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मिर्ज़ापुर के विंध्याचल में पांचवें दिन लोगों ने की स्कंदमाता की पूजा-अर्चना - मिर्जापुर न्यूज

नवरात्रि के पांचवें दिन भक्तों ने स्कंदमाता की पूजा-अर्चना की. विंध्याचल देवी मंदिर में श्रद्धालुओं की सुबह चार बजे से ही लाइन लगनी शुरू हो गई थी. भक्तों ने सुबह पहुंच कर मां की पूजा-अर्चना की और मन्नत मांगी.

पांचवे नवरात्र पर की माता स्कंदमाता की पूजा अर्चना करते हुए लोग
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Published : Apr 10, 2019, 9:37 AM IST

Updated : Sep 10, 2020, 12:19 PM IST

मिर्जापुर : विंध्याचल में नवरात्रि के पांचवें दिन भी आधी रात से ही भक्तों का ताता लगा हुआ है. आज श्रद्धालु मां स्कंदमाता स्वरूप का दर्शन पूजन कर रहे हैं. लंबी-लंबी लाइनों में लगकर नारियल, चुनरी हाथों में लेकर मां के चरण तक पहुंच रहे हैं. मान्यता है कि यदि कोई श्रद्धा और भक्तिपूर्वक मां स्कंदमाता की पूजा करता है तो उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं.

पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा-अर्चना.

मंदिरों में जुटी श्रद्धालुओं की भीड़

विश्व प्रसिद्ध मां विंध्यवासिनी धाम में आज मां के पंचम स्वरूप स्कंदमाता की आराधना की गई. मंगला आरती के बाद मां के पांचवें रूप का दर्शन पाकर भक्त धन्य हो गए. आधी रात से ही कतार में लगे भक्त मां के इस रूप का दर्शन पाने के लिए लालायित थे. कहा जाता है कि मां विंध्यवासिनी के स्कन्द माता स्वरूप के दर्शन मात्र से ही भक्तों की समस्त इच्छाएं पूर्ण हो जाती हैं. आदि शक्ति दुर्गा की पांचवें स्वरुप भगवती स्कंदमाता की पूजा नवरात्रि के पांचवें दिन की जाती है. स्कन्दमाता होने के कारण श्री दुर्गा के इस स्वरूप को स्कंदमाता कहा जाता है. माता के विग्रह में भगवान स्कंद बालरूप में इनके गोद में बैठे हुए हैं. माता की चार भुजाएं हैं जिनमें दाहिने तरफ की ऊपर वाली भुजा से स्कंद को पकड़ी हुई हैं. स्कन्दमाता कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं, जिस कारण माता को पद्मासना देवी भी कहा जाता है.

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पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा-अर्चना करते लोग.
आस्थावान भक्तों में मान्यता है कि यदि कोई श्रद्धा से भक्तिपूर्वक मां स्कंदमाता की पूजा करता है तो उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. महादेव की पत्नी होने के कारण महेश्वरी और अपने गौर वर्ण के कारण गौरी के नाम से भी माता का पूजन किया जाता है. माता को अपने पुत्र से अधिक स्नेह है जिस कारण इन्हें इनके पुत्र स्कंद के नाम से ही पुकारा जाता है.

मिर्जापुर : विंध्याचल में नवरात्रि के पांचवें दिन भी आधी रात से ही भक्तों का ताता लगा हुआ है. आज श्रद्धालु मां स्कंदमाता स्वरूप का दर्शन पूजन कर रहे हैं. लंबी-लंबी लाइनों में लगकर नारियल, चुनरी हाथों में लेकर मां के चरण तक पहुंच रहे हैं. मान्यता है कि यदि कोई श्रद्धा और भक्तिपूर्वक मां स्कंदमाता की पूजा करता है तो उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं.

पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा-अर्चना.

मंदिरों में जुटी श्रद्धालुओं की भीड़

विश्व प्रसिद्ध मां विंध्यवासिनी धाम में आज मां के पंचम स्वरूप स्कंदमाता की आराधना की गई. मंगला आरती के बाद मां के पांचवें रूप का दर्शन पाकर भक्त धन्य हो गए. आधी रात से ही कतार में लगे भक्त मां के इस रूप का दर्शन पाने के लिए लालायित थे. कहा जाता है कि मां विंध्यवासिनी के स्कन्द माता स्वरूप के दर्शन मात्र से ही भक्तों की समस्त इच्छाएं पूर्ण हो जाती हैं. आदि शक्ति दुर्गा की पांचवें स्वरुप भगवती स्कंदमाता की पूजा नवरात्रि के पांचवें दिन की जाती है. स्कन्दमाता होने के कारण श्री दुर्गा के इस स्वरूप को स्कंदमाता कहा जाता है. माता के विग्रह में भगवान स्कंद बालरूप में इनके गोद में बैठे हुए हैं. माता की चार भुजाएं हैं जिनमें दाहिने तरफ की ऊपर वाली भुजा से स्कंद को पकड़ी हुई हैं. स्कन्दमाता कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं, जिस कारण माता को पद्मासना देवी भी कहा जाता है.

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पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा-अर्चना करते लोग.
आस्थावान भक्तों में मान्यता है कि यदि कोई श्रद्धा से भक्तिपूर्वक मां स्कंदमाता की पूजा करता है तो उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. महादेव की पत्नी होने के कारण महेश्वरी और अपने गौर वर्ण के कारण गौरी के नाम से भी माता का पूजन किया जाता है. माता को अपने पुत्र से अधिक स्नेह है जिस कारण इन्हें इनके पुत्र स्कंद के नाम से ही पुकारा जाता है.
Intro:मिर्जापुर के विंध्याचल में नवरात्रि के पांचवें दिन भी आधी रात से ही भक्तों का ताता लगा हुआ है आज श्रद्धालु मां स्कंदमाता स्वरूप का दर्शन पूजन कर रहे हैं लंबी-लंबी लाइनों में लगकर नारियल चुनरी हाथों में लेकर मां के चरण तक पहुंच रहे हैं मान्यता है कि यदि कोई श्रद्धा और भक्ति पूर्वक मां स्कंदमाता की पूजा करता है तो उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।


Body:विश्व प्रसिद्ध मां विंध्यवासिनी धाम में आज मां के पंचम स्वरूप स्कंदमाता की आराधना की गई मंगला आरती के बाद मां के पांचवें रूप का दर्शन पाकर भक्त धन हो गए आधी रात से ही कतार में लगे भक्तों मां के इस रूप का दर्शन पाने के लिए लालायित थे कहा जाता है मां विंध्यवासिनी किस के स्कन्द माता स्वरूप का दर्शन मात्र से भक्तों की समस्त इच्छाएं पूर्ण होती है आदि शक्ति दुर्गा की पांचवे स्वरुप भगवती स्कंदमाता की पूजा नवरात्रि के पांचवें दिन की जाती है भगवान इस स्कन्द माता होने के कारण श्री दुर्गा के इस स्वरूप को स्कंदमाता कहा जाता है माता के विग्रह में भगवान स्कंद बाल रूप में इनके गोद में बैठे हुए हैं माता के चार भुजाएं हैं जिनमें दाहिने तरफ की ऊपर वाली भुजा से स्कंद को पकड़ी हुई हैं इनका पूर्ण शुभ और यह कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं जिस कारण माता को पद्दसना देवी भी कहा जाता है।

Bite-मिठू मिश्रा-तीर्थपुरोहित


Conclusion:आस्थावान भक्तों में मानता है कि यदि कोई श्रद्धा भक्ति पूर्वक मां स्कंदमाता की पूजा करता है तो उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं महादेव की पत्नी होने के कारण महेश्वरी और अपने गौर वर्ण के कारण गौरी के नाम से भी माता पूजन किया जाता है माता को अपने पुत्र से अधिक स्नेह है जिस कारण इन्हें इनके पुत्र स्कंद के नाम से ही पुकारा जाता है तो आइए जयकारा लगाइए मां के स्वरूप का बोल मैया स्कंदमाता की जय।

Bite-श्रद्धालु

जय प्रकाश सिंह
मिर्जापुर
9453881630
Last Updated : Sep 10, 2020, 12:19 PM IST
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