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मिर्जापुर: पत्नी के साथ मिलकर मास्क बना रहा आरपीएफ सिपाही, गरीबों को बांट रहा नि:शुल्क

उत्तर प्रदेश में कोरोना का कहर लगातार जारी है. सरकार ने लोगों को मास्क पहनकर बाहर निकलना अनिवार्य कर दिया है. ऐसे में मिर्जापुर जिले में एक आरपीएफ सिपाही दोहरी जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहे हैं. ड्यूटी के बाद वे अपनी पत्नी के साथ मिलकर पहले तो मास्क बनाते हैं और फिर इसे गरीबों और जरूरतमंदों में बांट देते हैं. देखिए यह स्पेशल रिपोर्ट.

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मिर्जापुर में पत्नी के साथ मास्क तैयार कर लोगों को फ्री बांट रहा आरपीएफ सिपाही.
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Published : Apr 13, 2020, 5:16 PM IST

Updated : Sep 10, 2020, 12:19 PM IST

मिर्जापुर: कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन में ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी जहां अपनी ड्यूटी करते हुए अपना फर्ज निभा रहे हैं, वहीं रेलवे स्टेशन पर तैनात आरपीएफ सिपाही की पत्नी मीरा देवी भी कोरोना के कहर से लोगों को बचाने में जुटी हुई हैं. मीरा देवी घर पर ही रह कर रेलवे स्टाफ, गरीब और असहाय लोगों के लिए कपड़े से निर्मित मास्क बनाकर नि:शुल्क बांटने की व्यवस्था करा रही है. इस काम में रेलवे स्टेशन पर तैनात उनके पति थाने में ड्यूटी करने के बाद खाली समय में उनकी मदद करते हैं.

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मास्क बनातीं मीरा देवी.

दोहरी जिम्मेदारी
मिर्जापुर रेलवे स्टेशन पर रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) में तैनात सिपाही विभूति नारायण सिंह इन दिनों अपनी दोहरी जिम्मेदारी निभा रहे हैं. वह सुबह घर से रेलवे स्टेशन पर पहुंचकर अपनी ड्यूटी करते हैं. इसके बाद दोपहर खाली होने पर वह मास्क बनाने में पत्नी मीरा की मदद करते हैं. दोनों साथ मिलकर मास्क तैयार करते हैं.

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जरूरतमंदों को बांटा जा रहा मास्क.

हर रोज बनाते हैं 25 से 30 मास्क
हर रोज दोनों मिलकर 25 से 30 मास्क तैयार करते हैं. इस दौरान जहां पत्नी मीरा सिलाई का काम करती हैं तो वहीं विभूति नारायण कपड़े की कटिंग और मास्क को सही करने का काम करते हैं. इस तैयार मास्क को वह रेलवे स्टेशन लाकर गरीबों की मदद के लिए आरपीएफ टीम को दे देते हैं, जिसके माध्यम से आसपास के इलाकों में इसे गरीबों में बांट दिया जाता है. इस तरह से वह अब तक सैकड़ों मास्क तैयार कर नि:शुल्क गरीबों में बांट चुके हैं.

देखिए यह स्पेशल रिपोर्ट...

...इस वजह से बनाना शुरू किया मास्क
दरअसल, इसकी शुरुआत लॉकडाउन लगने के बाद तब हुई, जब रेलवे स्टेशन में तैनात उनके साथियों को मास्क की जरूरत पड़ी. हर रोज मास्क थाने पर मंगाया जाता और उसे इस्तेमाल कर फेंक देने के बाद दोबारा फिर मास्क की जरूरत पड़ती. इस परेशानी को देख विभूति नारायण ने अपने साथियों के लिए मास्क बनाने का फैसला किया और फिर अपनी पत्नी के साथ घर पर मास्क तैयार कर साथियों को देने लगे. इसके बाद जितना मास्क बेचता, उसे गरीबों में बांट दिया जाता.

आरपीएफ सिपाही विभूति नारायण की पत्नी मीरा देवी ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि 'उन्होंने समाचार में पीएम मोदी को सुना था कि सब लोग मास्क लगाएं और अगर मास्क नहीं है तो घर पर ही तैयार करके बनाएं. उसी को देखकर उन्होंने मास्क बनाने का निर्णय लिया. वे प्रतिदिन अपने पति के साथ मिलकर, जब वे ड्यूटी करके आते हैं, मास्क बनाते हैं.'

समाज को दिया संदेश
मीरा ने ऐसा करके लोगों और खासकर महिलाओं को संदेश दिया है कि वह घर पर रहकर भी लोगों की मदद कर सकते हैं. इसके लिए कहीं बाहर जाने और सरकारी निर्देशों की अवहेलना करने की कोई आवश्यकता भी नहीं है. फिलहाल, वह अपने खाली समय में पति के साथ मिलकर लगातार कपड़ों से निर्मित मास्क बना रही हैं, जिससे और भी लोगों तक इसे नि:शुल्क पहुंचाया जा सके.

आरपीएफ थाना प्रभारी रजनीश राय का कहना है कि 'जब कोरोना का संक्रमण शुरू हुआ तो मास्क स्टाफ के लिए मंगाना शुरू किया. मास्क जो बाजार में मिलता था, वह एक बार प्रयोग करने के बाद फेंक दिया जाता था. इस परेशानी को देखते हुए विभूति नारायण ने कहा कि इसको सर हम बना सकते हैं, तो मैंने कहा बनाइए, जिस पर उन्होंने इसे बनाना शुरू किया.'

मिर्जापुर: अनाथ बच्चों ने फोन कर मांगी मदद, DM ने घर भिजवाई खाद्य सामग्री

उन्होंने बताया कि 'आज जहां भी वो लोग गरीबों को खाना देने जाते हैं, वहां मास्क का वितरण कर देते हैं. इसके साथ ही वो अपने रेलवे स्टाफ और कर्मचारियों को भी मास्क उपलब्ध करा रहे हैं.

मिर्जापुर: कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन में ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी जहां अपनी ड्यूटी करते हुए अपना फर्ज निभा रहे हैं, वहीं रेलवे स्टेशन पर तैनात आरपीएफ सिपाही की पत्नी मीरा देवी भी कोरोना के कहर से लोगों को बचाने में जुटी हुई हैं. मीरा देवी घर पर ही रह कर रेलवे स्टाफ, गरीब और असहाय लोगों के लिए कपड़े से निर्मित मास्क बनाकर नि:शुल्क बांटने की व्यवस्था करा रही है. इस काम में रेलवे स्टेशन पर तैनात उनके पति थाने में ड्यूटी करने के बाद खाली समय में उनकी मदद करते हैं.

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मास्क बनातीं मीरा देवी.

दोहरी जिम्मेदारी
मिर्जापुर रेलवे स्टेशन पर रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) में तैनात सिपाही विभूति नारायण सिंह इन दिनों अपनी दोहरी जिम्मेदारी निभा रहे हैं. वह सुबह घर से रेलवे स्टेशन पर पहुंचकर अपनी ड्यूटी करते हैं. इसके बाद दोपहर खाली होने पर वह मास्क बनाने में पत्नी मीरा की मदद करते हैं. दोनों साथ मिलकर मास्क तैयार करते हैं.

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जरूरतमंदों को बांटा जा रहा मास्क.

हर रोज बनाते हैं 25 से 30 मास्क
हर रोज दोनों मिलकर 25 से 30 मास्क तैयार करते हैं. इस दौरान जहां पत्नी मीरा सिलाई का काम करती हैं तो वहीं विभूति नारायण कपड़े की कटिंग और मास्क को सही करने का काम करते हैं. इस तैयार मास्क को वह रेलवे स्टेशन लाकर गरीबों की मदद के लिए आरपीएफ टीम को दे देते हैं, जिसके माध्यम से आसपास के इलाकों में इसे गरीबों में बांट दिया जाता है. इस तरह से वह अब तक सैकड़ों मास्क तैयार कर नि:शुल्क गरीबों में बांट चुके हैं.

देखिए यह स्पेशल रिपोर्ट...

...इस वजह से बनाना शुरू किया मास्क
दरअसल, इसकी शुरुआत लॉकडाउन लगने के बाद तब हुई, जब रेलवे स्टेशन में तैनात उनके साथियों को मास्क की जरूरत पड़ी. हर रोज मास्क थाने पर मंगाया जाता और उसे इस्तेमाल कर फेंक देने के बाद दोबारा फिर मास्क की जरूरत पड़ती. इस परेशानी को देख विभूति नारायण ने अपने साथियों के लिए मास्क बनाने का फैसला किया और फिर अपनी पत्नी के साथ घर पर मास्क तैयार कर साथियों को देने लगे. इसके बाद जितना मास्क बेचता, उसे गरीबों में बांट दिया जाता.

आरपीएफ सिपाही विभूति नारायण की पत्नी मीरा देवी ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि 'उन्होंने समाचार में पीएम मोदी को सुना था कि सब लोग मास्क लगाएं और अगर मास्क नहीं है तो घर पर ही तैयार करके बनाएं. उसी को देखकर उन्होंने मास्क बनाने का निर्णय लिया. वे प्रतिदिन अपने पति के साथ मिलकर, जब वे ड्यूटी करके आते हैं, मास्क बनाते हैं.'

समाज को दिया संदेश
मीरा ने ऐसा करके लोगों और खासकर महिलाओं को संदेश दिया है कि वह घर पर रहकर भी लोगों की मदद कर सकते हैं. इसके लिए कहीं बाहर जाने और सरकारी निर्देशों की अवहेलना करने की कोई आवश्यकता भी नहीं है. फिलहाल, वह अपने खाली समय में पति के साथ मिलकर लगातार कपड़ों से निर्मित मास्क बना रही हैं, जिससे और भी लोगों तक इसे नि:शुल्क पहुंचाया जा सके.

आरपीएफ थाना प्रभारी रजनीश राय का कहना है कि 'जब कोरोना का संक्रमण शुरू हुआ तो मास्क स्टाफ के लिए मंगाना शुरू किया. मास्क जो बाजार में मिलता था, वह एक बार प्रयोग करने के बाद फेंक दिया जाता था. इस परेशानी को देखते हुए विभूति नारायण ने कहा कि इसको सर हम बना सकते हैं, तो मैंने कहा बनाइए, जिस पर उन्होंने इसे बनाना शुरू किया.'

मिर्जापुर: अनाथ बच्चों ने फोन कर मांगी मदद, DM ने घर भिजवाई खाद्य सामग्री

उन्होंने बताया कि 'आज जहां भी वो लोग गरीबों को खाना देने जाते हैं, वहां मास्क का वितरण कर देते हैं. इसके साथ ही वो अपने रेलवे स्टाफ और कर्मचारियों को भी मास्क उपलब्ध करा रहे हैं.

Last Updated : Sep 10, 2020, 12:19 PM IST
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