मिर्जापुर: आज पूरे देश में चैत्र नवरात्रि का पावन पर्व हर्षोल्लास व श्रद्धा भाव के साथ मनाया जा रहा है. मिर्जापुर के विंध्याचल धाम में भी मंगला आरती के बाद से ही मां विंध्यवासिनी का श्रद्धालु दर्शन व पूजन कर रहे हैं. शुक्रवार आधी रात से ही यहां श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया था और लंबी-लंबी कतारों में लगकर श्रद्धालु मां की एक झलक पाने को बेताब दिखाई दे रहे हैं. पहले दिन यहां श्रद्धालु मां शैलपुत्री के स्वरूप का दर्शन पूजन कर रहे हैं. वहीं, आयोजित मेले में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं.
दरअसल, आज से शुरू हुए नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को चैत नवरात्रि का त्यौहार मनाया जाता है. वहीं आज से शुरू हो रही नवरात्रि 11 अप्रैल तक रहेगा. नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाती है और अष्टमी व नवमी तिथि के दिन कन्या पूजन करने की परंपरा है. इधर, विंध्याचल धाम में भी चैत्र नवरात्रि मेला प्रारंभ हो गया है. मंगला आरती के बाद यहां दूर-दूर से आए श्रद्धालु लंबी-लंबी कतारों में लगकर दर्शन पूजन कर रहे हैं. नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है.
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यहां श्रद्धालु करते हैं 3 देवियों की पूजा व दर्शन: विंध्याचल में नवरात्रि का मेला प्रारंभ हो गया है, जहां देश के कोने-कोने से भारी तादाद में भक्त मां की पूजा व दर्शन के लिए पहुंचने लगे हैं. वहीं, यहां मां विंध्यवासिनी के दर्शन के साथ ही श्रद्धालु कालीखोह स्थित मां काली और अष्टभुजा स्थित मां अष्टभुजा के भी दर्शन कर रहे हैं. कहा जाता है तीनों देवियों के दर्शन करने से ही यहां संपूर्ण यात्रा मानी जाती है अन्यथा अधूरा रह जाता है. इसीलिए कोई भी श्रद्धालु जब यहां आता है तो वो मां विंध्यवासिनी के दर्शन के बाद त्रिकोण मार्ग पर बसे दो और देवियों का भी दर्शन करता है.
गंगा नदी के किनारे बसे मिर्जापुर से 8 किलोमीटर दूर स्थित विंध्याचल की पहाड़ियों में मां विंध्यवासिनी का मंदिर है. मां विंध्यवासिनी का दरबार 51 शक्तिपीठों में से एक है. कहा जाता है विंध्याचल धाम में जो भी भक्त विधि अनुसार व श्रद्धा भाव से मां की आराधना करता है, उसे यश, वैभव, सुख, समृद्धि के साथ ही स्वास्थ्य धन की प्राप्ति होती है. देवी दुर्गा की पूजा करने से शत्रुओं का विनाश होता है और भक्तों को हर क्षेत्र में सफलता मिलती है.
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