मिर्जापुर: जिले में स्वास्थ्य सेवा के लिए चल रही 108 और 102 एंबुलेंस की देखभाल और मेंटेनेंस करने वाले दुकानदार का स्वास्थ्य विभाग पर लाखों का बकाया है, लेकिन अभी तक विभाग मेंटेनेंस के पैसों का भुगतान नहीं कर सका है, जिसकी वजह से दुकानदार परेशान है. दुकानदार के घर में शादी है और वह पैसे के लिए विभाग से गुहार लगा रहा है. स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का हाल यह है कि दुकान पर छह खराब हो चुकी एंबुलेंस खड़ी धूल फांक रही हैं, इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है.
धूल फांक रही हैं एंबुलेंस
मिर्जापुर में स्वास्थ्य विभाग की कारगुजारियों का यह हाल है कि एम्बुलेंस का मेंटेनेंस और देखभाल करने वाले दुकानदार का भुगतान विभाग नहीं कर पा रहा है. ऐसे ही एक दुकान शहर के बरौंधा कचार पर है, जहां पर जिले में चलने वाली स्वास्थ्य विभाग की 108 और 102 एंबुलेंस के खराब होने के बाद मेंटेनेंस का कार्य किया जाता है. अभी भी इस दुकान के सामने लावारिस खड़ी छह एंबुलेंस धूल फांक रही हैं, जिनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. एंबुलेंस की मेंटेनेंस पर लाखों रुपये लगाने वाले दुकानदार का विभाग पर लगभग 22 लाख रुपया बकाया है, लेकिन अभी तक दुकानदार के पैसे का भुगतान विभाग से नहीं हो पाया है.
दुकानदार दीपक तिवारी का कहना है कि मेरा मेंटेनेंस का 20 से 22 लाख करीब बकाया है. मेरे घर में शादी पड़ी है. बहुत ज्यादा भागदौड़ करने पर अधिकारी दो से ढाई लाख रुपये भेज देते हैं और फिर शांत हो जाते हैं, जबकि महीनों से लाखों का बकाया चल रहा है और अभी तक विभाग इसका भुगतान करने का नाम नहीं ले रहा है.
स्थानीय लोगों को हो रही परेशानी
एंबुलेंस खड़ी होने की वजह से स्थानीय लोग भी परेशान हैं. उनका कहना है कि जब एंबुलेंस महीनों से खड़ी है तो समय से कहां पहुंचेगी. लोगों का कहना है कि स्वास्थ्य व्यवस्था खराब हो चुकी है. एंबुलेंस समय से नहीं पहुंच पा रही है. लगभग आधा दर्जन एंबुलेंस यहां धूल फांक रही हैं, जिनकी कोई सुध नहीं ले रहा है. स्वास्थ्य विभाग मेंटेनेंस वाले का भी पैसा नहीं दे रहा है तो एंबुलेंस कैसे चलेंगी.
जानिए सीएमओ ने क्या कहा
सीएमओ ओपी तिवारी का कहना है कि जिले में इस समय कुल 63 एंबुलेंस संचालित की जा रही हैं. इससे पहले हमारे पास 53 एंबुलेंस थीं, लेकिन छह महीने पहले 10 एंबुलेंस विभाग को और मिली हैं, जिससे इनकी संख्या 63 हो गई है. स्वास्थ्य सेवाओं में कोई रूकावट नहीं है. सब अच्छे से चल रही हैं, जो एंबुलेंस पांच साल से ज्यादा होकर खराब हो गई थीं उनको विभाग ने सेवा से हटा दिया है. वही एंबुलेंस वहां खड़ी हैं. जीबीएल कंपनी इसका संचालन करती है. स्वास्थ्य विभाग का काम है सिर्फ मॉनिटरिंग करना है, इसलिए मरम्मत के लिए जो भी भुगतान होगा वह सीधे लखनऊ से किया जाता है.