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फिजूलखर्ची शादी में काजी नहीं पढ़ाएंगे निकाह, फतवा जारी - markazi sunni jamiat ulema e hind took out fatwa

मिर्जापुर जिले में मरकजी सुन्नी जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने बैठक कर नया फरमान जारी किया है. बैठक में निर्णय लिया गया है कि शादी में डीजे बजाना, आतिशबाजी करना, खड़े होकर खाना खिलाना, फिजूलखर्ची करना और दहेज मांगने वालों का बहिष्कार किया जाएगा. साथ ही ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की एक ऑनलाइन बैठक आयोजित की गई, जिसमें शादी ब्याह में फिजूलखर्ची को लेकर एक खास इकरारनामा जारी किया गया है.

मरकजी सुन्नी जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने की बैठक.
मरकजी सुन्नी जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने की बैठक.
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Published : Apr 1, 2021, 5:02 PM IST

Updated : Apr 1, 2021, 5:18 PM IST

मिर्जापुर: मरकजी सुन्नी जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने फतवा जारी किया है. बैठक कर कमेटी ने फैसला लिया है कि मुसलमानों की शादी में डीजे बजाने, आतिशबाजी करने, खड़े होकर खाना खिलाने, फिजूलखर्ची करने और दहेज मांगने वालों का बहिष्कार किया जाएगा. इस फैसले के खिलाफ व्यवस्था देखी गई तो उस शादी में काजी निकाह नहीं पढ़ाएंगे. इतना नहीं अगर किसी काजी ने निकाह पढ़ाया तो उन्हें समाज से बाहर किया जाएगा. मरकजी सुन्नी जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना नजम अली खान ने कहा कि दहेज मांगने, कार्यक्रम में खड़े होकर खाना खिलाने, डीजे बजाने वालों के खिलाफ आंदोलन की शुरुआत मिर्जापुर से की जा रही है.

जानकारी देते मौलाना.

शरीयत के अनुसार होना चाहिए कार्यक्रम
मरकजी सुन्नी जमीयत उलेमा-ए-हिंद कमेटी के मुताबिक लोगों को शरीयत के हिसाब से शादी करनी चाहिए. ऐसा नहीं करने पर कोई भी काजी शादी में निकाह नहीं पढ़ाएंगे. अगर कोई काजी शादी में गया है और वहां फिजूलखर्ची की व्यवस्थाओं को देखा तो वह वहां से बिना निकाह पढ़ाया वापस लौट आएगा. मरकजी सुन्नी जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना नजम अली खान ने कहा कि हमारी सोच है कि शरीयत पर लोगों को अमल करना चाहिए. फिजूलखर्ची को रोकना चाहिए. जो इस्लाम में गलत है, वह नहीं करना चाहिए. इस आंदोलन का शुरुआत मिर्जापुर से की जा रही है. उनका मानना है कि यह आंदोलन आगे तक जाएगा, जो लोगों के हित में होगा.

मौलान के समर्थन में उतरे लोग
मरकजी सुन्नी जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना नजम अली खान के समर्थन में मिर्जापुर के सामाजिक लोग भी उतर गए हैं. समाजसेवी परवेज खान ने कहा कि हम मौलाना के समर्थन में हैं. हमारे मुस्लिम समाज में भी बहुत सी बुराइयां फैल गई हैं. शादी में मौके पर डीजे बजाना, आतिशबाजी करना, फिजूलखर्ची करना, दहेज मांगना तमाम चीजें शरीयत में हराम हैं और नाजायज हैं. हमारे शरीयत में जो है, उसी को करना चाहिए. मौलाना नजम अली खान का यह कदम समाज के हित में है. सभी लोगों को इसका समर्थन करना चाहिए. उनका मानना है कि मौलाना का यह आंदोलन मिर्जापुर के साथ-साथ पूरे देश में जाएगा.

इसे भी पढ़ें:- मुजफ्फरनगर में बैंड बाजे वाली शादी पर मुस्लिम धर्मगुरुओं ने लगाई रोक

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ऑनलाइन हुई बैठक
शादी और निकाह को आसान बनाने के मकसद से ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड लगातार ऑनलाइन बैठक कर देश भर में अपना संदेश देने और शादी के नाम पर फिजूलखर्ची पर लगाम लगाने में जुटा हुआ है. गुरुवार को पर्सनल लॉ बोर्ड की इसलाहे मुआशरा कमिटी की अहम बैठक आयोजित हुई. बोर्ड ने एक खास इकरारनामा जारी करते हुए मस्जिद के इमामों से अपील की है कि इस इकरारनामे को जुमे की नमाज के दौरान होने वाले खुतबे में मुसलमानों को पढ़कर सुनाया जाए. इस संकल्प पत्र के माध्यम से यह बताया जाएगा कि निकाह के दौरान कोई भी ऐसा काम ना किया जाए जो गैर शरई हो.

जानकारी देते मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली.

जारी हुआ 11 बिंदुओं का इकरारनामा
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य और मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने गुरुवार को बताया कि इस इकरारनामे में बताया गया है कि निकाह के मौके पर किसी भी तरीके का म्यूजिक, डीजे या नाच गाना न किया जाए. उन्होंने कहा कि दहेज के नाम पर लड़की वालों पर किसी भी तरीके का दबाव न बनाया जाए और न ही दहेज का लेनदेन हो, क्योंकि दहेज का लेना और देना इस्लाम मजहब में हराम करार दिया गया है.

मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने जानकारी देते हुए बताया कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के दहेज के खिलाफ अभियान के तहत मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से इकरारनामा तैयार किया गया है, जिसमें निकाह को एक इबादत की तरह करने पर जोर दिया जाएगा, जिसमें शादी-शुदा जोड़े को उनके शरई हकूक से वाकिफ कराने पर अहम जोर दिया जाएगा.

मिर्जापुर: मरकजी सुन्नी जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने फतवा जारी किया है. बैठक कर कमेटी ने फैसला लिया है कि मुसलमानों की शादी में डीजे बजाने, आतिशबाजी करने, खड़े होकर खाना खिलाने, फिजूलखर्ची करने और दहेज मांगने वालों का बहिष्कार किया जाएगा. इस फैसले के खिलाफ व्यवस्था देखी गई तो उस शादी में काजी निकाह नहीं पढ़ाएंगे. इतना नहीं अगर किसी काजी ने निकाह पढ़ाया तो उन्हें समाज से बाहर किया जाएगा. मरकजी सुन्नी जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना नजम अली खान ने कहा कि दहेज मांगने, कार्यक्रम में खड़े होकर खाना खिलाने, डीजे बजाने वालों के खिलाफ आंदोलन की शुरुआत मिर्जापुर से की जा रही है.

जानकारी देते मौलाना.

शरीयत के अनुसार होना चाहिए कार्यक्रम
मरकजी सुन्नी जमीयत उलेमा-ए-हिंद कमेटी के मुताबिक लोगों को शरीयत के हिसाब से शादी करनी चाहिए. ऐसा नहीं करने पर कोई भी काजी शादी में निकाह नहीं पढ़ाएंगे. अगर कोई काजी शादी में गया है और वहां फिजूलखर्ची की व्यवस्थाओं को देखा तो वह वहां से बिना निकाह पढ़ाया वापस लौट आएगा. मरकजी सुन्नी जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना नजम अली खान ने कहा कि हमारी सोच है कि शरीयत पर लोगों को अमल करना चाहिए. फिजूलखर्ची को रोकना चाहिए. जो इस्लाम में गलत है, वह नहीं करना चाहिए. इस आंदोलन का शुरुआत मिर्जापुर से की जा रही है. उनका मानना है कि यह आंदोलन आगे तक जाएगा, जो लोगों के हित में होगा.

मौलान के समर्थन में उतरे लोग
मरकजी सुन्नी जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना नजम अली खान के समर्थन में मिर्जापुर के सामाजिक लोग भी उतर गए हैं. समाजसेवी परवेज खान ने कहा कि हम मौलाना के समर्थन में हैं. हमारे मुस्लिम समाज में भी बहुत सी बुराइयां फैल गई हैं. शादी में मौके पर डीजे बजाना, आतिशबाजी करना, फिजूलखर्ची करना, दहेज मांगना तमाम चीजें शरीयत में हराम हैं और नाजायज हैं. हमारे शरीयत में जो है, उसी को करना चाहिए. मौलाना नजम अली खान का यह कदम समाज के हित में है. सभी लोगों को इसका समर्थन करना चाहिए. उनका मानना है कि मौलाना का यह आंदोलन मिर्जापुर के साथ-साथ पूरे देश में जाएगा.

इसे भी पढ़ें:- मुजफ्फरनगर में बैंड बाजे वाली शादी पर मुस्लिम धर्मगुरुओं ने लगाई रोक

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ऑनलाइन हुई बैठक
शादी और निकाह को आसान बनाने के मकसद से ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड लगातार ऑनलाइन बैठक कर देश भर में अपना संदेश देने और शादी के नाम पर फिजूलखर्ची पर लगाम लगाने में जुटा हुआ है. गुरुवार को पर्सनल लॉ बोर्ड की इसलाहे मुआशरा कमिटी की अहम बैठक आयोजित हुई. बोर्ड ने एक खास इकरारनामा जारी करते हुए मस्जिद के इमामों से अपील की है कि इस इकरारनामे को जुमे की नमाज के दौरान होने वाले खुतबे में मुसलमानों को पढ़कर सुनाया जाए. इस संकल्प पत्र के माध्यम से यह बताया जाएगा कि निकाह के दौरान कोई भी ऐसा काम ना किया जाए जो गैर शरई हो.

जानकारी देते मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली.

जारी हुआ 11 बिंदुओं का इकरारनामा
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य और मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने गुरुवार को बताया कि इस इकरारनामे में बताया गया है कि निकाह के मौके पर किसी भी तरीके का म्यूजिक, डीजे या नाच गाना न किया जाए. उन्होंने कहा कि दहेज के नाम पर लड़की वालों पर किसी भी तरीके का दबाव न बनाया जाए और न ही दहेज का लेनदेन हो, क्योंकि दहेज का लेना और देना इस्लाम मजहब में हराम करार दिया गया है.

मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने जानकारी देते हुए बताया कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के दहेज के खिलाफ अभियान के तहत मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से इकरारनामा तैयार किया गया है, जिसमें निकाह को एक इबादत की तरह करने पर जोर दिया जाएगा, जिसमें शादी-शुदा जोड़े को उनके शरई हकूक से वाकिफ कराने पर अहम जोर दिया जाएगा.

Last Updated : Apr 1, 2021, 5:18 PM IST
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