ने जिले में तीन और तहसीलों में अग्निशमन केंद्र खोलने की मांग की थी. इसके साथ ही जिला मुख्यालय में मौजूद केंद्र पर उपकरणों कर्मचारियों की संख्या दुगना करने का प्रस्ताव भेजा था, जिसमें कर्मचारियों की अभी नियुक्ति नहीं हुई है और न ही बढ़ाई गई है, जबकि केंद्र खोलने का प्रस्ताव शासन से मिल गया है. मड़िहान तहसील में अग्निशमन केंद्र खोलने काम किया जा रहा है. वहीं चुनार और लालगंज तहसील में जमीन उपलब्ध हो गई है. अग्निशमन प्रभारी अधिकारी अनिल प्रताप सरोज ने बताया कि जो संसाधन उपकरण है उसी से कोशिश की जाती है इतने बड़े जनपद में लगे बुझाने का. अधिकारियों कर्मचारियों को ट्रेंड किया जाता है आग की सूचना मिलते ही कैसे आग पर काबू पाया जाए और ग्रामीणों को क्या सलाह दिया जाए.

मिर्जापुर : तापमान बढ़ने के साथ ही जिले में अग्निकांड की घटनाएं भी तेजी से शुरू हो गई हैं. मगर मानक के अनुरूप अग्निशमन विभाग के पास कर्मचारी, उपकरण और फायर स्टेशन नहीं होने से आग की घटनाओं पर अंकुश लगाना मुश्किल हो रहा है. 25 लाख की आबादी वाले जिले में मात्र एक अग्निशमन केंद्र के सहारे मध्य प्रदेश बॉर्डर से लेकर प्रयागराज, वाराणसी, चंदौली सोनभद्र जिलों के बॉर्डर तक आग बुझाने का काम किया जाता है. इसके बावजूद भी कई सालों से अग्निशमन विभाग उपकरण और कर्मचारियों की कमी से जूझ रहा है.

मिर्जापुर में मात्र एक अग्निशमन केंद्र
अग्निशमन विभाग में अधिकारियों कर्मचारियों की कमी आग की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए जिले का एकमात्र अग्निशमन केंद्र उपकरण और कर्मचारियों की समस्याओं से जूझ रहा है.अंग्रेजों के जमाने के बने पथरहिया रोड पर स्थित अग्निशमन विभाग के पास वर्तमान समय में दमकल की दो बड़े वाहन, दो हाई प्रेशर, दो मोटर इंजन, रेस्क्यू उपकरण दो बोलेरो वाहन समेत अन्य उपकरण है, जबकि मौजूदा स्थिति में इसके सापेक्ष दोगुना गुना संसाधन की जरूरत है.

विभाग के पास वर्तमान में 22 फायर मैन की नियुक्ति है, जिसमें 6 ट्रेनिंग पर गए हुए हैं. लीडिंग फॉयर मैन 5, चालक 6, कुक दो स्वीपर, एक कि नियुक्ति है. सीएफओ, एसएफओ के एक एक पद खाली है. एफएफएसओ दो हैं और एक-एक पद खाली है. विभाग को 6 होमगार्ड मिले हुए हैं, जिससे एक से काम चलाया जा रहा है, जबकि यहां पर अभी और स्टाफ की जरूरत है कई बार शासन को लिखने के बावजूद भी अभी तक स्टाफ नहीं बढ़ाए गए हैं.


एमपी के बॉर्डर तक आग बुझाने का करते हैं काम

25 लाख आबादी वाले जिले में मात्र एक अग्निसमन केंद्र जिला मुख्यालय पर होने से 75-80 किलोमीटर दूरी पर घटना होने पर कर्मचारियों को पहुंचने में काफी समस्या होती है. जब तक घटनास्थल पर पहुंचते हैं तब तक सब कुछ जलकर राख हो चुका होता है. हर वर्ष ग्रामीण क्षेत्रों में 60 से लेकर 100 तक आगजनी की घटना छोटी बड़ी होती है. जिला मुख्यालय से अग्निशमन विभाग मध्य प्रदेश बॉर्डर से लेकर प्रयागराज, वाराणसी, सोनभद्र और चंदौली जिलों के बॉर्डर तक आग बुझाने का काम करने जाते हैं.

कई सालों से कर्मचारियों और अग्निशमन केंद्र की मांग की जा रही है अब जाकर कहीं अग्निशमन केंद्र खोलने का प्रस्ताव भेजने के बाद खोलने का आसार जगी है. मड़िहान तहसील में जमीन मिल जाने के बाद अग्निशमन केंद्र का काम किया जा रहा है वहीं चुनार और लालगंज तहसील में जमीन मिल गई है जल्द बनने की बात कही जा रही है.


तीन तहसील में और खुलेंगे अग्निशमन केंद्र

अग्निसमन विभाग ने जिले में तीन और तहसीलों में अग्निशमन केंद्र खोलने की मांग की थी. इसके साथ ही जिला मुख्यालय में मौजूद केंद्र पर उपकरणों कर्मचारियों की संख्या दुगना करने का प्रस्ताव भेजा था, जिसमें कर्मचारियों की अभी नियुक्ति नहीं हुई है और न ही बढ़ाई गई है, जबकि केंद्र खोलने का प्रस्ताव शासन से मिल गया है. मड़िहान तहसील में अग्निशमन केंद्र खोलने काम किया जा रहा है. वहीं चुनार और लालगंज तहसील में जमीन उपलब्ध हो गई है. अग्निशमन प्रभारी अधिकारी अनिल प्रताप सरोज ने बताया कि जो संसाधन उपकरण है उसी से कोशिश की जाती है इतने बड़े जनपद में लगे बुझाने का. अधिकारियों कर्मचारियों को ट्रेंड किया जाता है आग की सूचना मिलते ही कैसे आग पर काबू पाया जाए और ग्रामीणों को क्या सलाह दिया जाए.

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