मिर्जापुर : प्रत्येक व्यक्ति के मन में अपने और अपने परिवार के लिए एक सुंदर आशियाना बनाने की चाहत हमेशा रहती है. गरीबों की चाहत को मिर्जापुर जिले के शहरी क्षेत्रों में केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री आवास योजना सकार कर रही है. मुख्य रूप से कमजोर तबके के परिवारों के लिए यह वरदान साबित हो रही है.
प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थियों ने बताया कि वे पहले कच्चे मकान में या झोपड़ी में पन्नी लगा कर रहा करते थे. बारिश से लेकर अन्य मौसमों में भी काफी परेशानी उठानी पड़ती थी. प्रधानमंत्री आवास मिल जाने से उनकी सभी समस्याएं हल हो गई हैं.
आजादी से लेकर अब तक कच्चे मकान और झुग्गी झोपड़ी में रहने वालों के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना किसी वरदान से कम नहीं है. मिर्जापुर शहरी क्षेत्र में प्रधानमंत्री आवास तेजी से बनवाया जा रहा है. 2019-2020 में कुल 33913 आवास स्वीकृत हुए थे जिसमें 15698 मकान बन कर तैयार हो गए हैं.
बाकी के बचे मकानों का निर्माण किया जा रहा है. इसके लिए अभी हाल ही में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 28857 लाभार्थियों को प्रथम किस्त, 24048 द्वितीय, 14480 को तृतीय किस्त डायरेक्ट खाते में ऑनलाइन माध्यम से भेजा है. यह भी मकान जल्द बनकर तैयार हो जाएंगे.
तीन किस्तों में दिए जाते हैं ढाई लाख रुपये
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत चयनित लाभार्थियों को आवास बनवाने के लिए ढाई लाख की आर्थिक सहायता तीन किस्तों में दी जाती है. पहले क़िस्त 50 हजार की मिलती है. इस पैसे से लाभार्थी नीव भरवाते हैं.
इसके बाद दीवारें खड़ी करने के लिए डेढ़ लाख की दूसरी किस्त दी जाती है. मकान पूरा हो जाने पर फिनिशिंग के लिए तीसरी क़िस्त दी जाती है. तब जाकर मकान का निर्माण पूरा होता है.
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नगर पालिका अध्यक्ष मनोज जयसवाल ने बताया कि प्रधानमंत्री का सपना है कि 2022 तक सभी के पास अपना घर हो. इसके तहत मिर्जापुर में तेजी से प्रधानमंत्री आवास का काम कराया जा रहा है. 30 अगस्त को मुख्यमंत्री ने मिर्जापुर के लाभार्थियों को प्रथम द्वितीय और तृतीय किस्त ऑनलाइन उनके खातों में भेजी है.
उसी समय मुख्यमंत्री ने कहा कि नगर पालिका परिषद मिर्जापुर को देश में सर्वश्रेष्ठ स्थान प्राप्त हुआ है. इसके लिए हम नगर पालिका परिषद के कर्मचारियों और डूडा के अधिकारियों कर्मचारियों के साथ मुख्यमंत्री का धन्यवाद देते हैं.
प्रधानमंत्री आवास पाने वाले लाभार्थी खुश
प्रधानमंत्री आवास में रह रहीं अनीता ने बताया कि पहले झोपड़ी में पन्नी डालकर रहती थीं. बारिश में पानी टपकता था. बच्चों को सबसे ज्यादा परेशानी होती थी. इसे देखते हुए पता चला कि प्रधानमंत्री आवास सरकार की तरफ से मिल रहा है तो हमने फार्म डाल दिया. हमको आवास मिल गया. इस आवास से बच्चों के सिर पर छत आ गई है.
कनिष फातिमा बताती हैं कि 25 वर्षों से टॉयलेट के लिए बाहर या सुलभ शौचालय का इस्तेमाल करतीं थीं. मगर प्रधानमंत्री आवास मिल जाने से अब उन्हें टॉयलेट के साथ ही मकान भी नसीब हो गया है. अब बाहर नहीं जाना पड़ता. न ही बारिश में पन्नी डालकर रहना पड़ता है.
इश्तियाक आलम बताते हैं कि प्रधानमंत्री आवास के तहत उन्हें ढाई लाख रुपये तीन किस्तों में मिले हैं. पहले वह कच्चे मकान में रहते थे. बारिश के मौसम में बहुत परेशानी उठानी पड़ती थी. आवास बन जाने से सभी परेशानियों का निजात मिल गया है. पहले टूटे-फूटे मकानों में रहने को मजबूर रहते थे.