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मिर्जापुर: लॉकडाउन ने तोड़ी रिक्शा चालकों की कमर, दो वक्त की रोटी का गहराया संकट

कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के लिए देश में तीन मई तक लॉकडाउन किया गया है. इसके कारण मिर्जापुर जिले में रिक्शा चालकों के सामने दो वक्त का भोजन मिलने का संकट गहराने लगा है. उनका कहना है कि अगर कोई सरकारी व्यक्ति आकर पूड़ी और सब्जी दे जाता है तो हम उसे खाकर दिन बिता लेते हैं.

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पुल के नीचे खडे़ रिक्शा.
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Published : Apr 22, 2020, 12:55 PM IST

Updated : Sep 10, 2020, 12:19 PM IST

मिर्जापुर: कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए देश में तीन मई तक लॉकडाउन कर दिया गया है. लॉकडाउन के दौरान शहर में सैकड़ों रिक्शा चालकों के सामने रोजी के साथ रोटी का भी संकट खड़ा हो गया है. कुछ रिक्शा चालक घर चले गए हैं और कुछ रिक्शा मालिक के यहां पड़े रहते हैं. यदि कोई सरकारी अधिकारी आकर चार पूड़ी देकर जाता है तो उसे खाकर दिन काट लेते हैं.

जानकारी देते रिक्शा चालक.

शहर के पथरहिया फ्लाई ओवर के नीचे रहने वाले रिक्शा चालकों ने बताया कि गर्मी-सर्दी और बारिश चाहे जो मौसम हो हम दिनभर रिक्शा चलाते हैं. रिक्शा की कमाई से परिवार और अपना पेट पालते हैं. लॉकडाउन में रिक्शा निकलना संभव नहीं हो रहा है, जिससे परेशानी हो रही है. कोई सरकारी व्यक्ति आते हैं तो 4 पूड़ी और सब्जी दे जाते हैं तो हम खाकर यहीं पर दिन बिता लेते हैं. पहले हमारा परिवार तीन टाइम खाता था, लेकिन आज हमारा परिवार एक टाइम खाकर गुजारा कर रहा है.

लॉकडाउन के कारण रिक्शा मालिक भी परेशान हैं, क्योंकि कुछ कमाई नहीं हो पा रही है और रिक्शा चालक खाने पीने के लिए उनके यहां ठहरे हैं, जिनको खाना खिलाने के लिए खर्च करना पड़ रहा है. अगर कोई सरकारी अधिकारी आकर खाना दे जाता है तो उसे खाकर काम चल जाता है, लेकिन इस लॉकडाउन में रिक्शा चलाना संभव नहीं है.

इसे भी पढ़ें- अंतरराष्ट्रीय पृथ्वी दिवस : कोरोना के साथ जलवायु परिवर्तन भी है चुनौती

इसके कारण कुछ रिक्शा चालक हमारे यहां हैं और कुछ घर चले गए हैं. जो रिक्शा चालक रुके हैं उनके खाने की व्यवस्था की जाती है, लेकिन इस कोरोना वायरस के कारण कमाई बिल्कुल नहीं हो पा रही है और रिक्शा के पहिए थम गए हैं. ऐसे ही रहा तो आने वाले समय में और परेशानी होगी. पहले हमें भी 30 से 50 रुपये प्रति रिक्शा मिल जाता था, जिससे हम जीवन यापन करते थे.

मिर्जापुर: कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए देश में तीन मई तक लॉकडाउन कर दिया गया है. लॉकडाउन के दौरान शहर में सैकड़ों रिक्शा चालकों के सामने रोजी के साथ रोटी का भी संकट खड़ा हो गया है. कुछ रिक्शा चालक घर चले गए हैं और कुछ रिक्शा मालिक के यहां पड़े रहते हैं. यदि कोई सरकारी अधिकारी आकर चार पूड़ी देकर जाता है तो उसे खाकर दिन काट लेते हैं.

जानकारी देते रिक्शा चालक.

शहर के पथरहिया फ्लाई ओवर के नीचे रहने वाले रिक्शा चालकों ने बताया कि गर्मी-सर्दी और बारिश चाहे जो मौसम हो हम दिनभर रिक्शा चलाते हैं. रिक्शा की कमाई से परिवार और अपना पेट पालते हैं. लॉकडाउन में रिक्शा निकलना संभव नहीं हो रहा है, जिससे परेशानी हो रही है. कोई सरकारी व्यक्ति आते हैं तो 4 पूड़ी और सब्जी दे जाते हैं तो हम खाकर यहीं पर दिन बिता लेते हैं. पहले हमारा परिवार तीन टाइम खाता था, लेकिन आज हमारा परिवार एक टाइम खाकर गुजारा कर रहा है.

लॉकडाउन के कारण रिक्शा मालिक भी परेशान हैं, क्योंकि कुछ कमाई नहीं हो पा रही है और रिक्शा चालक खाने पीने के लिए उनके यहां ठहरे हैं, जिनको खाना खिलाने के लिए खर्च करना पड़ रहा है. अगर कोई सरकारी अधिकारी आकर खाना दे जाता है तो उसे खाकर काम चल जाता है, लेकिन इस लॉकडाउन में रिक्शा चलाना संभव नहीं है.

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इसके कारण कुछ रिक्शा चालक हमारे यहां हैं और कुछ घर चले गए हैं. जो रिक्शा चालक रुके हैं उनके खाने की व्यवस्था की जाती है, लेकिन इस कोरोना वायरस के कारण कमाई बिल्कुल नहीं हो पा रही है और रिक्शा के पहिए थम गए हैं. ऐसे ही रहा तो आने वाले समय में और परेशानी होगी. पहले हमें भी 30 से 50 रुपये प्रति रिक्शा मिल जाता था, जिससे हम जीवन यापन करते थे.

Last Updated : Sep 10, 2020, 12:19 PM IST
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