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मिर्जापुर: विलुप्त हो रहे कजरी गीत को सहेजने में जुटी हैं छात्र-छात्राएं - कजरी कार्यशाला का आयोजन

मिर्जापुर में कजरी कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें 6 से लेकर 12 कक्षा तक बच्चे शामिल हुए. इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य विलुप्त हो रही कजरी को बचाना है.

कजरी कार्यशाला
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Published : Jul 24, 2019, 12:30 PM IST

Updated : Sep 10, 2020, 12:19 PM IST

मिर्जापुर: लोक साहित्य लोक कला कजरी को जीवित रखने के बच्चों की कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है. यह कार्यशाला 15 दिनों चलाई जाएगी, जिसमें 6 से 12 तक के छात्र-छात्राओं को कजरी गायन सिखाया जा रहा है.

कजरी कार्यशाला का आयोजन.

क्या है कजरी-
एक तरह की भोजपुरी लोकगीत है, जिसे सावन के महीने में महिलाओं द्वारा गाया जाता है. भारतीय पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास, कृष्ण पक्ष की तृतीया को पूर्वांचल में 'कजरी तीज' पर्व धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन महिलाएं व्रत करती हैं. शक्ति स्वरूपा मां विंध्यवासिनी का पूजन-अर्चन करती हैं और 'रतजगा' करते हुए कजरी गायन करती हैं

मिर्जापुर में गायी जाने वाली कजरी की सबसे बड़ी खासियत इसकी मिठास है. कजरी एक बेहद विशिष्ट शैली धुनमुनिया थी, जिसमें महिलाएं एक-दूसरे का हाथ पकड़कर गोल घेरा बनाकर कजरी गीत गाती थीं. अब कहीं नजर नहीं आती. कजरी को लेकर बच्चों में उत्साह बना रहा तो आने वाले समय में मिर्जापुर अपने पुराने संस्कृति दिखाई देगा.

मिर्जापुर: लोक साहित्य लोक कला कजरी को जीवित रखने के बच्चों की कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है. यह कार्यशाला 15 दिनों चलाई जाएगी, जिसमें 6 से 12 तक के छात्र-छात्राओं को कजरी गायन सिखाया जा रहा है.

कजरी कार्यशाला का आयोजन.

क्या है कजरी-
एक तरह की भोजपुरी लोकगीत है, जिसे सावन के महीने में महिलाओं द्वारा गाया जाता है. भारतीय पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास, कृष्ण पक्ष की तृतीया को पूर्वांचल में 'कजरी तीज' पर्व धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन महिलाएं व्रत करती हैं. शक्ति स्वरूपा मां विंध्यवासिनी का पूजन-अर्चन करती हैं और 'रतजगा' करते हुए कजरी गायन करती हैं

मिर्जापुर में गायी जाने वाली कजरी की सबसे बड़ी खासियत इसकी मिठास है. कजरी एक बेहद विशिष्ट शैली धुनमुनिया थी, जिसमें महिलाएं एक-दूसरे का हाथ पकड़कर गोल घेरा बनाकर कजरी गीत गाती थीं. अब कहीं नजर नहीं आती. कजरी को लेकर बच्चों में उत्साह बना रहा तो आने वाले समय में मिर्जापुर अपने पुराने संस्कृति दिखाई देगा.

Intro:सावन की रिमझिम फुहारों के साथ 2 माह तक पूरे जिले में कजरी महोत्सव में चलने वाली कजरी अब अंतिम दौर से गुजर रही है ।सिनेमा के बढ़ते प्रभाव के कारण यह लोक संस्कृति विलुप्त होती जा रही है। अब पूरे सावन भादो महीने में यदा-कदा कजरी नृत्य के साथ महिलाएं गाती दिखाई पड़ जाती हैं। इस लोक साहित्य लोक कला को जीवित रखने के लिए मिर्जापुर में बच्चों का कार्यशाला चलाया जा रहा है 15 दिन तक यह कार्यशाला चलाया जाएगा 6 से 12 तक के छात्र-छात्राएं सीख रहे हैं कजरी गायन।


Body:मिर्जापुर में कजरी लोक गायन की एक ऐसी अद्भुत शैली थी जिसका जोर सैकड़ों सालों तक बना रहा लेकिन अफसोस अब धीरे-धीरे विलुप्त होने की कगार पर है। कजरी की जगह फिल्मी गाने ने ले ली है। कजरी को आगे बढ़ाने के लिए सांस्कृतिक मंत्रालय 15 दिन के लिए कार्यशाला चला रहा है मिर्जापुर में यहां के प्रसिद्ध कजरी गीत को पुनर्जीवित करने के लिए यह कार्यशाला चलाया जा रहा है यहां की प्रसिद्ध कजली गायिका अजिता श्रीवास्तव अपने सांस्कृतिक विरासत को संभालने के लिए बच्चे को आगे ले आ रही हैं बच्चे भी बढ़-चढ़कर भाग ले रहे हैं बच्चों को बहुत आंनद आ रहा है अपने सांस्कृतिक लोक गायन को सीखने के लिए। बच्चों के साथ यहां की जो शिक्षिका हैं वह भी बढ़-चढ़कर अपने कजरी गीत को सीख रही है घंटों यह कार्यशाला प्रतिदिन दिन लाया जाता है। ढोल हरमोनियम और ताली बजाकर बच्चे गीत को गा रहे हैं और सीख रहे हैं।पहले महलिये टोली में गीत गाती मिल जाती थी और जगह जगह झूले पर झूलते दिखाई देती थी थी अब नही होता यह सब उसी को सहेजने का किया जा रहा है कोशिश।

Bite-निष्ठा -छात्रा
Bite-अजिता श्रीवास्तव-कजली गायिका


Conclusion:मिर्जापुर में गाए जाने वाली कजरी की सबसे बड़ी खासियत इसकी मिठास है ।कजरी एक बेहद विशिष्ट शैली धुनमुनिया थी जिसमें महिलाएं एक-दूसरे का हाथ पकड़कर गोल घेरा बनाकर कजरी गीत गाती थी मगर अब कहीं नजर नहीं आती हालांकि इन सब की अनुपस्थिति के बाद भी यह बच्चे बढ़-चढ़कर भाग ले रहे हैं इसी तरह यदि बच्चों में उत्साह बना रहा तो आने वाले समय में मिर्जापुर अपने पुराने संस्कृति दिखाई देगा।

जय प्रकाश सिंह
मिर्ज़ापुर
9453881630
Last Updated : Sep 10, 2020, 12:19 PM IST
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